शहीदे आज़म भगत सिंह का आज जन्मदिन है। सोशल मीडिया पर तस्वीरें साझा कर श्रद्धांजलि देने वाले लोग क्या जानते हैं कि उनकी क्या विचारधारा थी और सांप्रदायिकता को वह कैसे देखते थे?
गणेश जी ने हमें रास्ता दिखाया कि यदि घर में गलती से कोई गोबर गणेश आ गया हो तो उसकी पूजा भी कीजिये और सही मुहूर्त में उसे विदाई देकर विसर्जित भी कीजिये। नफरत और नेताजी का पिंडदान एकसाथ कर दीजिए।
मणिपुर फिर सुलग रहा है लेकिन पीएम मोदी तमाम चुनावी राज्यों में घूम घूम कर गारंटी बांट रहे हैं। वो मणिपुर में जाकर किसी तरह की गारंटी नहीं देना चाहते। क्योंकि मणिपुर में फिलहाल चुनाव नहीं है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को सरेआम केंद्र सरकार संरक्षण दे रही है जबकि राज्य पुरी तरह जातीय हिंसा में झुलस चुका है।
एक बात तो तय है कि विश्व गुरु बनने निकले मोदी के नेतृत्व वाले भारत को रमेश विधूड़ी जैसे सांसद और कनाडा के घटनाक्रम ने बहुत बड़ा झटका दिया है। भारतीय संसद अब गुंडागर्दी के लिए भी जानी जाएगी। अमेरिका ने फ्रेंडशिप को ताक पर रख दिया है। जी20 में हजारों करोड़ जिस तरह सिर्फ छवि बनाने के लिए खर्च किए गए, उससे भारत को कुछ हासिल नहीं हुआ। यह गहन विश्लेषण का समय है।
बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी द्वारा संसद में बसपा सांसद दानिश अली को अपशब्द कहा जाना क्या महज संयोग है या सिर्फ़ आवेश में कही गई बात है? इस पर बीजेपी की प्रतिक्रिया क्या संकेत देती है?
देश के तमाम बिधूड़ी और उनकी पार्टी कनाडा के विपक्ष से बहुत कुछ सीख सकते हैं। वहां के हिन्दुओं के खिलाफ जैसे ही अलगाववादियों ने साम्प्रदायिक अपील जारी की, वहां का विपक्ष कनाडा के हिन्दुओं के साथ खड़ा हो गया। भारत में सत्तारूढ़ पार्टी ही देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। इसलिए जरूरी है कि बिधूड़ी जैसी सोच वालों का इलाज किया जाए।
महिला आरक्षण विधेयक को सरकार ने लोकसभा में पेश कर दिया है, लेकिन क्या इसे जल्द लागू किया जाएगा? क्या हो जब इसे 2027 या 2029 में लागू किया जाए? जानिए आख़िर इतनी देरी क्यों।
अक्सर भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की आलोचना करते रहने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब उनकी तारीफ़ क्यों की? जानिए ट्रिस्ट ऑफ डेस्टिनी के भाषण का एक अधूरा वाक्य क्यों बोला।
हम लोग किसी भी काम को आरम्भ करने के लिए 'श्रीगणेश ' करना कहते हैं। संसद के विशेष सत्र का श्रीगणेश भी इसी परम्परा के अनुसार हो रहा है। जानिए भगवान श्रीगणेश के बारे में।
चुनावी मौसम में हर माल बिक जाता है, शर्त एक ही है की आपके पास वादों की पैकिंग आकर्षक हो। सियासत के कारोबार में सिर्फ पैकिंग और पैकेज से ही काम नहीं चलता । इसके लिए माननीय मोदी जी और माननीय राहुल गांधी जैसा सेल्समैन भी चाहिए। राकेश अचल दरअसल, क्या कहना चाहते हैं, पूरा लेख पढ़िए।
दुनिया के कई देशों में नागरिकों का लोकतंत्र से भरोसा उठ रहा है और वे तानाशाही वाले शासन के पक्ष में खड़े हो रहे हैं! क्या इंदौर (और प्रदेश) को उसी दिशा में ले जाया जा रहा है?