मणिपुर हिंसा को लेकर लोकसभा में मोदी सरकार के ख़िलाफ़ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान राहुल गांधी के दिए भाषण के मायने क्या हैं? जानिए, आख़िर उन्होंने 'देशभक्ति' को लेकर सवाल क्यों उठाया।
उपासना स्थल अधिनियम 1991 के तहत देश के किसी भी 'धर्मस्थल का चरित्र' बदला नहीं जा सकता है तो फिर ज्ञानवापी मस्जिद का एएसआई सर्वे क्यों किया जा रहा है? मुक़दमे क्यों चल रहे हैं?
कांस्टेबल चेतन सिंह द्वारा एक्सप्रेस में लोगों को गोलियों से भूनने के क्या मायने हैं? क्या इस मुद्दे पर चर्चा नहीं होनी चाहिए? क्या सरकार नागरिकों की असुरक्षा को भूल कर खुद की सुरक्षा में लग गई है?
इस ‘हिंदू समय’ में कितना हिंदू विचार है और कितना हिंदू विरोध? क्या हिंदुत्व की राजनीति ने हिंदू धर्म के सामने वाक़ई एक गंभीर चुनौती नहीं खड़ी कर दी है? पढ़ें कांग्रेस से जुड़े पंकज श्रीवास्तव की टिप्पणी।
भारत जैसे विविधता वाले देश में आख़िर समुदायों के बीच नफ़रत कैसे फैल रही है? क्या यह अकस्मात है या फिर इसके पीछे कोई ताक़त है? आख़िर ऐसी नफ़रत बोने वाले लोग कौन हैं?
क्या पीएम मोदी लुई 14वें की ‘मैं ही राज्य हूँ’ की नीति पर ही चल रहे हैं। लेकिन पत्रकार पंकज श्रीवास्तव का तो यही कहना है। हालांकि भारत में फ्रांस जैसी स्थितियां नहीं हैं कि यहां क्रांति हो। फिर भी आप इस लेख को पढ़िए क्योंकि वक्त और हालात बदलते देर नहीं लगती।
वाराणसी में सर्व सेवा संघ और गांधी अध्ययन संस्थान को लेकर आख़िर क्या विवाद है? इसकी ज़मीन पर क़ब्ज़ा करने की कोशिश कौन कर रहा है? जानिए, इसे बचाने का तरीका क्या हो सकता है।
क्या कोई भी सीमा इंसान से बड़ी है? क्या दुनिया के मुल्कों की सरहद क्या लोगों को मिलने से रोक पाएगी? क्या इन्हीं वजहों से जब तब दुनिया भर में कई देशाओं की सीमाएँ नहीं बदलनी पड़ जाती हैं?
मणिपुर में क़रीब तीन महीने से जारी हिंसा के बाद अब विपक्षी I.N.D.I.A. के सांसदों के दल के दौरे से क्या असर होगा? क्या ऐसा क़दम पहले उठाया जाता तो और बेहतर नहीं होता?
यदि अंग्रेज़ों के समय अंडरटेकिंग देने का ऐसा कोई क़ानून होता तो क्या गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जालियांवाला बाग के बाद ‘सर’ की उपाधि लौटा पाते? और क्या वह ऐसा अवार्ड ले भी पाते?
मणिपुर उस आग में जल रहा है जिसकी चेतावनी डॉ. भीमराव आंबेडकर ने आज़ादी के समय ही दे दी थी। जानिए, उन्होंने क्यों कहा था कि यदि पार्टियाँ धर्म को देश से ऊपर रखेंगी तो हमारी आज़ादी दूसरी बार ख़तरे में पड़ जाएगी।