loader

मोदी जी, आपके पाँव कहाँ हैं?

बनारस में एक ऐतिहासिक विश्वविद्यालय है जिसकी नींव महात्मा गाँधी ने रखी है, यह है काशी विद्यापीठ जो कालांतर में महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ में तब्दील हो गया। विकेन्द्रित हुक़ूमत और ख़ुदमुख़्तारी का बड़ा पाठ इल्म का हिस्सा बना। केवल अक्षरों में नहीं बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी में भी। छात्र संघ इसी का एक भाग है।
  • काशी विद्यापीठ छात्र संघ का स्वर्णिम इतिहास रहा है। यहाँ के छात्र संघ से बेहतर नेता निकलते रहे हैं, जिन्होंने न केवल राज्य को बल्कि देश को बुलंदी दी है। लेकिन उसी छात्र संघ ने दो साल से अपने चुनाव को मज़ाक बना कर रख दिया है। चुनाव लड़ रहे छात्र नेता, चुनाव के दिन सड़क पर गमछा बिछाकर, बक़ायदा लेटकर, वोट देने जा रहे छात्रों के पैर पकड़ कर रुदन के साथ वोट माँगते देखे गए और नेताओं में पाँव पकड़ने की होड़ लगने लगी।
PM Modi washes feet of sanitary workers - Satya Hindi
काशी विद्यापीठ में चुनाव के दौरान वोट माँगते छात्र नेता।

यहीं से पाँव पकड़ना, पाँव पखाराना, पाँव लग्गी, सियासत में प्रवेश कर गयी। सियासत में मनमोहक औज़ार नीचे से चला और ऊपर तक जा पहुँचा। कल तो हद का भी बांध भसक गया जब 56 इंच वाले प्रधानमंत्री झुक कर अदब से सफ़ाईकर्मियों के पैर धोने के लिए झुक गए और वह भी पूरे कर्मकांड के साथ। 

अगर आपने ग़ौर से देखा हो तो शायद यह पहली बार हुआ है जब 'पांव पखारन' कांड शुरू हुआ तो प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले दरवाज़े के पास झुक कर पाँव के उपान (जूता) को इज़हारे-इज़्ज़त के साथ दूर पर ही उतार दिया। बड़ा टोटका हुआ। हर जोड़ी पैर अलग-अलग जलपात्रों में धुला, अलग-अलग तौलिये से पैर पोछे गए, वगैरह-वगैरह। 
एक गिरोही जो हमारा दोस्त है, मजा लेता है, बोला--'ख़बर अच्छी बनी। अब तक कोई ऐसा प्रधानमंत्री हुआ है?’ 
हमने कहा, ‘कोई नहीं, यह सच है, इस तरह का प्रधानमंत्री कोई नहीं हुआ और न शायद हो। बंदा तवारीख़ में अकेला रहेगा, इसकी कार्बन कॉपी तक नही मिलेगी।'

आख़िर ऐसी भी क्या मजबूरी थी?

सियासत में जब नीति, कार्यक्रम, उसूल, सब ख़राब हो जाएँ तो नेतृत्व थक कर पैर पकड़ने लगता है। वही हाल इस समय सरकारी दल का हो चुका है। अब सवाल यह है कि प्रधानमंत्री की वह कौन सी मजबूरी है जिसने उन्हें इतना झुका दिया? सीधा-सा उत्तर तो यही होता है कि चुनाव में उन जातियों का मनोविज्ञान क्या बोल रहा है?

आख़िरी पायदान पर किसी तरह जिंदगी बसर करने वाले मज़बूर, मज़लूम जो अब तक किसी तरह अपनी जिन्दगी जी रहे थे, चार साल के दरमियान उनकी जिंदगी ही ख़ौफ़ में खड़ी हो गई। 
कभी गोवध के बहाने, कभी मज़हब के बहाने और इसके अलावा सामाजिक व आर्थिक विपन्नता तो और भी चरम पर हो ही गई।
इस पर भी तुर्रा यह कि अगर ये जातियाँ जिनमें आदिवासी भी आते हैं, जिनके प्रति संघी घराने की जो नीयत अब तक पर्दे में रही थी, सरकार बनते ही उघार हो गई। पर जम्हूरी निज़ाम में सुक्खी मेहतरानी और महल की रानी में कोई भेद नहीं है। सब के वित्त की क़ीमत एक ही है।
अब बहुत देर हो चुकी है और सत्ता की विश्वसनीयता जब उनके संगठन में ही यक़ीन के क़ाबिल नहीं रही तो अवाम तो सब जानती ही है। 
सफ़ाईकर्मी को पाँव नहीं धुलवाने हैं, उसे उनके पेशे से जुड़ी सहूलियत और सुविधा चाहिए, कर्मकांड नहीं।

एक रफ़ाल लड़ाकू विमान कम करके देश के सफ़ाईकर्मियों के लिए सफ़ाई की विकसित सुविधा और यंत्र दिए जा सकते हैं। जनाबे आली, सोच का नज़रिया साफ़ करिए, पाँव ख़ुद साफ़ हो जाएँगे इसके लिए पाँव को ज़मीन पर रखना होगा। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
चंचल
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

विचार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें