असम पुलिस ने पुजारियों, नामघरिया और संतों के बारे में कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में कांग्रेस विधायक आफताबुद्दीन मोल्ला को गिरफ्तार किया है। एएनआई ने डीजीपी जीपी सिंह के हवाले से बताया कि दिसपुर पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 295(ए)/153ए(1)(बी)/505(2) के तहत मामला दर्ज किया गया है। हालांकि असम पुलिस की यह कार्रवाई बिना ऊपरी आदेश पर नहीं हो सकती। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा खुद तमाम विवादित बयानों के लिए जाने जाते हैं लेकिन कांग्रेस विधायक पर यह कार्रवाई किसी दूरगामी राजनीति का हिस्सा लग रही है।
असम पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "गिरफ्तार कांग्रेस नेता की पहचान जलेश्वर विधानसभा क्षेत्र (असम) से मौजूदा विधायक आफताबुद्दीन मोल्ला के रूप में की गई है।"
पुलिस ने बताया कि एक शिकायत पर आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत दिसपुर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया। कांग्रेस विधायक पर आरोप है कि उन्होंने 4 नवंबर को गोलपाड़ा जिले में एक सार्वजनिक बैठक में पुजारियों, नामघरिया और संतों को निशाना बनाते हुए भड़काऊ भाषण दिया था।
गुवाहाटी के पुलिस कमिश्नर दिगंता बोरा ने स्पष्ट किया कि नफरत फैलाने वाले भाषण पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार कांग्रेस विधायक आफताबुद्दीन मोल्ला को शिकायत मिलने पर गिरफ्तार किया गया है। अगर कोई भाषण सांप्रदायिक विद्वेष पैदा कर सकता है तो पुलिस स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई भी कर सकती है।
भाजपा के शहजाद पूनावाला ने विधायक की गिरफ्तारी के बाद उनका विवादित वीडियो और खबर को सोशल मीडिया पर फैलाने में देर नहीं लगाई। भाजपा नेता पूनावाला ने सोशल मीडिया पर लिखा है- कांग्रेस विधायक आफताबुद्दीन मोल्ला ने हिंदुओं को बदनाम करते हुए कहा, "जहां भी बलात्कार होता है, हमेशा एक "साधु" (हिंदू पुजारी) या "नामघोरिया" (वैष्णव प्रार्थना घर के देखभालकर्ता) शामिल होते हैं।
सनातन पर हमले के बाद अब इंडी एलायंस हिंदू संतों पर हमला कर रहा है। स्टालिन से मोल्ला तक!
क्या उनमें किसी मौलवी या पुजारी के बारे में ऐसा कहने का साहस होगा? नहीं, ठीक ही है। लेकिन हिंदुओं पर यह लगातार हमला क्यों - उनकी आस्था पर, प्रभु श्री राम, राम मंदिर, राम चरितमानस और अब साधुओं पर। सब वोटबैंक के लिए? क्या राहुल गांधी उन पर कार्रवाई करेंगे?
असम पुलिस ने धारा 295(ए)/ 153ए(1)(बी)/505(2) आईपीसी) के तहत कार्रवाई की है।
भाजपा नेता शहजाद पूनावाला के बयान से साफ है कि भाजपा इस मामले को चार राज्यों में हो रहे चुनाव के दौरान जबरदस्त ढंग से उछालने वाली है। अभी तक खुद पीएम मोदी और अन्य भाजपा नेताओं ने बार-बार इन चुनावों में धार्मिक रंग मिलाना चाहा लेकिन जनता में उत्साह नजर नहीं आया। छत्तीसगढ़ में तो महादेव ऐप विवाद में महादेव का नाम लेकर पीएम मोदी ने खुद मामला उठाया लेकिन इसका असर दिखा नहीं। इससे पहले कर्नाटक चुनाव में भी इसी तरह बजरंगबली का नाम लेकर विवाद खड़ा किया गया था लेकिन कर्नाटक के मतदाताओं ने सारे विवाद की हवा निकाल दी थी।
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