कोरोना संकट के कारण कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव टल गया है। सोमवार को पहले यह ख़बर आई कि कांग्रेस आलाकमान ने एलान किया है कि 23 जून को पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराया जाएगा और इसके लिए 7 जून तक नामांकन किए जा सकेंगे। पार्टी में फ़ैसले लेने वाली सर्वोच्च संस्था कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में यह फ़ैसला लिया गया। लेकिन थोड़ी ही देर बाद ख़बर आई कि सीडब्ल्यूसी के अधिकांश सदस्यों ने इसका विरोध किया और उसके बाद जून में अध्यक्ष पद पर चुनाव कराने का फ़ैसला टालना पड़ा।
लोकसभा चुनाव 2019 के बाद से स्थायी अध्यक्ष चुने जाने और आंतरिक चुनाव की मांग को लेकर पार्टी में जबरदस्त घमासान हो चुका है। सोनिया गांधी अस्वस्थता के बावजूद अध्यक्ष पद संभाले हुए हैं लेकिन ताज़ा हालात में जब असम, बंगाल, केरल, पुडुचेरी में पार्टी का प्रदर्शन बेहद ख़राब रहा है तो अध्यक्ष पद की मांग नए सिरे से उठने की संभावना को देखते हुए आलाकमान ने यह फ़ैसला लिया था।
शांति सम्मेलन के बाद बिगड़ी बात
पार्टी में चल रहा घमासान फरवरी में तब और बढ़ गया था जब बाग़ी नेताओं के गुट G-23 ने जम्मू में शांति सम्मेलन का आयोजन किया था। इसके जरिये पार्टी नेतृत्व को संदेश दिया गया था कि वे ग़ुलाम नबी आज़ाद के साथ खड़े हैं। इन बाग़ी नेताओं की ओर से बीते साल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी गई थी और उसके बाद पार्टी में भूचाल आया था।
G-23 गुट के जो नेता जम्मू पहुंचे, उनमें ग़ुलाम नबी आज़ाद, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, राज बब्बर, मनीष तिवारी, विवेक तन्खा सहित कुछ और नेता भी शामिल रहे। हैरानी की बात यह रही कि इन सभी नेताओं ने भगवा पगड़ी पहनी हुई थी।
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