चुनाव खत्म होते ही उत्तराखंड बीजेपी में जबरदस्त घमासान शुरू हो गया है। उत्तराखंड के बीजेपी अध्यक्ष मदन कौशिक पर चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी काम करने का आरोप लगा है। आरोप लगाने वाले बीजेपी के विधायक और नेता हैं। इससे पार्टी में काफी हलचल है। सोशल मीडिया पर लोगों ने लिखा है कि चुनाव नतीजे से पहले ही बीजेपी ने अपनी हार स्वीकार कर ली है। बीजेपी ने उत्तराखंड में कई मुख्यमंत्री बदले, लेकिन पार्टी में मतभेद दूर नहीं हो पाए। पार्टी अध्यक्ष अपनी समानांतर सत्ता चलाते रहे। विधायक यह समझ नहीं पाते थे कि वो किसका समर्थन करें। चुनाव प्रचार के दौरान उत्तराखंड में बीजेपी का तालमेल गड़बड़ाया हुआ था।
Uttarakhand : BJP MLA Laksar Sanjay Gupta as soon as the polling was over, described the State President Madan Kaushik as Traitor and alleged that kaushik ji had done the work of defeating him
— Small Box India (@SmallBoxIndia) February 14, 2022
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पार्टी सूत्रों के मुताबिक उत्तराखंड में चुनाव प्रचार के दौरान संजय गुप्ता ने पार्टी आलाकमान के सामने यह आरोप मौखिक रूप से लगाए थे। यह बात उन्होंने उस समय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के पास भी पहुंचाए। मीडिया में जब उत्तराखंड कांग्रेस की गुटबाजी की खबर उछल रही थी तो उस समय बीजेपी में भी यही सब हो रहा था। विधायक संजय गुप्ता ने कल तक मतदान खत्म होने का इंतजार किया, उसके बाद देर रात उन्होंने यह वीडियो संदेश जारी कर दिया।
बीजेपी विधायक के आरोपों के बाद पार्टी के सामने दो ही विकल्प बचे हैं। या तो वो प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को हटाए, नोटिस जारी करे या फिर विधायक संजय गुप्ता पर कार्रवाई करे। बीजेपी में गुटबाजी की खबरें आमतौर पर मीडिया में आती नहीं हैं। लेकिन संजय गुप्ता ने सबकुछ सार्वजनिक कर दिया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि मदन कौशिक के खिलाफ चुनाव प्रचार के दौरान कई अन्य प्रत्याशियों और कार्यकर्ताओं ने भी शिकायतें की थीं लेकिन पार्टी आलाकमान ने उन पर गौर नहीं किया।
सोशल मीडिया पर बीजेपी विधायक संजय गुप्ता का वीडियो वायरल होने के बाद तमाम लोग संजय गुप्ता के आरोपों पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि बीजेपी ने उत्तराखंड में अपनी हार पहले ही स्वीकार कर ली है। कुछ लोगों ने कहा है कि बीजेपी ने मदन कौशिक को किस आधार पर पार्टी का नेतृत्व इस पहाड़ी राज्य में सौंपा था। कुछ लोगों ने लिखा कि संजय गुप्ता के साहस की तारीफ की जानी चाहिए कि उन्होंने हिम्मत जुटाई। किसी भी पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र तभी कायम रह सकता है, जब उसके कार्यकर्ताओं, नेताओं को बोलने की आजादी हो।
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