क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद अब निचली अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति में भी आरक्षण की वकालत कर रहे हैं। क्या पाँच राज्यों में हार ने बीजेपी को नई रणनीति के लिए मजबूर किया है?
दुनिया के नक़्शे पर एक बार फिर से तालिबान का ख़तरा मँडराने लगा है। वह फिर से शक्तिशाली हो रहा है I उसे अपने आप को नये सिरे से संगठित करने का अच्छा मौक़ा मिल गया।
जीएसटी (वस्तु और सेवा कर) को आम तौर पर छोटे कारोबारों के लिए नुक़सानदेह माना जाता है। इसके कुछ प्रावधान ऐसे हैं जिनसे छोटे कारोबारी को काम मिलना काफ़ी मुश्किल हो जाता है।
राजनीति, मीडिया या अन्य क्षेत्रों में महिलाओं को अकसर किनारे लगा दिया जाता है। पुरुष नहीं चाहते कि महिलाएँ उनसे आगे निकलें क्योंकि इससे पुरुषवादी वर्चस्व का अंत हो जाएगा।
बिना ओपिनियन-एग्ज़िट पोल या ज्योतिषीय गणना के मैं यह भविष्यवाणी करता हूँ कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बिहार से उतनी सीटें नहीं मिलेंगी जितनी 2014 में मिली थीं। पूछिए क्यों?
क्या आज का यह नया विमर्श केवल सुविधाभोगी और ग़ुलामी का आनंद लेती महिलाओं के लिए है जो फैशनेबल कपड़ों से होता हुआ सैनिटरी नैपकिन पर विश्रमित हो बैठता है?
ख़बर है कि दिल्ली विधानसभा में प्रस्ताव पास हो गया है कि राजीव गाँधी को दिया हुआ भारत रत्न वापस लेना चाहिए। अब सवाल यह है कि ऐसा करके "आप" संदेश क्या देना चाहती है?
नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि उनको अपने बच्चों के लिए फ़िक़्र होती है कि यदि कभी किसी भीड़ ने उन्हें घेर लिया तो वे ख़ुद को क्या बताएँगे - हिंदू या मुसलमान… तो इससे देश कैसे बदनाम हो जाता है?
नसीरुद्दीन ने बुलंदशहर हिंसा पर बयान क्या दे दिया, हिंदूवादी संगठन और न्यूज़ चैनल भी उन्हें ग़लत साबित करने में लग गए। आख़िर यह तो सोचना चाहिए कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा है।
नसीर को डर तब लगने लगा जब तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए। नसीर, बुलंदशहर हिंसा को, एक क्रूरतम अपराध की घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं।
क्या भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी से एक छद्म या नक़ली युद्ध लड़ रहे हैं? प्रधानमंत्री पद के लिए बीजेपीविरोधी पार्टियों के कई नेता भ्रम में तो नहीं?