दुनिया के सबसे बड़े साझा बाज़ार (रिसेप) की घोषणा वियतनाम में हो गई है। इसमें 15 देश शामिल होंगे और अगले दो वर्ष में यह चालू हो जाएगा। साझा बाज़ार का अर्थ यह हुआ कि इन सारे देशों का माल-ताल एक-दूसरे के यहाँ मुक्त रूप से बेचा और खरीदा जा सकेगा।
बहुत सारे लोगों ने तब राय ज़ाहिर की थी कि सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के 'अपराध' में वकील प्रशांत भूषण को बजाय एक रुपया जुर्माना भरने के तीन महीने का कारावास स्वीकार करना चाहिए था।
आज गोवर्धन पूजा का दिन है। यह पर्व भारतीय संस्कृति में स्थापित मान्यताओं के प्रति उस पहले विद्रोह का प्रतीक भी है, जो द्वापर युग में देवराज इंद्र की निरंकुश सत्ता-व्यवस्था के ख़िलाफ़ कृष्ण के नेतृत्व में हुआ था।
कुछ दिन पहले भारत को विश्व स्वास्थ्य संगठन का अध्यक्ष चुना ही गया था, अब उससे भी बड़ी और अच्छी ख़बर आई है। वह यह है कि यह संगठन आयुर्वेद का एक विश्व केंद्र भारत में स्थापित करेगा।
बिहार में सांप्रदायिकता के बरक्स रोज़गार और विकास का काउंटर नैरेटिव खड़ा किया गया। तेजस्वी ने बीजेपी और नीतीश को अपने एजेंडे पर आने के लिए मजबूर किया। चुनाव के नतीजे कुछ भी रहे हों क्या आगे की राजनीति बदलेगी?
क्या सच में भारतीय राजनीति बदल गई है? क्या भारतीय चुनावों में बेरोज़गारी, मूल्य वृद्धि और ऐसे अन्य कारक मायने रखते हैं? इस पर जस्टिस मार्कंडेय काटजू क्या सोचते हैं?
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बड़ा बुनियादी सवाल खड़ा कर दिया।
जब राजनीति में जम कर धर्म का घोल मिलाया जा रहा हो, जब धर्म के नाम पर हक़ जायज़ और नाजायज़ बातों को सही ठहराया जा रहा हो, तब जवाहर लाल नेहरू की याद आना स्वाभाविक है।
‘ज्ञान के मसीहाओं’ ने अपने मूल्यों को जीवित रखने के लिए सांस्कृतिक त्योहारों का निर्माण किया तो ‘अज्ञानता के तानाशाहों’ ने उन्हीं त्योहारों को धार्मिक स्वरूप प्रदान कर घृणा का औजार बना दिया।