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राष्ट्रपति चुनाव: आम आदमी पार्टी ने दिया यशवंत सिन्हा को समर्थन 

दिल्ली और पंजाब में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी ने फैसला किया है कि वह राष्ट्रपति चुनाव में कुछ विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का समर्थन करेगी। शनिवार को हुई आम आदमी पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया। राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान 18 जुलाई को होगा जबकि नतीजे 21 जुलाई को आएंगे।

जबकि कई दिन तक चली उहापोह के बाद जेडीएस और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का एलान किया है। झामुमो बिहार में कांग्रेस और आरजेडी के साथ मिलकर सरकार चला रहा है।

एक के बाद एक विपक्षी दलों के द्वारा झटका दिए जाने के बाद यशवंत सिन्हा को आम आदमी पार्टी के इस समर्थन से कुछ राहत जरूर मिली है।
ताजा सूरत ए हाल देखकर ऐसा लगता है कि राष्ट्रपति चुनाव में अब वोटिंग महज औपचारिकता रह गई है और एनडीए की उम्मीदवार बड़े मार्जिन के साथ इस चुनाव में जीत हासिल कर सकती हैं।

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कई विपक्षी दलों का समर्थन

द्रौपदी मुर्मू को कई विपक्षी दलों का साथ मिल चुका है। बीएसपी, बीजू जनता दल, वाईएसआर कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल, तेलुगू देशम पार्टी सहित कई विपक्षी दल द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में आगे आए हैं। जनता दल (सेक्युलर) यानी जेडीएस भी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर सकता है। 

जबकि कुछ विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के साथ कांग्रेस, एनसीपी, टीआरस, आरजेडी, राष्ट्रीय लोकदल, सपा, नेशनल कॉन्फ्रेन्स, टीएमसी आदि दलों का समर्थन है।

एनडीए के पास हैं 49 फीसदी वोट

राष्ट्रपति के चुनाव में 776 सांसद और 4033 विधायक मतदान करेंगे। इस तरह इस चुनाव में कुल 4809 मतदाता हैं। सांसदों के वोट की कुल वैल्यू 5,43,200 है जबकि विधायकों के वोट की वैल्यू 5,43,231 है और यह कुल मिलाकर 10,86,431 होती है। इसमें से जिस उम्मीदवार को 50 फ़ीसद से ज्यादा वोट मिलेंगे, वह जीत जाएगा। एनडीए के पास इसमें से 5,32,351 यानी 49 फीसदी वोट हैं। 

AAP support Opposition candidate Yashwant Sinha in Presidential poll 2022 - Satya Hindi

कौन हैं यशवंत सिन्हा 

यशवंत सिन्हा अटल बिहारी वाजपेयी और चंद्रशेखर की सरकारों में मंत्री रहे हैं। यशवंत सिन्हा मूल रूप से पटना के रहने वाले हैं और उनका लगभग 4 दशक का राजनीतिक करियर रहा है। यशवंत सिन्हा आईएएस अफसर रहे हैं और जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से प्रभावित होकर उन्होंने प्रशासनिक सेवा की नौकरी छोड़ दी थी और 1984 में जनता पार्टी में शामिल होकर अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी। 

यशवंत सिन्हा को 1984 में जनता पार्टी ने झारखंड की हजारीबाग सीट से उम्मीदवार बनाया था लेकिन वह तीसरे नंबर पर आए थे। 1986 में जनता पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया और 1988 में वह पहली बार राज्यसभा पहुंचे। 1989 में जनता दल का गठन होने के बाद यशवंत सिन्हा को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया।

जनता पार्टी को 1989 के आम चुनाव में 143 सीटों पर जीत मिली थी और उसने वीपी सिंह के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनाई थी। इस सरकार को बीजेपी और वाम दलों ने भी समर्थन दिया था। अपनी ऑटोबायोग्राफी में यशवंत सिन्हा ने इस बात को कहा है कि वीपी सिंह ने उन्हें उस सरकार में मंत्री बनने का ऑफर दिया था लेकिन उन्होंने मंत्री बनने से इनकार कर दिया था। 

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आडवाणी के करीबियों में शुमार 

यशवंत सिन्हा को बीजेपी में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के करीबियों में शुमार किया जाता रहा। 1999 में बनी बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार में यशवंत सिन्हा को वित्त मंत्री बनाया गया। एनडीए को 2004 के लोकसभा चुनाव में हार मिली थी और यशवंत सिन्हा भी हजारीबाग सीट से चुनाव हार गए थे। 

लेकिन बीजेपी ने यशवंत सिन्हा को प्रमोट करते हुए उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया और साल 2009 के लोकसभा चुनाव में वह हजारीबाग सीट से चुनाव जीते। 

2021 में यशवंत सिन्हा ने तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन कर ली और उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया। यशवंत सिन्हा बीते कई सालों में मोदी सरकार के कई फैसलों की खुलकर आलोचना करते रहे हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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