प्रधानमंत्री ने देशवासियों को जितना डराना संभव था, डरा दिया। यह भी कह दिया कि इससे बचने का एक ही तरीक़ा है कि घरों में बंद रहा जाए और इसके लिए लक्ष्मण रेखा का अच्छा उदाहरण दिया पर उसके अंदर रहने में सहायता का कोई आश्वासन नहीं दिया।
जनता-कर्फ्यू तो सिर्फ़ इतवार को था, लेकिन सोमवार को भी वह सारे देश में लगा हुआ मालूम पड़ रहा है। मेरा घर गुड़गाँव की सबसे व्यस्त सड़क गोल्फ कोर्स रोड पर है लेकिन इस सड़क पर आज भी हवाइयाँ उड़ रही हैं।
किसी देश का नेता अगर समझदार और ज़िम्मेदार न हो तो उसे बहुत गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं। वे उसे युद्ध में झोंक सकते हैं, आर्थिक संकट खड़ा कर सकते हैं और कई बार देशवासियों के लिए स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ भी खड़ी कर सकते हैं।
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार वर्ष 1960 के बाद से पनपी नई बीमारियों और रोगों में से तीन-चौथाई से अधिक का संबंध जानवरों, पक्षियों या पशुओं से है, और यह सब प्राकृतिक क्षेत्रों के विनाश के कारण हो रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना विषाणु (वायरस) का मुक़ाबला करने के लिए देशवासियों को जो संदेश दिया, वह बहुत ही प्रेरक और सामयिक था। लेकिन ताली और थाली बजाने की उत्सवी मुद्रा क्यों?
पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई राज्यसभा के लिये मनोनीत क्या हुए, लोगों ने उनके सीजेआई रहते हुए दिये गये फ़ैसलों पर सवाल खड़े कर दिये। लेकिन क्या ऐसा करना सही होगा।
भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को सेवानिवृत्त हुए अभी चार महीने भी नहीं बीते कि उन्हें राज्यसभा में नामजद कर दिया गया। राष्ट्रपति द्वारा नामजद किए जानेवाले 12 लोगों में से वे एक हैं।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे जस्टिस रंजन गोगोई को रिटायर होने के सिर्फ़ चार महीने बाद ही राज्यसभा का सांसद मनोनीत करने के मामले ने न्यायपालिका की बेदाग़ छवि और सरकार से उसके रिश्तों को लेकर नये सिरे से तीखी बहस छेड़ दी है।
जब चीन और अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश कोरोना वायरस का मुक़ाबला नहीं कर पा रहे हैं तो हम कैसे करेंगे? मुश्किल यह है कि हमारी स्वास्थ्य सुविधाएं भी बेहद ख़राब हैं।
भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आज़ाद ने राजनीति में क़दम रख रख दिया है और अपनी नई पार्टी का एलान कर दिया है। चंद्रशेखर ने उनकी राजनीतिक विरासत पर अपना दावा ठोक दिया है। क्या वह मायावती का विकल्प बन पाएँगे?
शेख अब्दुल्ला के बेटे और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ. फ़ारूक़ अब्दुल्ला की नज़रबंदी से रिहाई और जम्मू-कश्मीर की अपनी पार्टी के नेताओं की नरेंद्र मोदी और अमित शाह से हुई भेंटों से एक नए अध्याय का सूत्रपात हो रहा है।