राम जन्मभूमि आंदोलन और हिंदुत्व की पहली प्रयोगशाला यूपी में बीजेपी को हार का डर क्यों सता रहा है? पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में विपक्षियों का सूपड़ा साफ करने वाली बीजेपी इतनी बेचैन क्यों है?
सरकार ने कोरोना की वैश्विक महामारी से निपटने के सिलसिले में हर फ़ैसला अपने राजनीतिक नफा-नुक़सान को ध्यान में रखकर और अपनी छवि चमकाने के मक़सद से किया है। इससे कोरोना वैक्सीनेशन का अभियान भी बुरी तरह लड़खड़ा गया है।
उत्तर प्रदेश में बीजेपी का ‘अंगद का पांव’ हिलने लगा है। क्या उसे प्रदेश में पार्टी के भीतर चल रहे राजनीतिक भूकंप से अपनी ज़मीन हिलने का अहसास हो गया है? क़रीब दस दिनों से यूपी बीजेपी में हंगामा क्यों मचा हुआ है?
क्या आरएसएस का सेवा कार्य विशुद्ध रूप से राजनीतिक है, लोक कल्याण नहीं? क्या लोक कल्याण आरएसएस का सिर्फ़ मुखौटा है? कोरोना काल में आरएसएस का कौन सा मुखौटा दिखा है?
हमें एक ऐसे परिदृश्य की कल्पना करना प्रारम्भ कर देना चाहिए जिसमें फ़ेसबुक, ट्विटर, वाट्सऐप, इंस्टा, आदि जैसे सभी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म या तो हमसे छीन लिए जाएँगे या उन पर व्यवस्था का कड़ा नियंत्रण हो जाएगा।
बाबा रामदेव अपने बयानों को लेकर आजकल फिर सुर्खियों में हैं। कोरोना महामारी में हो रही मौतों के लिए एलोपैथ और डॉक्टरों को जिम्मेदार ठहराने वाले बाबा की जुबान थमने का नाम नहीं ले रही है।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच केंद्र में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दो वर्ष और कुल मिलाकर सात वर्ष पूरे हो गए हैं। 2014 के बाद से मोदी सरकार कितना कामयाब हो पाई है?
जब दिल्ली, लखनऊ से लेकर मुंबई, अहमदाबाद तक कोरोना से हाहाकार मचा हुआ था, अस्पतालों में बिस्तर नहीं थे, वेंटीलेटर और ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध नहीं हो रहे थे तब आरएसएस स्वयंसेवक कहाँ थे?
केंद्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार के सात साल पूरे हो गए। अटल बिहारी वाजपेयी के बाद वे दूसरे ग़ैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने लगातार सात साल अपनी सरकार के पूरे कर लिए हैं।
नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के सात सालों के दौरान देश की अर्थव्यवस्था किस तरह तबाह हुई, बेरोजगारों की समस्या में कितना इजाफा हुआ, संसद, न्यायपालिका और चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं की साख कितनी चौपट हुई?
आज़ादी की लड़ाई में जीवन के 9 साल ब्रिटिश जेलखाने के अंदर बिताने वाले नेहरू ने लगातार 17 साल प्रधानमंत्री रहते हुए देश में विज्ञान, शोध और तर्कवाद की ज़मीन सींची।
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की 27 मई को 57वीं पुण्यतिथि के अवसर पर संध्या वत्स नेहरू द्वारा ही लिखित लेख ‘इस मशाल को कौन थामेगा’ के कुछ अंश पर टिप्पणी करती हैं।
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की आज पुण्यतिति है। आज ही के दिन यानी 27 मई को 1964 में उनका निधन हो गया था। पढ़िए, नेहरू ने इंदिरा को शांतिनिकेतन में क्यों पढ़वाया।
केंद्र सरकार के बनाए तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में जारी किसानों के आंदोलन को छह महीने पूरे हो चुके हैं। यह आंदोलन न सिर्फ़ मोदी सरकार के कार्यकाल का बल्कि आज़ाद भारत का ऐसा सबसे बड़ा आंदोलन है जो इतने लंबे समय से जारी है।
कुछ ही दिनों पहले हमने देखा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने कोविड-19 महामारी पर अपनी ऊर्जा केंद्रित करने के बजाय पश्चिम बंगाल में चल रहे विधानसभा चुनाव में व्यस्त थे। अब हम एक बार फिर सरकारी समय का एक और अक्षम्य दुरुपयोग देख रहे हैं।