इस समय भारत ही नहीं, ईरान और अफ़ग़ानिस्तान के भी ग़ुस्से का शिकार कौन हो रहा है- पाकिस्तान। ईरान के 27 फ़ौजी जवानों को पाक आधारित आतंकी गिरोह ने मार डाला है।
पाक प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को आतंक के सौदागरों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी होगी। मसूद अज़हर को भारत को सौंपना होगा, सीमा से लगे आतंकवादी कैंपों को बंद करना होगा।
मोदी राज में आतंकी हमलों, शहीद सैनिक और नागरिकों, आतंकवाद की राह पर जाने वाले युवाओं की संख्या बढ़ी है। पहले की सरकारों की तुलना में मोदी सरकार कश्मीर मोर्चे पर नाकाम रही है।
मोदी सरकार के दौरान रेलवे में सवा लाख लोगों को नौकरी मिलने की बात झूठ है। जिन बच्चों ने रेलवे की भर्ती परीक्षा पास कर ली, उन्हें अब तक ज्वाइनिंग लेटर नहीं मिल पाया है।
एक बार फिर उग्रवाद ने कश्मीर को लपेट लिया। जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर सीआरपीएफ़ की टुकड़ी पर आत्मघाती हमले ने फिर से साबित कर दिया कि भारत आतंकवादियों के लिए सॉफ़्ट टार्गेट है।
रफ़ाल-सौदे पर महालेखा नियंत्रक की रपट संसद में पेश क्या हुई, उजाला और अंधेरा एक साथ हो गया है। इसके बावजूद सरकार के लोग अपनी पीठ ख़ुद ही क्यों थपथपा रहे हैं?
राहुल गाँधी ने में घोषणा कर दी कि अगर कांग्रेस 2019 के चुनाव के बाद सत्ता में आई तो सबके लिए एक निश्चित आमदनी की गारंटी कर दी जाएगी। क्या इससे ग़रीबी ख़त्म हो जाएगी?
गाँधी के सपनों का आदर्श समाज न्याय प्रधान था। संघ के सपनों का आदर्श समाज अपनत्व प्रधान था। यहीं वह टकराव है। कहते हैं विचारों को नहीं मारा जा सकता है और इसीलिए गाँधी के विरोधी उनसे थर्राते हैं।
जॉर्ज समाजवादी नेता थे लेकिन उन्होंने और उनके साथियों ने सत्ता में बने रहने के लिए संघ, बीजेपी से भी हाथ मिला लिया और धर्मनिरपेक्षता के साथ समझौता कर लिया।
सत्ता में आने के बाद कांग्रेस के बड़े नेताओं, महात्मा गाँधी, सरदार पटेल और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को अपनाने का बीजेपी की तरफ़ से अभियान चल रहा है। तो क्या बीजेपी गाँधी को अपना बना पायेगी?
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में प्रदूषण यानी इससे होने वाली बीमारियों से हर रोज़ कम से कम 80 मौतें होती हैं। मर्ज तो बढ़ता जा रहा है, इलाज कोई नहीं।