कांग्रेस अब एक लोकतांत्रिक पार्टी नहीं, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बन चुकी है। यदि राहुल का इस्तीफ़ा हो ही जाता तो बताइए कि क्या यह कंपनी विधवा नहीं हो जाती? इसका बोझ कौन उठाता?
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस एक बड़े संकट में फँस गयी है। राहुल का कहना है कि अध्यक्ष कोई और बने। पर क्या कांग्रेस बिना नेहरू गाँधी परिवार के चल पायेगी? एक रह पायेगी?
कांग्रेस ने चुपके से वह मंच तैयार किया जहाँ से बीजेपी अब फल-फूल रही है। हमें नहीं भूलना चाहिए कि वह राजीव गाँधी ही थे जिन्होंने राम मंदिर के ताले खोले थे, अदालत के फ़ैसले का उल्लंघन कर राम मंदिर के लिए आधारशिला रखने की अनुमति दी थी।
अपनी ऐतिहासिक जीत के बाद ‘राष्ट्र को धन्यवाद’ देते हुए नरेन्द्र मोदी अगर धर्मनिरपेक्षता के डिस्कोर्स को ध्वस्त करने को अपनी सबसे प्रमुख उपलब्धि बता रहे थे तो इसका संदेश क्या है?
अगर आर्थिक मोर्चे पर सरकार के नाकाम रहने के बाद भी चुनाव नतीजे एग्ज़िट पोल के मुताबिक़ आते हैं तो समझना चाहिए कि देश नरेंद्र मोदी नाम के एक जादूगर के इशारे पर नाचता है।
गोडसे ने बापू की हत्या साज़िश रच कर की थी। साज़िश रचने वाली मानसिकता असल में भारतीय राष्ट्रवाद के विरुद्ध हिंदू राष्ट्रवाद को स्थापित करने वाली मानसिकता थी।
एक रिपोर्ट के अनुसार तृणमूल कांग्रेस को यह अंदरूनी जानकारी मिली है कि लेफ़्ट समर्थकों का एक अच्छा-ख़ासा हिस्सा बीजेपी के पक्ष में वोट कर चुका है और कर रहा है। लेकिन क्या सच में ऐसा है?
चुनाव पूर्व के कुछ अनुमान हैं कि एनडीए 200 से 250 सीटों तक सिमट सकता है। ऐसे में नरेंद्र मोदी का पीएम बनना मुश्किल है। तो कौन होगा पीएम- गडकरी, राजनाथ सिंह, राहुल गाँधी, मायावती, ममता बनर्जी या कोई और?
किसी भी क़िस्म के सत्ताधारियों का स्वप्न एक ऐसी दुनिया है जहाँ कोई, कोई भी न हँसे। कम से कम ऐसी दुनिया जहाँ उन पर कोई न हँसे, वे अपने विरोधियों के ख़िलाफ़ हँसी को एक हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं।
कमल हासन ने कह दिया कि नाथूराम गोडसे भारत का पहला आतंकवादी था। जिसके विचार और कर्म अतिवादी हों, मर्यादाविहीन हों, हिंसक हों, उसे उग्रवादी ही कहा जाएगा लेकिन किसी हत्यारे को आप आतंकवादी कैसे कह सकते हैं?
बंगाल में ईश्वरचंद्र विद्यासागर की प्रतिमा को भी कोई तोड़ सकता है, यह कल तक अकल्पनीय था लेकिन कल बीजेपी के समर्थकों ने यह करके दिखा दिया कि बंगाल अब वाक़ई बदल रहा है।
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो में हुआ तांडव बंगाल के ख़िलाफ़ बीजेपी का एक रण-घोष है। यह बंगाल की संस्कृति को पैरों तले रौंद डालने की धृष्टता का ऐलान भी है।
पूर्वांचल की कम से कम 16 सीटों पर गठबंधन को 2014 में जो कुल वोट मिले थे वे बीजेपी को मिले वोटों से काफ़ी ज़्यादा थे। ग्यारह सीटों पर बीजेपी आगे थी। तो क्या बीजेपी की मुश्किल नहीं बढ़ेगी?