पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने ज़बरदस्त राजनीतिक दांव चल दिया है। चन्नी ने भारत के चुनाव आयोग से गुरु रविदास जयंती के मद्देनजर 14 फरवरी के विधानसभा चुनाव को छह दिनों के लिए स्थगित करने का आग्रह किया है।
पंजाब की 117 विधानसभा सीटों के लिए 14 फरवरी को वोटिंग होनी है और 10 मार्च को वोटों की गिनती होगी। मुख्य चुनाव आयुक्त सुशीलचंद्रा को लिखे पत्र में चन्नी ने लिखा है कि यह उनके संज्ञान में लाया गया था कि अनुसूचित जाति समुदाय के कुछ प्रतिनिधि, जो राज्य की आबादी का लगभग 32 फीसदी हैं, गुरु रविदास की जयंती मनाएंगे।
चन्नी ने लिखा, “इस अवसर पर राज्य से बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति के लोगों (लगभग 20 लाख) के उत्तर प्रदेश के बनारस (वाराणसी) जाने की उम्मीद है।” 13 जनवरी को लिखे इस पत्र में उन्होंने कहा, 14 फरवरी को राज्य में मतदान है, ऐसे में इस समुदाय के तमाम लोग राज्य विधानसभा के लिए वोट नहीं कर पाएंगे, जो कि उनका संवैधानिक अधिकार है।
उन्होंने अनुरोध किया है कि मतदान की तारीख को इस तरह से बढ़ाया जाए कि राज्य के लोग 10 फरवरी से 16 फरवरी तक बनारस जा सकें और विधानसभा चुनाव में भी भाग ले सकें। चन्नी ने कहा, “यह उचित होगा कि 2022 के पंजाब विधानसभा चुनावों के लिए मतदान कम से कम छह दिनों के लिए स्थगित किया जाए, जिससे लगभग 20 लाख लोग राज्य विधानसभा के लिए अपने मतदान के अधिकार का प्रयोग कर सकें।
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इससे पहले बहुजन समाज पार्टी के पंजाब प्रमुख जसवीर सिंह गढ़ी ने भी चुनाव आयोग से 14 फरवरी से 20 फरवरी के बीच चुनाव कराने को कहा था।
अगर चुनाव आयोग चन्नी के सुझाव नहीं मानता है तो कांग्रेस इसे पंजाब में बीजेपी के खिलाफ बड़े हथियार के रूप में इस्तेमाल करेगी। चन्नी के इस दांव से अकाली दल और राज्य बीजेपी भी पसोपेश में पड़ गई है। वे चाहकर भी इसका विरोध नहीं कर सकते। पंजाब में संत रविदास का बहुत ही ज्यादा महत्व है। वहां उनकी जयंती को बड़े उत्सव के रूप में मनाया जाता है। राज्य में तमाम स्थानों पर झांकियां और मेले आयोजित किए जाते हैं। संत रविदास की तमाम वाणियां गुरु ग्रंथ साहब में समाहित हैं। उन्हें बड़े आदर के साथ पढ़ा जाता है।
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