'शार्ली एब्दो' में प्रकाशित कार्टून दिखाने पर शिक्षक सैमुअल पैटी की हत्या कर दी गई। लेकिन क्या इसलाम के लिए कार्टून या फिर उसकी आलोचना करने वाले व इसके पूर्वाग्रही विरोधी घातक हैं?
मुंबई पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने के एक आपराधिक कृत्य में ‘रिपब्लिक टीवी’ के सम्पादक अर्णब गोस्वामी को गिरफ़्तार किया तो बीजेपी समर्थन में क्यों कूद पड़ी? बीजेपी शासित राज्यों में पत्रकारों के साथ कैसा सलूक?
डोनल्ड ट्रम्प अमेरिकी विदेश और समर नीति में जो विरासत छोड़ गए हैं, उनमें मौलिक बदलाव अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडन कर सकेंगे या नहीं, इस पर सामरिक हलकों में बहस छिड़ गई है।
सदियों से दबे वर्ग में सशक्तिकरण की झूठी चेतना पैदा करने की उत्तर प्रदेश और बिहार बड़ी प्रयोगशालाएं रही हैं। साल 2000 की ही बात है, बिहार विधानसभा चुनाव में लालू यादव यादव-बाहुल्य वाले राघोपुर क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे। फिर क्या हुआ?
बिहार विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने तेजस्वी को ‘जंगलराज का युवराज’ कहा। वह क्यों इशारों में लालू यादव के शासन को जंगलराज कह रहे थे? यदि वह अगड़ी जाति से होते तो क्या ‘जंगलराज’ कहा जाता?
मायावती ने तीन दिन में दो बार पलटी मारी है। पहले उन्होंने कहा कि वह समाजवादी पार्टी को हराने के लिये बीजेपी को भी सपोर्ट कर सकती हैं। आख़िर मायावती ने यह क्यों कहा?
अमेरिकी चुनाव में किसकी जीत भारतीयों के लिए ज़्यादा फ़ायदेमंद होगी- डोनल्ड ट्रंप की या फिर जो बाइडन की? और इनमें से किससे भारत को ज़्यादा नुक़सान होगा?
मुंबई पुलिस ने जब से अर्णब गोस्वामी को गिरफ़्तार किया है, बीजेपी के नेता इसे प्रेस की आज़ादी पर हमला बता रहे हैं और उन्होंने इसकी तुलना आपातकाल से कर दी है।
मथुरा के एक मंदिर में नमाज़ पढ़ने के अपराध में पुलिस चार नौजवानों को गिरफ्तार करने में जुटी हुई है। क्या अमीर खुसरो, रसखान, ताजबीबी, आलम और नज़ीर जैसे कृष्णभक्तों को आप क्या फाँसी पर लटकाना चाहेंगे?
मथुरा के नंदगाँव में नंदबाबा मंदिर परिसर में नमाज़ पढ़ने की तसवीर से हंगामा बरपा है। दो मुसलिम और दो हिन्दू देश में भाईचारगी का संदेश देने के लिए निकले थे। मगर, ऐसी बहस को जन्म दे बैठे जो भाईचारगी को नुक़सान पहुँचाती है।
चुनाव आयोग यह तो ठीक कर रहा है कि वह नेताओं पर उंगली उठाता है लेकिन उसे सख्त क़दम तभी उठाना चाहिए जबकि वाकई कोई नेता बहुत ही आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करे।
नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ इस समय एक ज़बरदस्त माहौल है। नीतीश को देश में ग़ैर-कांग्रेसी और ग़ैर-भाजपाई विपक्ष के किसी संभावित गठबंधन के लिहाज़ से क्या कमज़ोर होते देखना ठीक होगा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुखी हैं कि पुलवामा हमले के बाद ‘भद्दी राजनीति’ हुई। उनका दुख तब सामने आया है जब पाकिस्तान की संसद में मंत्री फ़वाद चौधरी ने कहा है कि पुलवामा हमला ‘पाकिस्तान की उपलब्धि’ है।