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मोदी जी, देश में कई सिंगापुर बनाना छोड़िये, सोमालिया बनना रोकिये!

मोदी जी, सिंगापुर “मच्योर 28एनएम के बड़े चिप” बनाता है जो केवल इंडस्ट्रीज, ऑटोमोबाइल्स और एप्लायंसेज में ही काम आती हैं। भारत को आने वाले एआई एप्लीकेशन के लिए 7एनएम और छोटे चिप चाहिए। ताइवान और अमेरिका को संतुष्ट करने के लिए देश का माहौल बदलिए।
एन.के. सिंह

जिस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सेमी-कंडक्टर-इकोसिस्टम पार्टनरशिप के एमओयू लिए सिंगापुर जा कर वहाँ के पीएम के सामने दावा किया कि भारत में वह कई सिंगापुर बनाना चाहते हैं, उसके एक दिन बाद भारत की इलेक्ट्रॉनिक कैपिटल बेंगलुरु में एक उत्तर भारतीय महिला “टेकी” को कन्नड़ न बोलने की वजह से नाराज टैक्सी ड्राइवर ने गाड़ी से उतार दिया। राज्य के लोगों को खुश करने की राजनीति के तहत उद्योगों में आरक्षण देने का कर्नाटक सरकार का विधेयक, जिसे बाद में उद्योगों के दबाव में रोका गया, आज भी उद्योगों को डरा रहा है। उधर देश की राजधानी से सटे फरीदाबाद मे स्वयंभू गौ-रक्षकों ने 29 किलोमीटर पीछा कर एक युवक को गौ-मांस का तस्कर समझ कर गोली मारकर हत्या कर दी। इस हत्यारे को पुलिस ने गौ-रक्षा के लिए गैर-राजकीय संस्था का सदस्य बनाया था यानी राज्य का प्रश्रय भी मिला था। देश में इसके पहले धार्मिक प्रतीकों के विवाद में कई मुसलमान –अखलाक, तबरेज, जुनैद, पहलू खान, वसीम –की हत्या पूरी दुनिया के अख़बारों में सुर्ख़ियों में रही।

मोदी जी, अब जब आप दावा (या इसका उल्टा वादा) करते हैं तो हास्यास्पद लगता है। “ये मोदी का वादा है” से आपके वोट घट रहे हैं।

दस साल पहले चुनावी मंचों से किसी उभरते नेता का दावा कि उसके जीतने के बाद हर गरीब की जेब में 15 लाख रुपये होंगे, जो बाद में “जुमला” बताया गया, तो एक-आध बार चल जाता है लेकिन प्रति-व्यक्ति आय में दुनिया के दूसरे-तीसरे नंबर पर आने वाले (और वह भी मात्र चंद दशकों में) औद्योगिक रूप से बेहद समर्थ देश के प्रधानमंत्री के ही सामने इस पैमाने पर 136 स्थान पर रहने वाले देश के पीएम का ऐसा दावा करना अंतरराष्ट्रीय मजाक का सबब बन गया है। ऐसे दावों को सुन कर आपके स्वास्थ्य पर चिंता होती है।

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मोदी जी, क्या आपको अहसास भी है कि आप सिंगापुर में क्या दावा कर आये हैं? सिंगापुर का क्षेत्रफल दिल्ली के लगभग आधा है और आबादी भारत के किसी औसत ज़िले के बराबर या दिल्ली की एक-चौथाई। लेकिन इस देश की प्रति-व्यक्ति आय भारत से 40 गुना ज्यादा है। दुनिया की 15 सबसे बड़ी सेमीकंडक्टर कंपनियों में से नौ ने 15 X 25 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाले देश में अपने उद्यम लगाये हैं।

भ्रष्टाचार में जहां मोदी जी, आप पर कुछ खास बिज़नस घरानों को नीतिगत बदलाव से फायदा पहुँचाने का आरोप है और जहां के शेयर-मार्किट रेगुलेटर –सेबी—की चेयरपर्सन पर उनमें से एक उद्योगपति के साथ साठगाँठ के स्पष्ट सबूत हैं वहीं सिंगापुर भ्रष्टाचार इंडेक्स में शीर्ष के उन पांच देशों में है जहां यह बीमारी लगभग नगण्य है। और मोदी जी, इसका कारण जानते हैं, क्या है? राज्य शक्तियों का प्रयोग निजी उद्योगों को नए राष्ट्र-निर्माण के लिए (न कि मात्र लाभ कमाने के लिए) मजबूर करने में किया जाना। यानी वहाँ के उद्योगपतियों ने शेयरमार्केट को “मैनिपुलेट” (अपने लाभ के लिए अनैतिक प्रबंधन) करने में पैसा नहीं लगाया।

मोदी जी, शाश्वत चुनावी मोड़ में असत्य या आभासित सत्य बोलने की जगह गहरे से सोचते तो दस साल में सही शिक्षा नीति ला कर युवाओं की स्किलिंग करते। और तब ताइवानी विदेश मंत्री सहित कई सेमीकंडक्टर कंपनियाँ यह न कहतीं कि भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए स्किल्ड प्रोफेशनल नहीं हैं, पॉलिसीज और माहौल ठीक नहीं है। आखिर क्या वजह है कि 50 प्रतिशत सब्सिडी देने के बावजूद ताइवान की एक छोटी कंपनी ने बगैर कोई इन्वेस्टमेंट किये यहाँ आने का एक निजी घराने से अनुबंध किया है सिर्फ तकनीकी ज्ञान देने की शर्त पर। टीएसएमसी (ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कम्पनी) ने क्या भारत की तरफ़ रुख भी किया जबकि भारतीय अधिकारी एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे थे? और उसका जबाव वही था जो ऊपर बताया गया है।

मोदी जी, आपने अपनी अदूरदर्शी दृष्टि के कारण देश के दो नुक़सान किये। सन 2018 से भारत डेमोग्राफिक डिविडेंड के दौर में आ गया। यानी 15 से 59 वर्ष से कम की उम्र के लोगों की संख्या बच्चों और बुजुर्गों की कुल संख्या से बढ़ गयी। यह चरण 2034 पर चरम पर होगा और फिर ढलने लगेगा। सरकार की ही एनएचएफ़एस-5 की रिपोर्ट में जब आपके शासन में पांच साल तक के बच्चों में कुपोषण-जनित दुबलापन, नाटापन और जन्म के समय कम वजन जैसी अक्षमता की रिपोर्ट आयी तो रिपोर्ट बनाने वाले शीर्ष अधिकारी को हटा दिया गया। इस शुतुरमुर्गी भाव का नतीजा यह है कि ऐसे कुपोषित बच्चे किशोर और युवा के रूप में बकौल डब्ल्यूएचओ मानसिक और शारीरिक रूप से अपेक्षाकृत कमजोर होंगे और उच्च-स्तरीय उत्पादन प्रक्रिया में अन्य देशों के मुक़ाबले अपना योगदान नहीं दे पायेंगे। 
भारत और उसके कई राज्य आज भी बाल-कुपोषण के पैमाने पर सोमालिया के समकक्ष है।

मोदी जी, यही कारण है कि आज से 40 साल पहले सिंगापुर सेमीकंडक्टर बनाने की प्रक्रिया में अमेरिका से समझौते कर रहा था जबकि आप अपने शासन के दस साल बीतने के बाद भी एक अच्छी कंपनी को आकर्षित नहीं कर सके। 

जिन युवाओं को आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (एआई) के दौर में 7एनएम (नैनो मीटर प्रोसेस नोड्स) या उससे भी छोटे लॉजिक चिप बनाने का ज्ञान हासिल करना था जिससे भारत में सिंगापुर बनता, उन्हें तो आपकी सत्ताधारी पार्टी –भारतीय जनता पार्टी – ने गौरक्षा में लगा कर गौमांस तलाशने और शक होने पर भीड़-न्याय के तहत हत्या करने में लगा दिया। तभी तो फरीदाबाद में गौ-रक्षा के नाम पर एक युवा को गोली मारने वाला अनिल कौशिक “लिव फॉर नेशन” (राष्ट्र के लिए जीयें) नामक संस्था चलाता है। राष्ट्र बचाने के लिए किसी को अवैध पिस्टल से गोली मारना क्या किसी नैनो चिप टेक्नोलोजी जानने और उसे बनाने से कम “पवित्र” काम है? पिछले कुछ सालों में ऐसे कई और भी गौ-रक्षक मुसलमानों को सरेआम मारते रहे और स्थानीय भाजपा सरकार की पुलिस ने उनकी राष्ट्र सेवा देखा कर या तो केस कमजोर कर दिया या पीड़ित मुस्लिम परिवार पर दबाव डाला। इन युवाओं को समझ आयी कि पढ़ाई की जगह राष्ट्र निर्माण ज्यादा ज़रूरी है। और जो मुसलमान “वन्दे मातरम” का नारा इनके कहने पर न लगाये, वह राष्ट्र भक्त कैसे होगा?

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मोदी जी, इतना सब होने के बाद आज आपको सुध आयी है कि भारत में सेमी-कंडक्टर बनना चाहिए। लेकिन कहाँ है स्किल्ड युवा? आज भी सेमी-कंडक्टर की शिक्षा का पहली बार एक कोर्स मात्र एक आईआईटी और एक बेंगलुरु-स्थित इंस्टिट्यूट में डिग्री में लाने की सोची जा रही है।

वैसे भी मोदी जी, सिंगापुर “मच्योर 28एनएम के बड़े चिप” बनाता है जो केवल इंडस्ट्रीज, ऑटोमोबाइल्स और एप्लायंसेज में ही काम आती हैं। भारत को आने वाले एआई एप्लीकेशन के लिए 7एनएम और छोटे चिप चाहिए। ताइवान और अमेरिका को संतुष्ट करने के लिए देश का माहौल बदलिए।

मोदी जी, वैसे आपने अपनी गलती का अहसास कर कुछ बदलाव तो किया है लेकिन क्या गलत “कोर वैल्यू” को भी बदलेंगे।

(एनके सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और ब्रॉडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन के पूर्व महासचिव हैं।)
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