पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तमाम गांवों में खदेड़ा अभियान जोर पकड़ गया है। जाट बहुल दौराला गांव में बीजेपी विधायक संगीत सोम का इतना जबरदस्त विरोध हुआ कि उन्हें वहां से भागना पड़ा। इस घटना का वीडियो वायरल हो चुका है। लेकिन यह घटना पश्चिमी यूपी में बीजेपी के हालात को बयान कर रही है। संकेतों को पढ़ा जा सकता है।
संगीत सोम तमाम वजहों से बीजेपी के आक्रामक नेता माने जाते हैं। मुजफ्फरनगर दंगों के समय भी वो विवादों में आए थे। वो मेरठ की सरधना विधानसभा सीट से विधायक हैं। लेकिन संजीव बलियान के बाद उन्हें पश्चिमी यूपी में जाटों का असरदार नेता माना जाता है।
अपने चुनाव प्रचार अभियान पर कल वो दौराला गांव पहुंचे। उनके साथ गाड़ियों का लंबा काफिला था। लेकिन दौराला गांव में युवक और अन्य लोग घरों से बाहर निकल आए और उनके खिलाफ वापस जाओ के नारे लगाने लगे। इनमें राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के कार्यकर्ता भी शामिल थे। कभी इस गांव में संगीत सोम का स्वागत हुआ था। 2017 के विधानसभा चुनाव में उनकी जीत में जाट बहुल दौराला गांव ने बड़ी भूमिका निभाई थी।
संगीत सोम का पिछले महीने सरधना में भी विरोध हुआ था। वहां ग्रामीणों ने ऊंची आवाज में बोलने पर संगीत सोम का विरोध किया था। संगीत सोम गौ रक्षा को बड़ा मुद्दा बनाते हुए सरधना में उभरे थे। लेकिन बाद में उन पर दो मीट एक्सपोर्ट कंपनियों का डायरेक्टर होने के आरोप लगे। इन आरोपों पर संगीत सोम ने कभी खुलकर न तो प्रतिवाद किया और न ही उनकी पुष्टि की। करीब 5 महीना पहले सितंबर 2021 में उन्होंने बयान दिया था कि जहां-जहां मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है, उन मस्जिदों को तोड़कर बीजेपी वहां मंदिर बनवाएगी।
सरधना के दौराला गाँव में बीजेपी विधायक संगीत सोम का जबरदस्त विरोध #JanhitTimes @BJP4UP @UPGovt #UttarPradeshElections2022 pic.twitter.com/4tNqOKTGFa
— Janhit Times (@janhit_times) January 31, 2022
संगीत सोम के इन्ही विवादास्पद बयानों की वजह से इस बार बीजेपी के स्टार प्रचारकों की सूची से पार्टी ने बाहर कर दिया। बीजेपी ने संकेत भेज दिया कि उनके विवादास्पद बयानों की पार्टी को जरूरत नहीं है। इस चुनाव में संगीत सोम विवादास्पद बयान देने से बच रहे हैं लेकिन गांवों में लोग उनसे पिछले पांच वर्षों का हिसाब मांग रहे हैं।
चुनाव आकलन के नजरिए से यह बड़ा संकेत है। सरधना विधानसभा सीट जाट बहुल इलाका है। इसीलिए संगीत सोम ने इसे अपनी राजनीतिक जमीन बनाई। बीजेपी ने उनके फॉर्मूले पर काम किया और यहां पिछले चुनाव में हिन्दू-मुसलमान बंट गए। संगीत सोम आसानी से सीट निकाल ले गए। अन्यथा यहां पर राष्ट्रीय लोकदल का दबदबा हर चुनाव में रहता है। 2017 का नतीजा आने के बाद आरएलडी के संस्थापक चौधरी अजित सिंह ने सबसे पहला काम हिन्दू-मुसलमानों के बीच खाई को पाटने के लिए अभियान चलाया। उन्होंने गांव-गांव जाकर बैठकें कीं। उनके निधन के बाद जयंत चौधरी ने उसी लाइन को पकड़ा।
जब किसान आंदोलन शुरू हुआ तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हिन्दू-मुसलमान एक हो गए। किसान नेता राकेश टिकैत में भी इसमें भूमिका निभाई। बीजेपी के लिए मुश्किलों की शुरुआत यहीं से हुई।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में संगीत सोम और संजीव बालियान का खुला विरोध इस क्षेत्र में यूपी चुनाव 2022 की नब्ज को बताता है। यह बताता है कि गांवों में लोग सचमुच बीजेपी से नाराज हैं। पश्चिमी यूपी के शहरों में बीजेपी का विरोध नहीं दिखता लेकिन जैसे ही गांव की तरफ नेताओं का काफिला मुड़ता है, फर्क साफ दिखने लगता है।
जन सभा मे वन विभाग के दरोगा ने दिया त्यागपत्र, भाजपा के विधायक संगीत सोम पर लगाया आरोप, कहा खून पी रखा है, संगीत सोम फोन पर धमकी देते है pic.twitter.com/1qkO3rGrrH
— Sudhanshu Bajpai (@Sudhansu_Bajpai) January 31, 2022
वन दरोगा का इस्तीफा
इस बीच एक जनसभा में वन दरोगा अजीत भड़ाना ने संगीत सोम और बीजेपी के एक मंत्री पर गंभीर आरोप लगाया और उसके बाद नौकरी से इस्तीफा देने की घोषणा की। वन दरोगा अजीत भड़ाना का जनसभा में इस्तीफे के ऐलान वाला वीडिया सोशल मीडिया पर वायरल है। उस वायरल वीडियो में अजीत भड़ाना कह रहे हैं कि बीजेपी विधायक संगीत सोम और एक मंत्री मुझे धमकी देकर अपने काम कराते हैं। मैं इन लोगों से तंग आ चुका हूं, इसलिए अपने पद से इस्तीफा दे रहा हूं। उधर, संगीत सोम के समर्थकों ने इस इस्तीफे पर कहा कि वन दरोगा अजीत भड़ाना खबरों में आने के लिए ऐसा ड्रामा कर रहा है। वो चाहता है कि लोग उसे भी जानें।
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