10 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव से पहले कांग्रेस अपने विधायकों की सुरक्षा में जुटी हुई है। इसे देखते हुए पार्टी ने पांच वरिष्ठ नेताओं को चुनावी राज्यों का पर्यवेक्षक बनाया है। बता दें कि कांग्रेस को हरियाणा और राजस्थान में विधायकों के द्वारा क्रॉस वोटिंग किए जाने का डर है।
राज्यसभा चुनाव के लिए 41 नेता निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं। 16 सीटों पर मुक़ाबला होना है।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को महाराष्ट्र के राज्यसभा चुनाव के लिए पर्यवेक्षक बनाया गया है। यहां से पार्टी ने अल्पसंख्यक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और शायर इमरान प्रतापगढ़ी को उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी महाराष्ट्र में राज्यसभा की 2 सीट जीत सकती है लेकिन उसने तीसरा उम्मीदवार खड़ा कर चुनावी मुकाबले को रोमांचक बना दिया है।
महा विकास आघाडी के दलों ने बीजेपी पर विधायकों की खरीद-फरोख्त करने का आरोप लगाया है।
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बंसल और सिंह देव को जिम्मेदारी
कांग्रेस ने एआईसीसी के कोषाध्यक्ष पवन बंसल और छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री टीएस सिंह देव को राजस्थान के राज्यसभा चुनाव के लिए जबकि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राज्यसभा सदस्य राजीव शुक्ला को हरियाणा के लिए पर्यवेक्षक बनाया गया है।
राजीव शुक्ला छत्तीसगढ़ से राज्यसभा के सदस्य चुने जा चुके हैं।
रिजॉर्ट में पहुंचे विधायक
राजस्थान और हरियाणा के विधायकों को लेकर कांग्रेस बहुत ज्यादा सतर्क है। इसलिए उसने कई दिन पहले ही इन दोनों राज्यों के विधायकों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचा दिया था। हरियाणा के विधायकों को छत्तीसगढ़ के नया रायपुर में बने एक रिजॉर्ट में रखा गया है जबकि राजस्थान कांग्रेस के विधायकों को उदयपुर के रिजॉर्ट में ठहराया गया है।
हरियाणा में विधायकों का जो गणित है उसे लेकर कांग्रेस परेशान है। हरियाणा में राज्यसभा की 2 सीटों के लिए चुनाव होना है और यहां कांग्रेस की चिंता पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा के बेटे और एक टेलीविजन चैनल के मालिक कार्तिकेय शर्मा के राज्यसभा चुनाव लड़ने की वजह से बढ़ गई है। इससे कांग्रेस के उम्मीदवार अजय माकन मुश्किल में फंस सकते हैं।
कुलदीप बिश्नोई नाराज
हरियाणा कांग्रेस के कुछ विधायक रिजॉर्ट में नहीं पहुंचे हैं और कुलदीप बिश्नोई नाराज चल रहे हैं। हरियाणा में एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 31 वोटों की जरूरत है और कांग्रेस के पास भी 31 विधायक गी हैं। जबकि पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा पहले कांग्रेस में रहे हैं और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ उनकी अच्छी-खासी नजदीकी रही है।
थोड़ी सी भी चूक होने पर कांग्रेस के हाथ से हरियाणा की राज्यसभा सीट निकल सकती है।
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सुभाष चंद्रा मैदान में
ऐसा ही हाल राजस्थान का भी है जहां राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के कुछ विधायकों ने नाराजगी जताई है। इनमें अधिकतर विधायक वे हैं जो बीएसपी से कांग्रेस में शामिल हुए थे। यहां मीडिया कारोबारी सुभाष चंद्रा के चुनाव मैदान में उतरने से कांग्रेस परेशान है।
महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव के लिए 22 साल बाद वोटिंग के हालात बने हैं। विधायकों के आंकड़ों के लिहाज से महा विकास आघाडी सरकार के 4 नेता राज्यसभा के लिए चुने जा सकते हैं और बीजेपी के दो। लेकिन बीजेपी ने तीसरे उम्मीदवार धनंजय महाडिक को भी चुनाव मैदान में उतार दिया है।
सिर्फ 29 सांसद रह गए
लोकसभा चुनाव में दो बार करारी हार का स्वाद चख चुकी कांग्रेस राज्यसभा में भी बेहद खराब हालत में है। यहां उसके सांसदों की संख्या घटकर सिर्फ 29 रह गई है जबकि बीजेपी राज्यसभा में 100 का आंकड़ा छूने जा रही है। ऐसे में कांग्रेस राज्यसभा चुनाव में किसी भी तरह की गड़बड़ी के चलते होने वाले बड़े नुकसान को लेकर अलर्ट है।
दूसरी ओर, विपक्षी दलों को डर है कि बीजेपी उनके विधायकों में सेंध लगा सकती है। राज्यसभा चुनाव कांग्रेस के लिए एक और कठिन इम्तिहान है और देखना होगा कि क्या वह इस इम्तिहान में पास होगी या नहीं।
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