नेहरू जी के पास न घर बचा था और न नकदी। यही हाल इंदिरा गाँधी का भी था। उनके पास जो सोने-चाँदी के आभूषण थे, वह सभी उन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध के समय राष्ट्रीय रक्षा कोष में दान कर दिया था। तो फिर विरासत टैक्स को लेकर हमला क्यों?
बीजेपी के एक के बाद एक नेताओं के बयान क्यों आ रहे हैं कि संविधान बदलने के लिए 400 सीटें चाहिए? क्या संघ-बीजेपी संविधान बदलना चाहती है, और यदि हाँ तो क्यों?
लोकसभा चुनावों के बीच भाजपा के तमाम नेता लगातार संविधान बदलने के लिए 400 से अधिक सीटें जीतने की बात कर रहे हैं। संविधान बदलने की रट लगाने से बीजेपी को फायदा होगा या नुक़सान?
दुनिया में तीसरे नंबर की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी पर प्रधानमंत्री जिस तरह से प्रहार कर रहे हैं क्या उसका विपरीत असर उन मतदाताओं पर भी नहीं पड़ रहा होगा जिनकी गिनती मोदी-समर्थकों में होती है?
अब नरेंद्र मोदी ने मुसलमानों को ‘ज़्यादा बच्चा पैदा करने वाले’ कहा है, उसके बारे में नीतीश कुमार की क्या राय होगी? क्या मुसलमान अपने बारे में ऐसे जहरीले बयान सुनकर भी नीतीश कुमार के कहने पर एनडीए को वोट देंगे?
लोकसभा चुनावों के बीच भाजपा के तमाम नेता लगातार संविधान बदलने के लिए 400 से अधिक सीटें जीतने की बात कर रहे हैं। क्या बीजेपी ऐसा कर पाएगी? जानिए संविधान को लेकर संघ की क्या रही है सोच।
जिनके विचारधारात्मक पुरखों ने मुस्लीम लीग के साथ सरकार बनाई थी और जिन विचारधाराओं को आंबेडकर मुस्लिम राष्ट्रवाद और हिन्दू राष्ट्रवाद की विचारधाराओं को एक खाँचे में रखते थे, वे आज कांग्रेस के घोषणापत्र पर मुस्लीम लीग की छाप क्यों बता रहे हैं?
पतंजलि के उत्पादों के विज्ञापनों में कथित उल-जलूल दावों पर बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की माफी के बाद भी उनकी मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। आख़िर किन वजहों से पतंजलि ने ऐसे दावे करने शुरू कर दिए थे?
संविधान को ख़तरे में बताए जाने के बीच यह बात बड़े जोर-शोर से उठाई जा रही है कि भारत का संविधान बदला ही नहीं जा सकता। बीते एक हफ्ते में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार यह बात कही है कि “मोदी तो क्या बाबा साहेब अंबेडकर भी संविधान को नहीं बदल सकते।”
पतंजलि के उत्पादों के विज्ञापनों में कथित उल-जलूल दावों पर बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की माफी के बाद भी सुप्रीम कोर्ट राहत देने को तैयार क्यों नहीं है? आख़िर बाबाओं की ऐसे कारनामों से कितना बड़ा नुक़सान?
खेतिहर मजदूर की उत्पादकता एक रुपया है तो मैन्युफैक्चरिंग के श्रमिक की 3.5 रुपये और सेवा क्षेत्र के कर्मचारी की 4.7 रुपये। कमाल काम करने वाले का क्यों नहीं है?
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष रहे बिबेक देवराय से लेकर कर्नाटक के सांसद अनंत कुमार हेगड़े संविधान को बदलने का ऐलान कर रहे हैं। तो क्या 2024 में संघ की हिंदू राष्ट्र की कोशिश को कामायाबी मिल पाएगी?