रफ़ाल पर एन राम की ख़बर छपने के बाद बुरी तरह तिलमिलाई बीजेपी ने यह साबित करने की कोशिश की है कि 'द हिन्दू' अख़बार ने ख़बर काट-छाँट कर चलाई थी। बीजेपी के कहने का मतलब यह था कि अख़बार कांग्रेस के साथ मिल कर झूठ का खेल खेल रही है। हैरानी की बात यह है कि इस ख़बर पर देश भर में हंगामा मचने के बाद भी रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और कुछ जूनियर नेता और मंत्री ही सरकार के पक्ष में खड़े दिखाई दिए। पार्टी के बड़े नेता और सरकार में भारी-भरकम ओहदों पर बैठे बड़े मंत्री चुप रहे। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, हर विषय पर ब्लॉग लिखने वाले अरुण जेटली और हर मसले पर सरकार का बचाव करने वाले सदबहार प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कुछ नहीं कहा। ऐसे मौके पर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर रफ़ाल के मसले पर सबसे बड़ा खुलासा और हमला हुआ, इन वरिष्ठ नेताओं का खुल कर मोदी के पक्ष में न आना कई गंभीर सवाल खड़े करता है।
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अपने बड़े नेताओं की रहस्यमय चुप्पी की भरपाई करते हुए बीजेपी ने अगले दिन यानी शनिवार को ट्विटर हैंडल पर राहुल गाँधी को झूठा साबित करने के लिए उनके 10 'झूठ' गिनाने का प्रयास किया। बीजेपी ने #LiarRahul नाम से एक हैशटैग बनाया और एक-एक कर राहुल के 10 'झूठ' गिनाने का दावा किया।
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- बीजेपी के मुताबिक़, झूठ नंबर 1: #LiarRahul ने फ़्रांसीसी मीडिया में छपी एक ख़बर के हवाले से यह बताने की कोशिश की कि दसॉ अगर रिलायंस को ऑफ़सेट पार्टनर बना ले तो भारत के साथ उसका रक्षा सौदा हो जाएगा।
- तथ्य: सुप्रीम कोर्ट और दसॉ के सीईओ ने कहा है कि ऑफ़सेट पार्टनर चुनने में भारत सरकार का कोई हाथ नहीं है।
- झूठ नंबर 2: #LiarRahul ने एक झूठी तस्वीर पेश करने की कोशिश की कि रफ़ाल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर गड़बड़ियाँ पाई हैें और इस तरह से न्यायालय के अधीन मामले में तीसरे दर्जे का प्रोपेगैंडा किया।
- तथ्य: सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेसी चमचों द्वारा दायर की गई याचिका न केवल रद्द कर दी, बल्कि यह भी कहा कि इससे सरकार का कोई लेना-देना नहीं है।
- झूठ नंबर 3: #LiarRahul ने यह दावा किया था कि रफ़ाल सौदे में अपना विरोध दर्ज कराने वाले रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अफ़सर को मोदी सरकार ने सज़ा दी थी।
- तथ्य: #LiarRahul का झूठ पकड़ा गया जब उसी अफ़सर ने मीडिया में आकर बयान दिया कि उसे कोई सज़ा नहीं मिली।
- झूठ नंबर 4: #LiarRahul ने कहा था कि पूर्व फ़्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने नरेंद्र मोदी को 'चोर' कहा और यह दावा किया कि भारत सरकार ने रिलायंस को ऑफ़सेट पार्टनर बनाने के लिए कहा था।
- तथ्य: ओलांद ने ऐसे किसी भी आरोप से इनकार किया था और फ्रांसीसी सरकार ने इस बारे में आधिकारिक बयान भी जारी किया था।
- झूठ नंबर 5: #LiarRahul ने संसद से झूठ बोला और कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रां ने उनसे कहा है कि गोपनीयता की कोई शर्त नहीे है।
- तथ्य: फ़्रांसीसी सरकार ने इस बयान को खारिज कर दिया और कहा कि गोपनीयता की शर्त की वजह से दोनों ही पक्ष गोपनीय जानकारियाँ आम नहीं कर सकते।
- झूठ नंबर 6: #LiarRahul ने रफ़ाल हवाई जहाज़ के अलग-अलग दाम बताए। उसने रफ़ाल की कीमत संसद में 520 करोड़ रुपये, कहीं और 526 करोड़ रुपये, राजस्थान में 540 करोड़ और दिल्ली में 700 करोड़ रुपये बताया।
- विश्लेषण: इसके लिए राहुल गाँधी को झूठ बोलने के लिए नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए।
- झूठ नंबर 7: #LiarRahul ने कहा है कि रक्षा सौदों के लिए जो प्रक्रिया बनाई गई थी, उसका मोदी सरकार ने उल्लंघन किया है।
- तथ्य: सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा कि सरकार ने जो प्रक्रिया अपनाई है, वह उससे पूरी तरह संतुष्ट है और शक की कोई गुंजाइश नहीं है।
- झूठ नंबर 8: #LiarRahul ने कहा कि यूपीए ने 526/520/540 करोड़ रुपये प्रति विमान का सौदा किया था और एनडीए ने 1600 करोड़ रुपये में विमान ख़रीदना तय किया था।
- विश्लेषण: झूठा सेब और नारंगी की तुलना कर रहा है। एनडीए ने जो कीमत तय की थी, वह रफ़ाल विमान समेत पूरे ऑपरेशनल पैकेज की है। पूरे एक साल में झूठा यह नहीं समझ पाया कि ऑपरेशनल पैकेज में हथियार, कल-पुर्जे, विमान से जुड़ी कुछ दूसरी सुविधाएँ भी शामिल होती हैं। झूठा राहुल सिर्फ़ विमान के ढाँचे की कीमत की तुलना ऑपरेशनल पैकेज से कर रहा था। एनडीए की तय कीमत 9 प्रतिशत कम थी। झूठे राहुल को वह बात समझ में नहीं आती जो प्राइमरी स्कूल के बच्चे की समझ में आती है क्योंकि राहुल तो राहुल है। वह कच्चे पनीर की तुलना खाने के लिए तैयार मसाला पनीर से कर रहा है।
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- झूठ नंबर 9: #LiarRahul कहता है कि 36 विमान की ख़रीद राजनीतिक दोस्तों को फ़ायदा पहुँचाने के लिए की गई है, जिससे एयरफ़ोर्स को नुक़सान हुआ है।
- तथ्य: सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि हमारे दुश्मनों की रक्षा तैयारियों के मद्देनज़र रफ़ाल का सौदा किया गया है और इससे इंडियन एयरफ़ोर्स खुश है।
- झूठ नंबर 10: #LiarRahul को शुक्रवार को 'द हिन्दू' के रूप में एक साथी भी मिल गया। इन लोगों ने एक तस्वीर को सुविधा अनुसार काट छाँट कर फिर से झूठ बोलने की कोशिश की।
- तथ्य: हमें पहले से ही मालूम था कि कांग्रेस फ़ोटोशॉप करती है। शुक्रवार को उनको यह बात काफ़ी मशक्क़त के बात समझ में आई कि अंत में जीत सच की ही होती है।
दस 'झूठ' गिनाने के बाद बीजोपी ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, राहुल मनोरोग की सीमा तक झूठ बोलता है और भारतीय वायु सेना का अपमान करता है। हम चाहते थे कि अपनी झूठ के लिए राहुल माफ़ी माँगे, लेकिन हमें उससे सहानुभूति है। इसके बाद बीजेपी ने राहुल गाँधी और 'द हिन्दू' अख़बार को एक तरह से चुनौती दी कि अगर उन्हें अपनी खोजी ख़बर पर भरोसा है तो वे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएँ, लेकिन वे ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि उन्हें मालूम है कि वहाँ उनके लिए कोई अवसर नहीं है।
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बीजेपी ने आगे कहा, हमने राहुल गाँधी के रफ़ाल से जुड़े ज़्यादा से ज़्यादा झूठ सबके सामने रखने का प्रयास किया, लेकिन राहुल की झूठ बोलने की जो क्षमता है, उसके सभी झूठों को इकट्ठा कर सामने लाना असंभव है। हम सबको यह निमंत्रण देते हैं कि आप सब #LiarRahul के हैशटैग से जुड़िए और मनोरोगी झूठे राहुल को बेनक़ाब कीजिए।
सवाल यह है कि आख़िर बीजेपी को रफ़ाल पर राहुल के 10 'झूठ' गिनाने की ज़रूरत क्यों पड़ी और वह राहुल गाँधी को क्यों झूठा साबित करना चाहती है। ट्विटर हैंडल पर 10 झूठों की यह श्रृंखला इस ओर इशारा करती है कि 'द हिन्दू' अख़बार के खुलासे ने सरकार और बीजेपी को बुरी तरह से हिला दिया है। चूँकि तथ्यों के ज़रिए वह अपनी सफ़ाई नहीं दे पा रही है, इसलिए राहुल गाँधी और 'द हिन्दू' अख़बार को झूठा साबित करने में लगी है।
दिलचस्प बात यह है कि यह ख़बर हिन्दुस्तान के सबसे बड़े और प्रतिष्ठिति पत्रकारोें में से एक एन राम ने लिखी है। यह वही एन राम हैं, जिन्होंने बोफ़ोर्स मसले पर एक के बाद एक ज़बरदस्त खुलासे किए थे और उस वक़्त की कांग्रेस सरकार की नाक में दम कर दिया था। उस समय बीजेपी उनकी तारीफ़ में कसीदे पढ़ रही थी। आज वही एन राम रफ़ाल पर खुलासा कर रहे हैं। बीजेपी जानती है कि एन राम की साख बहुत ज़्यादा है। इसलिए वह एन राम के बजाय अख़बार को झूठा साबित करने में लगी है। सवाल यह भी है कि बीजेपी अपने जवाब के लिए सुप्रीम कोर्ट का सहारा ले रही है। बीजेपी की मंशा साफ़ है कि अगर तथ्यों पर कारगर सफ़ाई नहीं दी जा सके तो तथ्य बताने वाले को ही झूठा साबित कर दिया जाए ताकि लोग उसकी बातों पर भरोसा करना बंद कर दें। पर क्या वह अपनी कोशिश में कामयाब होगी, क्योंकि रफ़ाल एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन चुका है, यह सवाल लाज़िमी है।
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