मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करने के एक दिन बाद, कांग्रेस का 16 अक्टूबर को राजस्थान और मिजोरम में चुनावी रैलियों के साथ व्यस्त कार्यक्रम है।
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे मध्य प्रदेश के साथ राज्य की पूर्वी सीमा पर बारां जिले से पार्टी के अभियान की शुरुआत करेंगे। इसके बाद राज्य के 13 पूर्वी जिलों में प्रचार किया जाएगा जहां पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) एक प्रमुख चुनावी मुद्दा है।
दूसरी तरफ भाजपा भी एक्शन में आ गई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मोर्चा संभाल लिया है। हालांकि चुनाव की तारीख घोषित होने से पहले पीएम मोदी लगातार इन राज्यों के दौरे कर रहे थे लेकिन उसके बाद उनकी कोई रैली नहीं हुई। पितृ पक्ष के दौरान मोदी उत्तराखंड के गौरीकुंड मंदिर में पूजा करने औऱ शंख बजाने पहुंचे थे।
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राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस का भाजपा से कड़ा मुकाबला है। कांग्रेस अब स्थानीय मुद्दों पर फोकस कर रही है। ईआरसीपी राजस्थान सरकार और केंद्र के बीच कई वर्षों से विवाद का विषय रहा है। कांग्रेस ने ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने के अपने वादे से कथित तौर पर मुकरने के लिए बार-बार भाजपा पर हमला किया है। केंद्र ने कभी कहा था कि अनुमानित 40,000 करोड़ रुपये खर्च करके ईआरसीपी योजना के तहत 13 जिलों में पीने का पानी और सिंचाई का पानी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। लेकिन यह घोषणा आगे नहीं बढ़ी। इन जिलों की 83 विधानसभा सीटों में से 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने 49 सीटें जीतीं, जबकि भाजपा ने 25 सीटें जीतीं।
मिजोरम में 7 नवंबर को सबसे पहले चुनाव होना है। लेकिन अभी तक वहां कांग्रेस-भाजपा की नहीं के बराबर गतिविधि रही है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी मिजोरम की तीन दिवसीय यात्रा सोमवार 16 अक्टूबर से शुरू करेंगे, जिसे पार्टी भारत जोड़ो यात्रा के विस्तार के रूप में प्रचारित कर रही है। आइजोल में राहुल सुबह 10.30 बजे चानमारी से राजभवन तक मार्च करेंगे, जिसके बाद एक सार्वजनिक संबोधन होगा। शाम 4.30 बजे उनके शहर में छात्रों के साथ बातचीत करने की उम्मीद है।
कांग्रेस 2008 के बाद से मिजोरम में सत्ता में नहीं है। मिज़ो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) तब से लगातार चुनाव जीत रहा है। 2018 में, 40 सदस्यीय विधानसभा में एमएनएफ की 27 सीटों की तुलना में कांग्रेस ने सिर्फ चार सीटें जीतीं। ज़ोरम पीपल्स मूवमेंट (ZPM) पिछली बार एक गंभीर दावेदार के रूप में उभरा, एक गैर-मान्यता प्राप्त पार्टी के रूप में आठ सीटें जीतीं और उस स्थिति को बरकरार रखा है। बहरहाल, कांग्रेस एमएनएफ के शासन के दौरान भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाएगी।
भाजपा की नजर तेलंगाना पर बराबर बनी हुई है। इस सप्ताह तेलंगाना में भाजपा की रैलियों को संबोधित करने के लिए कई केंद्रीय मंत्री भेजे जा रहे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को हुजूराबाद और बदंगपेट निर्वाचन क्षेत्रों में रहेंगे। सिंह की यात्रा के बाद पीयूष गोयल और परषोत्तम रूपाला की यात्रा होगी। ये सूचियाँ ऐसे समय में आई हैं जब राज्य में चर्चा है कि कांग्रेस केसीआर की बीआरएस के मुकाबले मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरी है।
तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता और मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव 41 रैली करने निकल पड़े हैं। केसीआर ने बीआरएस का घोषणापत्र जारी होने के बाद रविवार को हैदराबाद के उत्तर में सिद्दीपेट में एक सार्वजनिक बैठक के साथ दौरे की शुरुआत की थी। कांग्रेस पहले ही छह चुनावी गारंटियों की घोषणा कर चुकी है, बीआरएस अपनी कल्याणकारी राजनीति से मुकाबला करने की उम्मीद कर रही है। केसीआर सोमवार को जनगांव और भुवनागिरी में रैलियों को संबोधित करने वाले हैं।
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इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को तीन बार के सीएम रमन सिंह के साथ नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में होंगे। भाजपा अपने 2018 के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए कई हिंदुत्व कट्टरपंथियों के साथ-साथ सिंह जैसे अनुभवी नेता पर भरोसा कर रही है।
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