19वीं शताब्दी के भारतीय सिख सम्राट महाराजा रणजीत सिंह का बीबीसी के एक सर्वेक्षण में पूरी दुनिया की तमाम ऐतिहासिक हस्तियों के बीच सर्वकालिक महान शासक चुना जाना एक चौंकाने वाली ख़बर है।
2017 से रिज़र्व बैंक लगातार यस बैंक पर कड़ी नज़र रख रहा था। यस बैंक ने बहुत भारी मुश्किल से गुज़र रही यानी क़र्ज़ के बोझ में दबी कंपनियों को क़र्ज़ दे रखे थे। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का यह दावा है।
सामाजिक शत्रुता, आर्थिक मंदी और वैश्विक स्वास्थ्य संकट भारत के लिए एक बड़े ख़तरे की घंटी है। सामाजिक अराजकता और आर्थिक बर्बादी हमने ख़ुद अपने आप को दिए हैं जबकि कोरोना वायरस का खौफ़ बाहरी कारणों से है।
न्यायपालिका आज भी हमारे लोकतंत्र का सबसे असरदार स्तंभ है, जिसे हर तरफ़ से आहत और हताश-लाचार आदमी अपनी उम्मीदों का आख़िरी सहारा समझता है। न्यायपालिका का क्षरण क्यों?
क्या दिल्ली का दंगा किसी राजनीतिक प्रयोग का नतीजा था? क्या यह प्रयोग सफल रहा? क्या यह प्रयोग दूसरे जगहों पर भी दुहराया जाएगा? ये सवाल पूरे देश को मथ रहे हैं।
तालिबान के साथ हुए समझौते में अमेरिका ने अपने हितों को पूरी तरह से रक्षा से की है लेकिन भारत के हितों का जिक्र तक नहीं है। भारत के पास कोई रणनीति है, ऐसा भी नहीं लगता।
बिहार में कुछ महीने बाद चुनाव होने वाले हैं। राज्य में फ़िलहाल दो गठबंधनों के इर्द गिर्द चुनाव घूम रहा है, लेकिन जनता दल यूनाइडेट यानी जदयू नेता नीतीश कुमार इस बार ज़्यादा परेशान नज़र आ रहे हैं।
मोदी के पहले ट्वीट से ये चर्चाएं चल पड़ी थीं कि वह सोशल मीडया से भाग रहे हैं। लेकिन जब उन्होंने सस्पेंस बना ही दिया था तो इससे इतनी जल्दी परदा उठाने की क्या वज़ह थी?
चुनाव में उम्मीदवारों का चयन सिर्फ़ एक योग्यता पर होता है कि वे बस किसी भी क़ीमत पर जीत सकते हों भले ही वे दागी ही क्यों न हों। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर सख़्ती दिखाई है।
साल 2020 की फ़रवरी में हुए दिल्ली के हालिया दंगे को देख कर कलेजा मुँह को आता है। दंगों का ज्वार थमने के बाद मीडिया और पुलिस का रवैया भी कुछ ठीक नहीं है।
भारतीय जनता पार्टी की चुनावी मशीनरी के चाणक्य कहे जाने वाले देश के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कोलकाता के शहीद मैदान में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चुनौती देते हुए पार्टी का विधानसभा के लिए चुनाव प्रचार का बिगुल फूँक दिया है।
डोनल्ड ट्रंप के दौरे के बाद भारत और अमेरिका ने आर्थिक या सामरिक क्षेत्र में किसी नाटकीय समझौते की घोषणा या कोई सहमति का एलान तो नहीं किया लेकिन इससे राष्ट्रपति ट्रंप के भारत दौरे की अहमियत कम नहीं हो जाती।