पश्चिम बंगाल विधानसभा में पहली बार बीजेपी ने गुरुवार को मांग की उत्तर बंगाल को अलग राज्य बनाया जाये। अभी तक बीजेपी और आरएसएस के नेता विधानसभा के बाहर इन्हीं लाइनों पर बयान देते रहे हैं। उत्तर बंगाल से बीजेपी विधायक ने विधानसभा में कहा कि लोग चाहते हैं कि राज्य सरकार या तो उस क्षेत्र में विकास करे या फिर उसे अलग कर दे। जिस बीजेपी विधायक शिखा चटर्जी ने यह मुद्दा उठाया, वो डाबग्राम-फुलबाड़ी से चुनकर आई हैं।
जलपाईगुड़ी जिले में स्थित डाबग्राम-फुलबाड़ी सीट में सिलीगुड़ी नगर निगम के 14 वार्ड और चार निकटवर्ती पंचायतें शामिल हैं। शिखा चटर्जी ने सदन के बाहर भी कहा, "उत्तर बंगाल में रहने वाले लोग सालों से वंचित हैं। उनकी मांग है कि राज्य सरकार अगर विकास नहीं करना चाहती तो उन्हें अलग रहने दे। यही बात मैंने आज (20 फरवरी) विधानसभा में कही है।"
पश्चिम बंगाल में वह दूसरी बीजेपी विधायक हैं जिन्होंने उत्तर बंगाल को बंगाल से अलग करने की मांग उठाई है। हालांकि जनता के विरोध के मद्देनजर प्रदेश बीजेपी ने कभी खुलकर इस पर अपनी राय नहीं रखी। लेकिन उसके नेता दाये-बायें से यह मांग उठाते रहे हैं। बीजेपी विधायक शिखा चटर्जी से पहले, कुर्सेओंग के बीजेपी विधायक बी.पी. शर्मा (बजगैन) ने ऐसी मांग उठाई थी। उन्होंने बंगाल से अलग गोरखालैंड राज्य बनाने की लंबे समय से चली आ रही मांग के पक्ष में भी आवाज उठाई थी। हालांकि बीपी शर्मा को अब बीजेपी का असंतुष्ट विधायक खुद बीजेपी वाले बताने लगे हैं।
2019 से ही उत्तर बंगाल के कुछ भाजपा सांसदों, मौजूदा सांसदों और पूर्व सांसदों ने बार-बार इस मुद्दे को उठाया है। इस पर राज्य के भाजपा नेताओं ने काफ़ी नाराज़गी भी दिखाई। लेकिन यह मांग रुक नहीं रही है। यह एक तरह से बीजेपी की रणनीति भी लग रही है। उसके सांसद और विधायक अलग राज्य की मांग कर रहे हैं जबकि प्रदेश बीजेपी नेता जनता के सामने इस मांग को अपनी तरफ से पेश नहीं कर रहे हैं।
- केंद्रीय मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने 2024 में उत्तर बंगाल को पूर्वोत्तर (नॉर्थ ईस्ट) क्षेत्र में शामिल करने का प्रस्ताव दिया था। मजूमदार के अनुसार, अगर उत्तर बंगाल को पूर्वोत्तर में शामिल किया जाता है, तो उसे केंद्रीय योजनाओं से मिलने वाली राशि का उचित हिस्सा मिलेगा।
- इससे पहले बीजेपी नेता जॉन बारला और नक्सलबाड़ी के बीजेपी विधायक जैसे अन्य नेताओं ने भी ऐसी मांगें उठाई थीं।
टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी भी इस पर नजर रखे हुए हैं। ममता ने पिछले साल अगस्त में विधानसभा में राज्य के किसी भी विभाजन के खिलाफ टीएमसी का प्रस्ताव रखवाया था। इसे सभी बीजेपी विधायकों ने समर्थन भी दिया था। लेकिन अब अचानक बीजेपी विधायक अपने स्टैंड से पलट गये हैं। विधायक शिखा चटर्जी का अब ये कह रही हैं कि उन्होंने बस अपने क्षेत्र के लोगों की मांग को उजागर किया है। लोग यह कह रहे हैं और उनकी विधायक होने के नाते, इसे इस मंच (विधानसभा) पर रखना मेरी जिम्मेदारी है। अगर राज्य विकास नहीं कर सकता है, तो उसे उत्तर बंगाल को अलग कर देना चाहिए और इसे केंद्र शासित क्षेत्र बना देना चाहिए। ताकि विकास में तेजी आ सके।"
शिखा चटर्जी की सीट से दो बार विधायक रहे देब (उन्होंने 2021 में उन्हें हराया था) ने कहा कि वह यह साबित करने के लिए भाजपा से मुकाबला करने के लिए तैयार हैं कि ममता बनर्जी सरकार ने अपने 14 साल के शासन में उत्तर बंगाल के लिए क्या किया है। उन्होंने कहा, "अगर वे (बीजेपी) चाहते हैं, तो मैं 2011 से इस क्षेत्र के लिए राज्य सरकार ने क्या किया है, इस पर विस्तृत डेटा के साथ आने के लिए तैयार हूं। शिखा चटर्जी का बयान कुछ राजनीतिक लाभ हासिल करने का प्रयास है।"
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