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केरल में सुरेश गोपी 'एकला चलो' की राह पर; बीजेपी को आपत्ति क्यों नहीं?

दक्षिण में पैर पसारने की महत्वाकांक्षी बीजेपी क्या अब मशहूर अभिनेता सुरेश गोपी में अब अपना भविष्य देखती है? केरल में इस बार बीजेपी ने सुरेश गोपी के साथ खाता खोला है। लेकिन क्या बीजेपी इनके तौर-तरीक़ों को बर्दाश्त कर पाएगी? या फिर बीजेपी राज्य में अपना पैर जमाने के लिए यह सबकुछ जानबूझकर होने देगी?

ये सवाल इसलिए कि सुरेश गोपी ने नयी सरकार के शपथ ग्रहण के साथ ही बीजेपी के लिए बखेड़ा खड़ कर दिया था। केंद्रीय मंत्री के रूप में शपथ लेने के कुछ घंटे बाद ही गोपी ने कह दिया था कि वह पद से मुक्त होना चाहते हैं और एक सांसद के रूप में काम करना चाहते हैं। बीजेपी चौंक गई थी। बाद में सफाई आई। फिर उन्होंने सीपीआई (एम) के दिग्गज व पूर्व केरल सीएम ई के नयनार के परिवार और कांग्रेस नेता व पूर्व सीएम के करुणाकरण के समाधि स्थल पर गए थे। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को 'मदर ऑफ इंडिया' तक कह दिया था। इसके बावजूद वह बीजेपी का चेहरा बने हुए हैं? ऐसा क्यों?

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इस सवाल का जवाब पाने से पहले यह जान लें कि आख़िर किस तरह घटनाक्रम चला है। अभिनेता सुरेश गोपी ने 4 जून को इतिहास रच दिया जब वे त्रिशूर से जीतकर केरल से भाजपा के पहले सांसद बने। इसके बाद उन्हें केंद्रीय राज्य मंत्री का पद दिया गया। 9 जून को शपथ लेने के कुछ घंटों बाद ही नवनिर्वाचित सांसद ने दिल्ली में मलयालम टीवी चैनलों से कहा कि वे पद से मुक्त होना चाहते हैं। 

एक रिपोर्ट के अनुसार टीवी चैनलों से उन्होंने कहा था, 'मैं एक सांसद के रूप में काम करना चाहता हूं। मेरा रुख यह था कि मैं इसे नहीं चाहता। मैंने बता दिया था कि मुझे इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। मुझे लगता है कि मैं जल्द ही पद से मुक्त हो जाऊंगा।' विपक्ष ने जब उनसे अपनी टिप्पणी को स्पष्ट करने के लिए कहा और दबाव बढ़ाया तो गोपी ने अपना बयान वापस ले लिया और कहा कि ख़बर पूरी तरह से गलत है। 

उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, 'मोदी सरकार के मंत्रिपरिषद में शामिल होना और केरल के लोगों का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए गर्व की बात है।' 
अभिनेता से नेता और सांसद बने सुरेश गोपी केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ई के नयनार के परिवार और कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री के करुणाकरण के अंतिम संस्कार स्थल का दौरा किया और दोनों को अपना राजनीतिक गुरु बताया।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को 'मदर ऑफ़ इंडिया' कहा। इसके बाद उनके बयान को लेकर कयास लगाए जाने लगे कि क्या केरल बीजेपी में सबकुछ समान्य नहीं है। लेकिन भाजपा ने साफ़ किया कि कोई मतभेद नहीं है। 

राज्य पार्टी प्रमुख के सुरेंद्रन ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि केरल में भाजपा में कोई दरार नहीं है। पार्टी उनके ऐसे प्रयासों को बीजेपी के लिए फायदेमंद बता रही है। भाजपा उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में देखती है जो उसके वोट शेयर को बढ़ाने में मदद कर सकता है, जो 1999 में 6.56% से बढ़कर हाल के लोकसभा चुनावों में 16.68% हो गया है। बीजेपी की ओर से कहा गया, 'वह सिर्फ एक राजनेता नहीं बल्कि एक सेलिब्रिटी और सांस्कृतिक प्रतीक हैं। उन्होंने अपने व्यक्तिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए ये दौरे किए। पार्टी केवल इस बात से खुश है कि उनके कार्यों से हमें राज्य में अपना वोट शेयर बढ़ाने में मदद मिलेगी।'

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अंग्रेजी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार एक अन्य भाजपा नेता ने कहा कि यह उचित ही है कि गोपी एक ऐसे निर्वाचन क्षेत्र में सर्वव्यापी राजनीतिक छवि पेश करें, जहाँ पार्टी ने कांग्रेस के मतदाता आधार में महत्वपूर्ण पैठ बनाई है। रिपोर्ट के अनुसार भाजपा पदाधिकारी ने कहा, 'वह नयनार और करुणाकरण दोनों के अनुयायियों की सेवा कर रहे हैं, क्योंकि वे नेताओं की मृत्यु के बाद अपनी-अपनी पार्टियों से असंतुष्ट हैं।' गोपी ने हाल ही में चर्च में प्रार्थना की थी और फिर इफ्तार पार्टी में भी भाग लिया था। एक नेता ने कहा, 'विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, भाजपा को गोपी के कार्यों से केवल लाभ ही होगा।' त्रिशूर के मतदाताओं में मुसलमानों की संख्या अनुमानित 14% है, जबकि ईसाइयों की संख्या लगभग 21% है। रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी ने सुरेश गोपी को प्रोत्साहित ही किया है।

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क़मर वहीद नक़वी
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