यूरोपीय संघ की संसद में लाये गये प्रस्तावों में नागरिकता क़ानून और कश्मीर के विलय की कड़ी आलोचना की गई है। इन प्रस्तावों से कहीं भारत और यूरोपीय देशों के बीच संबंध तो ख़राब नहीं होंगे।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा के पूर्व सांसद पवन वर्मा के बाद पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को भी खुली चेतावनी दे डाली।
गाँधी का बहुत साफ़ मानना था कि अगर हम जान दे नहीं सकते तो हमें जान लेने का अधिकार नहीं है। उनके इस कथन और वाक्य प्रयोग को भी याद करना चाहिए कि आँख के बदले आँख पूरी दुनिया को अंधा बना देगा।
1990 में और उसके बाद हज़ारों कश्मीरी पंडित परिवारों को घाटी से भागना पड़ा। वहाँ ऐसे हालात क्यों पैदा हुए और उनके पीछे 1987 की चुनावी धाँधलियों का क्या रोल था?
भारत में गांवों में आबादी लगातार घटती जा रही है और तेजी से शहरीकरण हो रहा है। यह संविधान की भावना के विपरीत तो है ही इससे गण और तंत्र के बीच की खाई लगातार गहरी होती जा रही है।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर उत्तर भारत की राजनीति के ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने बहुत कम समय सत्ता में रहते सामाजिक क्रांति की नींव रख दी थी।
‘द इकोनॉमिस्ट ग्रुप’ की इकोनॉमिक इंटेलिजेंस यूनिट की ओर से जारी लोकतंत्र सूचकांक 2019 की वह वैश्विक सूची, जिसमें भारत पिछले वर्ष के मुक़ाबले 10 पायदान लुढ़क कर 51वें स्थान पर जा गिरा है।
नसीरूद्दीन शाह ने अनुपम खेर को चापलूस बताया था, अब खेर ने इस पर पलटवार किया है। शाह ने फ़िल्मों के माध्यम से एक अलग तरह का पॉलिटिकल नैरेटिव थोपने की बात कही थी।
ऑक्सफ़ैम की रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत के एक प्रतिशत अमीरों के पास देश के 70 प्रतिशत लोगों से ज्यादा पैसा है। सारी दुनिया के हिसाब से देखें तो हाल और भी बुरा है।