इससे बड़ी विडम्बना क्या होगी कि फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ जैसे प्रगतिशील वामपंथी शायर की नज़्म को मज़हबी चश्मे से देखा जाए और उस पर हिन्दू विरोधी या इसलाम परस्त होने का आरोप लगा दिया जाए।
बीजेपी के पूर्व उपाध्यक्ष एवं केंद्र सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी इन दिनों अपनी ही पार्टी के समर्थक माने जाने वाले ‘ट्रोलर्स’ के शिकार हो गए हैं।
वर्ष 2019 में जहाँ भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने तमाम ऐतिहासिक फ़ैसले सुनाए वहीं कुछ ऐसी न्यायिक निष्क्रियता भी दिखी जिसने न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर सवाल उठाये।
चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ़ का पद भविष्य के युद्धों की चुनौतियों के अनुरूप बनाया गया है लेकिन अभी भी सामरिक हलकों में यह सवाल बना हुआ है कि क्या यह पद अपने घोषित लक्ष्यों को हासिल कर पाएगा?
केरल के राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान के साथ ‘इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस’ के अधिवेशन में जो बर्ताव किया गया, क्या वह इतिहासकारों और विद्वानों के लिए शोभनीय है?
2019 में केंद्र में बीजेपी की फिर से सरकार बनी तो कई राज्यों के चुनाव में उसे झटके भी लगे हैं। उसे ध्यान रखना होगा कि जनता से किये वादों को पूरा करना बेहद ज़रूरी है।
वर्तमान राजनीतिक हालात को देखकर कहा जा सकता है कि ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने का जो काम संघ 1947 में नहीं कर पाया, उस पर अब सुनियोजित तरीक़े से अमल करने की तैयारी है।