मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद रविवार को पहली बार अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के ख़िलाफ़ बेहद आक्रामक नज़र आए। उन्होंने पीएम मोदी और बीजेपी को लेकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से पूछा कि आख़िर बेटा (बीजेपी) अपनी माँ (आरएसएस) को आँख दिखा रहा है तो उनको कैसा लग रहा है?
केजरीवाल ने कथित भ्रष्टाचारियों को बीजेपी में शामिल करने और 75 साल की उम्र में रिटायरमेंट के नियम को लेकर भी भागवत से सवाल किए। केजरीवाल ने पूछा, 'आपने क़ानून बनाया था कि 75 साल के बाद बीजेपी नेता रिटायर हो जाएँगे, आडवाणी जी को रिटायर कर दिया गया। जो नियम आडवाणी जी पर लागू हुआ, क्या वो मोदी जी पर लागू नहीं होना चाहिए?' उन्होंने कहा कि मैं पूरे सम्मान के साथ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जी से 5 सवाल पूछना चाहता हूँ।
Jantar Mantar पर @ArvindKejriwal जी के श्री Mohan Bhagwat से 5 सवाल | Full Speech LIVE https://t.co/ptTDJLTIgf
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दिल्ली के पूर्व सीएम आप द्वारा जंतर-मंतर पर आयोजित 'जनता की अदालत' में बोल रहे थे। उन्होंने पीएम मोदी से जुड़ा सवाल भी सीधे आरएसएस प्रमुख के सामने दागा है। उन्होंने कहा है, 'मोदी जी ने देश के सभी भ्रष्ट नेताओं को बीजेपी में शामिल कर लिया, जिन्हें उन्होंने ख़ुद सबसे बड़े भ्रष्टाचारी बताया था। क्या आपने ऐसी बीजेपी की परिकल्पना की थी? क्या आप बीजेपी के इन कदमों से सहमत हैं?'
अपने ऊपर मुक़दमा लादे जाने को लेकर केजरीवाल ने कहा, 'पिछले दस साल से हम दिल्ली में ईमानदारी से सरकार चला रहे हैं। जनता को फ़्री बिजली-पानी दे रहे हैं। महिलाओं की बस और बुजुर्गों को मुफ्त तीर्थ यात्रा की सुविधा दे रहे हैं। सरकारी स्कूलों और अस्पतालों को शानदार बना रहे हैं। इससे परेशान होकर मोदी जी ने सोचा कि अगर आम आदमी पार्टी से चुनाव जीतना है तो हमारी ईमानदारी पर चोट करो और इसलिए हमें झूठे मामले में फँसाकर जेल भेज दिया।'
केजरीवाल ने आगे कहा, 'मैं राजनीति में पैसे कमाने नहीं बल्कि देश और जनता की सेवा करने आया था और आज भी जनता की सेवा कर रहा हूं।' उन्होंने कहा, 'मैं नेता नहीं हूं, मेरी चमड़ी मोटी नहीं है। मुझे फ़र्क़ पड़ता है। जब बीजेपी वाले मुझ पर कीचड़ फेंकते हैं, मुझ पर झूठा आरोप लगाते हैं तो मुझे फ़र्क़ पड़ता है।'
उन्होंने कहा, 'मैंने अपने जीवन में इज्जत कमाई है और आज जब इन्होंने मुझ पर आरोप लगाया तो मर्यादा को ऊपर रखते हुए मैंने इस्तीफ़ा दे दिया और अब मैं अपना सरकारी घर भी छोड़ दूंगा।' पूर्व सीएम ने कहा,
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आज मेरे पास रहने के लिए घर भी नहीं है। मैंने 10 साल में जनता का प्यार और आशीर्वाद कमाया है और इसी प्यार की वजह से तमाम लोग मुझे अपने घर पर रहने के लिए बुला रहे हैं। मैं श्राद्ध के बाद मुख्यमंत्री आवास छोड़ दूँगा और आप लोगों में से ही किसी के घर में रहना शुरू कर दूँगा।
अरविंद केजरीवाल, सीएम
भाजपा में शामिल होने का दबाव था: सिसोदिया
आप के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि शराब नीति से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में उनकी गिरफ्तारी के बाद उन्हें अरविंद केजरीवाल के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश की गई।
BJP वाले मेरी और @ArvindKejriwal जी की दोस्ती तोड़ना चाहते थे, लेकिन वो ऐसा कर नहीं पाए। अगर रामायण में कभी राम जी और लक्ष्मण जी अलग होते और दोबारा मिलते तो ऐसे ही मिलते जैसे 13 सितंबर को केजरीवाल जी के जेल से बाहर आने बाद हम दोनों मिले थे। @msisodia… pic.twitter.com/auf1R5ofBP
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सिसोदिया ने कहा, "उन्होंने मुझे तोड़ने की कोशिश की। मुझे बताया गया कि अरविंद केजरीवाल ने मुझे फंसाया है। उन्होंने अदालत को बताया कि अरविंद केजरीवाल ने मनीष सिसोदिया का नाम लिया है। जेल में मुझसे कहा गया, 'केजरीवाल का नाम लो, तुम बच जाओगे'।"
सिसोदिया ने आरोप लगाया, "मुझसे कहा गया, 'बदल जाओ', 'वे तुम्हें जेल में मरवा देंगे'। मुझे अपने बारे में सोचने के लिए कहा गया, और कहा गया कि राजनीति में कोई भी किसी के बारे में नहीं सोचता। मुझे अपने परिवार, मेरी बीमार पत्नी और मेरे बेटे के बारे में सोचने के लिए कहा गया जो कॉलेज में है। मैंने उनसे कहा कि आप लक्ष्मण को राम से अलग करने की कोशिश कर रहे हैं। दुनिया के किसी भी रावण में ऐसा करने की शक्ति नहीं है। 26 साल से, अरविंद केजरीवाल मेरे भाई और राजनीतिक गुरु हैं।"
बता दें कि इससे पहले केजरीवाल ने अदालत में आरोप लगाया था कि मीडिया सीबीआई सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट कर रहा है कि उन्होंने सारा दोष मनीष सिसोदिया पर मढ़ दिया है। उन्होंने कहा, 'मैंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है कि सिसोदिया दोषी हैं या कोई और दोषी है। मैंने कहा है कि सिसोदिया निर्दोष हैं, आप निर्दोष है और मैं निर्दोष हूं।'
बहरहाल, सिसोदिया ने आरोप लगाया कि उन्हें और उनके पार्टी सहयोगियों को आप को तोड़ने के लिए गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने कहा कि वे न तो हमें अंदर से तोड़ सकते थे और न ही पार्टी को तोड़ सकते थे।
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