विपक्षी एकता की बैठक होते ही यह सवाल बार-बार क्यों पूछा जा रहा है कि 2024 में पीएम पद का उनका उम्मीदवार कौन है? क्या पूछने वाले मान कर चल रहे हैं कि पीएम मोदी की वापसी नहीं होगी? जानें क्या है बीजेपी की योजना।
टमाटर इतना महंगा क्यों है? क्या सरकार इस पर नियंत्रण के प्रयास कर रही है और वह कामयाब नहीं हो पा रही है? क्या टमाटर ही महंगे हैं या फिर बाक़ी सब्जियाँ और दूसरी चीजें भी?
राहुल गांधी की धान रोपने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर क्यों वायरल है और लोग इस पर टिप्पणियाँ क्यों कर रहे हैं? क्या राहुल गांधी की छवि बदली है या लोगों का उनके प्रति नज़रिया बदला है?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर गुजरात हाईकोर्ट के फैसले की तरह तरह से व्याख्या की जा रही है। कांग्रेस समेत बहुत लोगों ने इसे 2024 में राहुल का रास्ता रोकने की कार्यवाही बताया है। पत्रकार पंकज श्रीवास्तव भी इस पर अपनी राय रख रहे हैं, पढ़िए क्या कहना चाहते हैंः
मणिपुर जातीय हिंसा में जल रहा है तो महाराष्ट्र में राजनीतिक आग लगी हुई है। आखिर ये आग किसकी लगाई हुई है, किसी को देश की भी चिन्ता है। राकेश अचल की टिप्पणीः
मध्य प्रदेश के सीधी में आदिवासी युवक पर पेशाब करने की घटना छोटी नहीं है। राकेश अचल की टिप्पणी है कि बेशक पीएम मोदी और सीएम शिवराज आदिवासियों के साथ भोजन कर लें, उन्हें गले लगा लें, लेकिन सामंती मानसिकता कहां बदलती है। यह घटना उसी का नतीजा है।
दुनिया के सबसे बड़े सम्मान नोबेल शांति पुरस्कार से पुरस्कृत और अमेरिका जैसे ताकतवर मुल्क के राष्ट्रपति रहे बराक ओबामा को बारह हज़ार किलोमीटर की दूरी पर बैठकर भारत के हिंदू-मुसलिम मामले में पड़ने से बचना चाहिए।
महाराष्ट्र के घटनाक्रम ने बता दिया है कि भाजपा तोड़फोड़ की राजनीति में न केवल सिद्धहस्त है बल्कि तोड़फोड़ की राजनीति ही उसका परमधर्म है। पढ़िए राकेश अचल की टिप्पणीः
मणिपुर जल रहा है। लेकिन हमारे प्रधानमंत्री मोदी उसका म भी बोलने को तैयार नहीं है। वो मणिपुर के लिए शांति की अपील तक नहीं करना चाहते हैं। ऐसे में क्या यह माना जाए कि पीएम मोदी की लोकप्रियता महज चुनावी है। पढ़िए लेखक रविकांत के विचारः
आंबेडकर और श्यामा प्रसाद मुखर्जी वाली अल्पसंख्यक सलाहकार समिति की अनुशंसा थी कि मुस्लिम समाज की सहमति से ही समान नागरिक संहिता को लागू किया जाए। तो क्या बीजेपी इसका समर्थन करेगी?
मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव और अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समान नागरिक संहिता लाने की बात क्यों कह रहे हैं? क्या इसकी ज़रूरत है?