लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के तीन हफ़्ते बाद कई बैठकों में ज़बरदस्त माथापच्ची के बाद आख़िरकार कांग्रेस ने लोकसभा में अपने नेता का चुनाव कर लिया है। कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल की बहरामपुर से लगातार पाँचवीं बार जीते अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा में संसदीय दल का नेता चुना है। यह वही अधीर रंजन हैं जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी ने संसद सत्र शुरू होने से एक दिन पहले ‘फ़ाइटर’ बताया था। बता दें कि लोकसभा में इस बार कांग्रेस के 52 सदस्य जीत कर आए हैं। आधिकारिक रूप से विपक्ष के नेता का दर्जा पाने के लिए कम से कम 55 सदस्य होना ज़रूरी है। लिहाज़ा अधीर रंजन चौधरी नेता विपक्ष तो नहीं कहलाएँगे मगर लोकसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के नेता होने के नाते उन्हें विपक्ष का नेता ज़रूर माना जाएगा।
अधीर रंजन चौधरी के लोकसभा में कांग्रेस का नेता चुने जाने को राजनीतिक गलियारों में हैरानी से देखा जा रहा है। लोकसभा चुनाव में क़रारी हार के बाद हुई कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने अपने इस्तीफ़े की पेशकश की थी। तब उन्होंने कहा था कि वह पार्टी के अध्यक्ष पद पर किसी भी सूरत में नहीं रहना चाहते हैं। लोकसभा में वह पार्टी का नेता बन सकते हैं। तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि राहुल गाँधी ही लोकसभा में कांग्रेस के नेता होंगे। लेकिन पिछले कई दिन से इस मुद्दे पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की चल रही बैठकों में एक बार भी ऐसे संकेत नहीं मिले कि राहुल गाँधी को लोकसभा में नेता बनाने पर विचार किया गया है।
शशि थरूर, मनीष तिवारी भी थे रेस में
इन बैठकों में अधीर रंजन चौधरी के अलावा जिन नामों पर चर्चा हुई उनमें केरल से जीते के. सुरेश और शशि थरूर के अलावा पंजाब से जीते मनीष तिवारी का नाम भी शामिल था। कई दौर की बैठकों के बाद मंगलवार सुबह दस जनपथ पर सोनिया गाँधी की अगुवाई में हुई बैठक में अधीर रंजन चौधरी के नाम पर ही मोहर लगी। हालाँकि पिछले तीन दिन से इस बात के संकेत मिल रहे थे कि अधीर रंजन चौधरी ही लोकसभा में कांग्रेस के नेता होंगे। लेकिन मनीष तिवारी और शशि थरूर के साथ उनका कड़ा मुक़ाबला बताया जा रहा था। आख़िर में चौधरी का तजुर्बा और 'फ़ाइटर' वाली छवि ने उनके पक्ष में फ़ैसला करने में अहम भूमिका निभाई। बता दें कि अधीर रंजन चौधरी ने लगातार पाँचवीं बार लोकसभा का चुनाव जीता है, जबकि शशि थरूर ने तीसरी बार और मनीष तिवारी दूसरी बार जीत कर लोकसभा पहुँचे हैं।
राजनीतिक गलियारों में यह सवाल उठ रहा है कि आख़िर कांग्रेस ने उस राज्य से लोकसभा में अपना नेता क्यों चुना है जहाँ से वह सिर्फ़ एक सीट जीती है, जिस राज्य में कांग्रेस ने सबसे ज़्यादा 14 सीटें जीती हैं वहाँ से कांग्रेस ने लोकसभा में नेता क्यों नहीं चुना?
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने यह सवाल पूछे जाने पर साफ़ कहा कि इसके संकेत साफ़ हैं कि राहुल गाँधी कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे। थोड़ी बहुत मान-मनौवल के बाद वह कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने के लिए राज़ी हो जाएँगे। ऐसे में कांग्रेस का अध्यक्ष और लोकसभा में नेता, दोनों को एक ही राज्य से चुनना बाक़ी राज्यों की अनदेखी का संकेत दे सकता था। वैसे भी, लोकसभा में कांग्रेस को एक ऐसे नेता की अगुवाई की ज़रूरत है जो सदन में कम संख्या होने के बावजूद सत्ता पक्ष को कड़ी चुनौती दे सके। इस मामले में अधीर रंजन चौधरी का पलड़ा शशि थरूर और मनीष तिवारी के मुक़ाबले ज़्यादा भारी रहा।
मोदी ने अधीर रंजन को क्यों बताया था फ़ाइटर?
ग़ौरतलब है कि संसद का सत्र शुरू होने से 1 दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अधीर रंजन चौधरी की जमकर तारीफ़ की थी और उनकी पीठ थपथपाते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के सामने उन्हें फ़ाइटर बताया था। रविवार को प्रधानमंत्री से मिलने गए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद और आनंद शर्मा के साथ अधीर रंजन चौधरी भी थे। बैठक के बाद प्रधानमंत्री ने चौधरी की पीठ थपथपाते हुए कहा था कि वह एक 'फ़ाइटर' हैं। पीएम की इस तारीफ़ से गदगद अधीर रंजन चौधरी ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि वह बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा था, 'मेरी किसी से निजी दुश्मनी नहीं है। संसद में हम जनप्रतिनिधि हैं। बीजेपी वाले भी जनप्रतिनिधि हैं। हम अपनी आवाज़ उठाएँगे और वह अपना काम करेंगे। हम संसद में बोलने जा रहे हैं, न कि जंग के मैदान में।'
सोमवार को संसद-सत्र शुरू होने के बाद सदन में भी प्रधानमंत्री ने रंजन चौधरी की तारीफ़ की थी। यह इस बात का संकेत था कि वह लोकसभा में कांग्रेस के नेता होने जा रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में यह सवाल भी पूछा जा रहा है कि क्या मोदी की तारीफ़ के बाद ही कांग्रेस ने अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा में नेता चुना है?
इससे पहले कांग्रेस से ख़बरें आ रही थीं कि मनीष तिवारी के नेता चुने जाने की संभावना सबसे ज़्यादा है। वह एनएसयूआई और युवक कांग्रेस से आते हैं। लिहाज़ा सांगठनिक तौर पर सबसे मज़बूत माने जाते हैं। इसके अलावा बहुत अच्छी हिंदी बोलते हैं। अक्सर राहुल गाँधी की प्रेस कॉन्फ़्रेंस और कांग्रेस की तरफ़ से सफ़ाई देने के लिए रणदीप सुरजेवाला के बाद मनीष तिवारी ही सबसे आगे रहते हैं। हालाँकि शशि थरूर भी इस दौड़ में शामिल थे। थरूर 'सॉफ़्ट स्पोकन' यानी नरम लहज़े वाले वाले जाते हैं। कांग्रेस को लोकसभा में एक आक्रामक नेता की ज़रूरत थी, इस लिहाज़ से अधीर रंजन चौधरी दोनों पर भारी पड़े।
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