चुनाव आयोग ने शुक्रवार को हिमाचल विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया है। हिमाचल में 12 नवंबर को वोटिंग होगी और 8 दिसंबर को मतगणना होगी। राज्य में एक चरण में वोट डाले जाएंगे।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि हिमाचल में कुल 55,07,261 मतदाता हैं जिसमें 27,80,206 पुरुष और 27,27,016 महिला मतदाता हैं। हिमाचल में 17 अक्टूबर को चुनावी अधिसूचना जारी की जाएगी। 25 अक्टूबर तक नामांकन दाखिल किए जा सकेंगे और नाम वापस लेने की अंतिम तिथि 29 अक्टूबर है।
पहले यह माना जा रहा था कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान एक साथ हो सकता है लेकिन अब यह कहा जा रहा है कि दिवाली के बाद ही यानी इस महीने के अंत तक गुजरात के लिए चुनाव की तारीखों का एलान किया जाएगा।
गुजरात में विधानसभा की 182 सीटें हैं जबकि हिमाचल प्रदेश में 68 सीटों के लिए चुनाव होगा।
इन दोनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार है और कांग्रेस यहां मुख्य विपक्षी दल है। पंजाब के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद आम आदमी पार्टी इन दोनों राज्यों में चुनाव लड़ रही है। हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की अगुवाई वाली एआईएमआईएम गुजरात में कुछ सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है।
हिमाचल: 2017 विधानसभा चुनाव
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को 44 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। जबकि कांग्रेस को 21 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन बीते साल 3 विधानसभा सीटों और एक लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी और यह माना जा रहा है कि इस चुनाव में वह बीजेपी को जोरदार टक्कर देगी।
जनता को दी 10 गारंटियां
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने चुनाव मैदान में उतरने से पहले राज्य की जनता को 10 गारंटियां दी हैं। इन गारंटियों में युवाओं को 5 लाख रोजगार, 300 यूनिट फ्री बिजली, महिलाओं को हर महीने 1500 रुपए देने जैसे वादे अहम हैं। कांग्रेस ने वादा निभाया है वादा निभाएंगे और हिमाचल का संकल्प कांग्रेस ही विकल्प का नारा भी दिया है।
कांग्रेस ने इस साल अप्रैल में संगठन में बड़ा बदलाव करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी और मंडी से लोकसभा सांसद प्रतिभा सिंह को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया था। जबकि वरिष्ठ नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया था। गुटबाजी को दूर करने के लिए छोटे से राज्य हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने पंजाब और उत्तराखंड की तरह कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त किए थे।
दोनों दलों में है गुटबाजी
कांग्रेस लंबे वक्त तक हिमाचल प्रदेश की सत्ता में रही है लेकिन वह गुटबाजी से परेशान है। कुलदीप सिंह राठौड़, सांसद प्रतिभा सिंह, वरिष्ठ नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू, आशा कुमारी, रामलाल ठाकुर और मुकेश अग्निहोत्री के अपने-अपने गुट हैं।
बीजेपी में भी गुटबाजी है और वहां पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गुट आमने-सामने दिखाई देते हैं।
देखना होगा कि पांच राज्यों के चुनाव में हार से टूट चुकी कांग्रेस क्या गुजरात, हिमाचल प्रदेश के चुनाव में बेहतर प्रदर्शन कर बीजेपी को सत्ता से हटा पाएगी।
गुजरात: 2017 विधानसभा चुनाव
आज़ादी के बाद लंबे समय तक गुजरात की सत्ता में रही कांग्रेस 90 के दशक में बीजेपी के उभार और 2000 में नरेंद्र मोदी के राज्य का मुख्यमंत्री बनने के बाद कमजोर होती चली गई। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी ने पार्टी के लिए जमकर पसीना बहाया और सीटों की संख्या में इजाफ़ा किया। 2012 में कांग्रेस को जहां 61 सीटें मिली थीं, वहीं 2017 में यह आंकड़ा 77 हो गया था, दूसरी ओर बीजेपी 2012 में मिली 115 सीटों के मुक़ाबले 2017 में 99 सीटों पर आ गयी थी।
तब यह माना गया था कि पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के आंदोलन से बीजेपी को ख़ासा नुक़सान हुआ है। 2017 के विधानसभा चुनाव में हालात ऐसे थे कि ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुजरात में कई चुनावी रैलियां करनी पड़ी थीं और उन्होंने दिल्ली का कामकाज छोड़कर पूरा फ़ोकस गुजरात चुनाव पर कर दिया था।
फिर भी 182 सीटों वाली गुजरात की विधानसभा में बहुमत के लिए ज़रूरी 92 सीटों से सिर्फ 7 ही ज़्यादा सीटें बीजेपी ला पाई थी।
लेकिन 2017 के बाद से हार्दिक पटेल के अलावा कांग्रेस के 15 विधायक और बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं।
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