नीट पेपर लीक मामले में भले ही सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला जो कुछ भी आए, लेकिन एक तो तय है कि धर्मेन्द्र प्रधान और नरेंद्र मोदी सरकार की परीक्षा अभी से शुरू हो गई है?
डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले के संदर्भ में बीजेपी के आईटी सेल के चेयरमैन अमित मालवीय ने दावा किया कि जैसे अमेरिका में ट्रंप विरोधियों के बनाये माहौल का नतीजा जानलेवा गोलीबारी है वैसा ही परिणाम राहुल के बनाये मोदी विरोधी माहौल का भी हो सकता है।
क्या राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में सत्ता संघर्ष या वैचारिक अंतर्विरोध को लेकर किसी तरह का घमासान मचा हुआ है? संघ के सामने यह मुश्किल क्यों है कि हिंदू समाज को अपने पीछे गोलबंद भी करना है और उसकी सच्चाई से रूबरू भी नहीं होना है?
रोजमर्रा की सबसे बड़ी ज़रूरत वाली तीन सब्जियों- आलू, प्याज और टमाटर की महंगाई आख़िर बार-बार आसमान क्यों छू लेती है? किसान कभी सब्जियाँ सड़कों पर फेंकने को मजबूर होते हैं तो कभी ग़रीबों की इसको ख़रीदने की क्षमता तक नहीं बच पाती?
क्या भारत में रोजगार की स्थिति बेहद ख़राब नहीं है? गुजरात के भरूच में 10 नौकरियों के लिए इंटरव्यू में सैकड़ों की तादाद में युवाओं के पहुँचने से क्या संकेत मिलते हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने जैसा फ़ैसला अब मुस्लिम महिलाओं के गुज़ारा भत्ता को लेकर दिया है, वैसा ही फ़ैसला 1985 में भी दिया था। लेकिन उस फ़ैसले के बाद कांग्रेस के रवैये ने देश की राजनीति बदल दी। क्या अब फ़ैसले का स्वागत होगा?
कर्नाटक भाजपा के सात बार के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश जिगाजिनागी ने दलितों को लेकर आख़िर अपनी ही पार्टी के ख़िलाफ़ इस तरह खुलकर क्यों बोल रहे हैं? जानिए, बीजेपी में दलितों को लेकर क्या सोच रही है।
कठुआ के बनडोटा गाँव के पास आतंकियों ने घात लगाकर फौजी वाहन पर हमला किया। उससे एक दिन पहले भी आतंकियों के साथ मुठभेड़ हुई थी। श्रद्धालुओं वाली बस पर भी हमला किया गया। आख़िर ये हमले क्यों बढ़ रहे हैं?
इंदिरा गांधी ने 1975 में आपातकाल लगाया था। लेकिन अब उस आपातकाल की तुलना अघोषित आपातकाल से क्यों की जा रही है? आख़िर इन दोनों में से बदतर क्या है- घोषित या अघोषित आपातकाल?
कांग्रेस द्वारा आरोप लगाया जाता रहा है कि विरोधी राहुल गांधी की छवि ख़राब करने के लिए करोड़ों रुपये बहा रहे हैं। तो ऐसा होने के बाद भी अब राहुल की लोकप्रियता तेजी से कैसे बढ़ने लगी?
विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन द्वारा संविधान को मुद्दा बनाए जाने के बीच सत्ता पक्ष की ओर से आपातकाल को फिर से जोर-शोर से मुद्दा बनाया जा रहा है। आख़िर इस पर अब इतना जोर क्यों?