चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को लज़ीज़ लाब्स्टर और बिरयानी खिलाने के बीच यह बात देशवासियों को क्यों नहीं बतायी गयी कि चीन कैसे भारत के गले में फंदा डालने में लगा है?
निर्मला सीतारमण ने देश की आर्थिक स्थिति ख़राब होने के लिए पिछली सरकार को ज़िम्मेदार बता दिया है। क्या सिर्फ़ दूसरे को दोष देकर समस्या का समाधान हो जाएगा?
पीएमसी बैंक के संचालकों के डिफ़ॉल्टर होने का प्रभाव सीधे जनता पर पड़ रहा है और यह जानलेवा बन गया है। इसे आर्थिक मंदी से जोड़कर सरकारें अपना पीछा नहीं छुड़ा सकतीं।
एक बार फिर सावरकर को भारत रत्न देने की बात उठी है और वह भी चुनावी मौसम में। इस बार यह बात भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र में छापकर चर्चा में लायी गयी है।
शिखर बैठक के दौरान नरेन्द्र मोदी ने अपने सार्वजनिक बयान में कहा कि दोनों देश एक-दूसरे की चिंताओं का ध्यान रखें लेकिन चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ऐसा कोई भरोसा नहीं दिया।
शी ने भारत आने से पहले इमरान ख़ान से मुलाक़ात के बाद यह कह कर क्यों भारत को ह्युमिलिएट करने का काम किया कि चीन ‘पाकिस्तान के कोर मुद्दों पर उसके साथ पूरी शिद्दत से खड़ा है’?
अगर हम अपनी राजनीतिक और संवैधानिक संस्थाओं के मौजूदा स्वरूप और संचालन संबंधी व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखें तो हम पाते हैं कि आज देश आपातकाल से भी कहीं ज़्यादा बुरे दौर से गुज़र रहा है।