कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 24 जून को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) की बैठक बुलाई है। इसमें एआईसीसी के सभी महासचिव, राज्यों के प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष शामिल होंगे। माना जा रहा है कि इसमें देश में चल रहे ताज़ा राजनीतिक हालात पर तो चर्चा होगी ही, काफ़ी वक़्त से लटके मसलों जैसे- कांग्रेस अध्यक्ष और पार्टी के आंतरिक चुनाव पर चर्चा के साथ ही फ़ैसला भी लिया जा सकता है।
लोकसभा चुनाव 2019 के बाद से स्थायी अध्यक्ष चुने जाने और आंतरिक चुनाव की मांग को लेकर पार्टी में जबरदस्त घमासान हो चुका है।
सोनिया गांधी अस्वस्थता के बावजूद अध्यक्ष पद संभाले हुए हैं लेकिन ताज़ा हालात में जब असम, बंगाल, केरल, पुडुचेरी में पार्टी का प्रदर्शन बेहद ख़राब रहा है तो आलाकमान शायद नहीं चाहता कि इन मांगों को लेकर पार्टी नेता फिर से मीडिया के बीच जाकर बयानबाज़ी करें।
टालना पड़ा था चुनाव
बीते महीने 10 मई को पार्टी में फ़ैसले लेने वाली सर्वोच्च संस्था कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक बुलाई गई थी। बैठक को लेकर पहले यह ख़बर आई थी कि कांग्रेस आलाकमान ने एलान किया है कि 23 जून को पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराया जाएगा और इसके लिए 7 जून तक नामांकन किए जा सकेंगे।
लेकिन थोड़ी ही देर बाद ख़बर आई कि सीडब्ल्यूसी के अधिकांश सदस्यों ने इसका विरोध किया और उसके बाद अध्यक्ष पद पर चुनाव कराने का फ़ैसला टालना पड़ा। उन दिनों कोरोना महामारी की दूसरी लहर चरम पर थी और इसे ही वज़ह बताया गया था।
बड़ी चुनौतियों का साल है 2022
बता दें कि 2022 की शुरुआत में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा शामिल हैं। उसके बाद साल के आख़िर में हिमाचल प्रदेश और गुजरात में भी विधानसभा के चुनाव होने हैं। कांग्रेस को इन राज्यों में बेहतर प्रदर्शन करना होगा, वरना 2024 में एनडीए के ख़िलाफ़ बनने वाले गठबंधन के अगुवा बनने की उसकी दावेदारी कमजोर पड़ जाएगी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली ने हाल ही में कहा है कि कांग्रेस में बड़ी सर्जरी की ज़रूरत है और वह सिर्फ़ विरासत पर ही नहीं टिकी रह सकती। मोइली ने कहा है कि इसकी तुरंत ज़रूरत है और कल के लिए नहीं रुकना चाहिए।
कई राज्यों में बवाल
कांग्रेस चार राज्यों में ख़राब प्रदर्शन के कारण तो टूटी ही हुई है, उसकी कई राज्य इकाइयों में भी जबरदस्त बवाल चल रहा है। पंजाब में अमरिंदर सिंह बनाम नवजोत सिंह सिद्धू आमने-सामने हैं तो केरल कांग्रेस में वीडी सतीशन को विपक्ष का नेता बनाए जाने से रमेश चेन्निथला और ओमन चांडी गुट नाराज़ हैं।
राजस्थान में सचिन पायलट बनाम अशोक गहलोत का सियासी संघर्ष किसी से छुपा नहीं है और उत्तर प्रदेश में युवा चेहरे और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने पार्टी का साथ छोड़ दिया है।
कई नेता कतार में!
यह भी कहा जा रहा है कि जितिन प्रसाद के बाद कांग्रेस छोड़ने वाले संभावित नामों की सूची लंबी है। इनमें सचिन पायलट के अलावा हरियाणा से कांग्रेस के पूर्व सांसद नवीन जिंदल, पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह का भी नाम शामिल है। ये सभी वे लोग हैं जिन्हें टीम राहुल का हिस्सा कहा जाता है और मनमोहन सिंह की सरकार में राहुल ने इनमें से अधिकांश लोगों को मंत्री बनवाया था और इनका सियासी क़द बढ़ाया था।
पिछले साल कांग्रेस में उस वक़्त जबरदस्त भूचाल आया था, जब पार्टी के 23 वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर उनके नेतृत्व पर सवाल खड़े किए थे।
कांग्रेस में बाग़ी नेताओं के गुट यानी G-23 गुट के नेता- ग़ुलाम नबी आज़ाद, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, राज बब्बर, मनीष तिवारी, विवेक तन्खा व संदीप दीक्षित, शशि थरूर सहित कई अन्य नेता स्थायी अध्यक्ष के चयन और आंतरिक चुनाव की मांग कर चुके हैं।
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