मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के ख़िलाफ़ आठ विपक्षी दलों के नौ नेताओं ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ख़त लिखा है और कहा है कि बीजेपी में शामिल होने वाले भ्रष्ट राजनेताओं के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
ख़त लिखने वालों में आप नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के अलावा, भारत राष्ट्र समिति यानी बीआरएस के प्रमुख चंद्रशेखर राव, जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला, तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी, एनसीपी के प्रमुख शरद पवार, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव, बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे शामिल हैं। चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने वालों में कांग्रेस, डीएमके और वामपंथी दलों के नेता शामिल नहीं हैं।
9 Opposition Leaders including CM @ArvindKejriwal write to PM Modi‼️
— AAP (@AamAadmiParty) March 5, 2023
“@msisodia's arrest will be cited worldwide as an example of a political witch-hunt & further confirm what the world was only suspecting- India's democratic values stand threatened under an authoritarian BJP” pic.twitter.com/3ELL5N88UJ
रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे ख़त में नौ नेताओं ने कहा है कि 26 फ़रवरी को सीबीआई द्वारा दिल्ली एक्साइज पॉलिसी में कथित अनियमितताओं में सिसोदिया की गिरफ्तारी तब की गई है जब लंबे समय तक उनको परेशान किया गया और फिर भी उनके ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं मिला।
उन्होंने कहा, 'विपक्ष के सदस्यों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग यह बताता है कि हमने एक लोकतंत्र के रूप में एक निरंकुशता की ओर बढ़े हैं... सिसोदिया के खिलाफ आरोप एकमुश्त आधारहीन हैं और इससे एक राजनीतिक साजिश की बू आती है।'
ये आरोप केजरीवाल सरकार की नई शराब नीति में लगे थे, हालाँकि बाद में उस नीति को रद्द कर दिया गया था। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पिछले साल सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। दिल्ली सरकार ने इसके बाद नई शराब नीति को वापस लिया।
पत्र में 2014 के बाद से केंद्रीय जाँच एजेंसियों द्वारा की गई कार्रवाई का भी ज़िक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि इसमें से ज्यादातर विपक्षी नेताओं के ख़िलाफ़ थे और उसमें से जो बीजेपी में शामिल हुए थे, उन्हें कई मामलों में नामित होने के बावजूद छोड़ दिया गया था।
पत्र में कहा गया है, 'दिलचस्प बात यह है कि जाँच एजेंसियाँ उन विपक्षी राजनेताओं के खिलाफ मामलों पर धीमी गति से चलती हैं जो बीजेपी में शामिल होते हैं। उदाहरण के लिए कांग्रेस के पूर्व सदस्य और वर्तमान असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के खिलाफ़ सीबीआई और ईडी द्वारा 2014 और 2015 में शारदा चिट फंड घोटाले में जाँच की गई थी। हालाँकि, बीजेपी में शामिल होने के बाद मामला आगे नहीं बढ़ा। इसी तरह टीएमसी के पूर्व नेता सुवेन्दु अधिकारी और मुकुल रॉय नारदा स्टिंग ऑपरेशन मामले में ईडी और सीबीआई की निगरानी में थे, लेकिन राज्य में विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा में शामिल होने के बाद मामलों में प्रगति नहीं हुई। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनमें महाराष्ट्र के नारायण राणे भी शामिल हैं।'
पत्र में यह भी कहा गया है कि ये कार्रवाइयाँ 'राजनीतिक रूप से प्रेरित' रहीं। इसमें कहा गया है कि ऐसे कई मामले हैं जिनमें दर्ज किए गए मामले या गिरफ्तारी चुनावों के समय हुए। कहा गया कि इससे यह साफ़ हो गया कि वे मामले राजनीतिक रूप से प्रेरित थे।
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