सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए मतदान हुआ। मतदान सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक चला और इस दौरान नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय के साथ ही प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के दफ्तरों में वोट डाले गए। मतों की गिनती का काम 19 अक्टूबर को होगा और उसी दिन नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, एआईसीसी के महासचिव, राज्यों के प्रभारी, कई पूर्व केंद्रीय मंत्रियों सहित पार्टी के तमाम बड़े नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में अपने मत का प्रयोग किया। इस चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर आमने-सामने हैं।
वोट डालने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पत्रकारों से कहा कि वह लंबे वक्त से चुनाव का इंतजार कर रही थीं। कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री ने बताया कि चुनाव में 9,500 डेलीगेट्स ने मतदान किया। चुनाव में 96% मतदान राज्यों में हुआ। चुनाव में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई।
This is the polling booth at the #BharatJodoYatra campsite in Sanganakallu that will open at 10am. It is the meeting room container converted into a polling booth for the Congress Presidential elections. pic.twitter.com/3LvvALEHp9
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) October 17, 2022
शशि थरूर ने उठाया था सवाल
शशि थरूर ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा मल्लिकार्जुन खड़गे के पक्ष में वोट देने की अपील को लेकर सीईए से शिकायत की थी। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, सीईए के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री को लिखे गए पत्र में थरूर ने सवाल उठाया था कि आखिर अशोक गहलोत ने इस चुनाव में क्यों किसी का पक्ष लिया है। इसके जवाब में मधुसूदन मिस्त्री ने कहा है कि वह इस मामले को देख रहे हैं। बताना होगा कि सीईए ने पार्टी पदाधिकारियों को किसी के पक्ष में चुनाव प्रचार न करने के निर्देश दिए थे। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे के समर्थन में प्रचार करने के लिए पार्टी के 3 प्रवक्ताओं- दीपेंद्र हुड्डा, गौरव वल्लभ और सैयद नसीर हुसैन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पंजाब में कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी ने खुलकर मल्लिकार्जुन खड़गे का समर्थन किया था। दूसरी ओर, शशि थरूर के समर्थन में अभी तक किसी भी बड़े नेता ने इस तरह की अपील नहीं की है।
थरूर ने कहा था कि मल्लिकार्जुन खड़गे को प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के अध्यक्ष, कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदेश कांग्रेस के दफ्तरों में बुलाते हैं और उनका स्वागत करते हैं लेकिन वह कई प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के दफ्तर में गए तो उन्हें वहां पर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं मिले।
गांधी परिवार के समर्थन से इनकार
हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में गांधी परिवार ने पूरी तरह तटस्थ रहने की बात कही है लेकिन फिर भी यह कहा जा रहा है कि गांधी परिवार का समर्थन पूर्व केंद्रीय मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ है।
लेकिन इस तरह की खबरों पर खड़गे ने कई मीडिया चैनलों को दिए इंटरव्यू में साफ किया है कि वह गांधी परिवार के उम्मीदवार नहीं हैं। खड़गे के मुताबिक, सोनिया गांधी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इस चुनाव में गांधी परिवार किसी का समर्थन नहीं करेगा।
कौन हैं खड़गे?
खड़गे ने छात्र राजनीति से सियासत में पांव रखा और इसके बाद गुलबर्ग शहर कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर अपने राजनीतिक जीवन को आगे बढ़ाया। खड़गे 8 बार कांग्रेस के विधायक रहे। साथ ही लोकसभा और राज्यसभा में कांग्रेस के नेता भी रहे। वर्तमान में वह राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं।तीन बार मुख्यमंत्री बनने से चूके
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, खड़गे तीन बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनने से चूक गए थे। खड़गे साल 1999, 2004 और 2013 में कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में थे लेकिन वह मुख्यमंत्री नहीं बन सके थे। इन तीनों मौकों पर क्रमशः एसएम कृष्णा, धर्म सिंह और सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बने थे।खड़गे अगर कांग्रेस के अध्यक्ष बनते हैं तो वह दूसरे ऐसे दलित नेता होंगे जो कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठेंगे। इससे पहले बिहार से आने वाले दलित नेता जगजीवन राम भी कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। खड़गे कर्नाटक से आने वाले दूसरे ऐसे नेता होंगे जो कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठेंगे। उनसे पहले एस. निजलिंगप्पा 1968-69 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे।
खड़गे कर्नाटक में कांग्रेस की कई सरकारों में मंत्री भी रहे और विधानसभा में विपक्ष के नेता भी। इसके अलावा वह कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष जैसे अहम पद पर भी रह चुके हैं। साल 2009 में जब उन्होंने पहली बार लोकसभा का चुनाव जीता तो वह राष्ट्रीय राजनीति में आए। मनमोहन सिंह की सरकार में उन्होंने श्रम मंत्री रहने के अलावा रेलवे और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय भी संभाला।
2019 में पहली बार हारे
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में जब मल्लिकार्जुन खड़गे हारे तो यह पहला मौका था जब उन्हें अपने राजनीतिक जीवन में हार का सामना करना पड़ा। लेकिन पार्टी ने भरोसा जताते हुए उन्हें राज्यसभा का सांसद भी बनाया और इसके बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता जैसे अहम पद पर नियुक्त किया।मोदी लहर में भी जीते थरूर
केरल के तिरूवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर भी कांग्रेस के जाने-पहचाने चेहरे हैं और पढ़े-लिखे नेता हैं। वह मोदी लहर में भी चुनाव जीत कर आए हैं। शशि थरूर मनमोहन सिंह सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ ही विदेश मंत्रालय में भी राज्य मंत्री रह चुके हैं। वह तीन दशक तक संयुक्त राष्ट्र में भी तमाम पदों पर काम कर चुके हैं।सोनिया से हारे थे जितेंद्र प्रसाद
साल 2000 में जब कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए मतदान हुआ था तब जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। लेकिन उन्हें बुरी तरह हार मिली थी।
उस चुनाव में सोनिया गांधी को 7448 वोट मिले थे जबकि जितेंद्र प्रसाद को सिर्फ 94 मत मिले थे। इसी तरह 1997 में सीताराम केसरी ने कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था तो उन्हें उस वक्त कांग्रेसी रहे शरद पवार और दिवंगत नेता राजेश पायलट ने चुनौती दी थी। उस चुनाव में सीताराम केसरी को 6224 वोट मिले थे शरद पवार को 882 और राजेश पायलट को 300 वोट मिले थे। उसके बाद से सोनिया और राहुल गांधी को अध्यक्ष पद के चुनाव में किसी तरह की चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा।
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