गुजरात में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच राज्य के विकास मॉडल का भी सच सामने आ गया है। मजदूरों से किराए के पैसे वसूले जाने को लेकर सरकार की ख़ासी किरकिरी हो चुकी है।
कोरोना वायरस और इसके बाद लॉकडाउन ने अजीब स्थिति पैदा कर दी है। क्वॉरंटीन करना, अलग रखना क्यों शक की निगाह में घुल-मिल गया है, यह वह कमलनयनी पूछती है। उसे क्या बताएँ कि इंसानी नियम-क़ायदे कितने मारक हैं!
विगत गुरुवार हिंदी के प्रमुख अख़बार 'दैनिक जागरण' के आगरा संस्करण के चीफ़ सब एडिटर पंकज कुलश्रेष्ठ कोरोना के विरुद्ध युद्ध हार गए। लेकिन क्या प्रशासनिक लापरवाही नहीं होती तो वह इतनी आसानी से वह हार मानते?
नागरिकता क़ानून का विरोध करने के कारण दिल्ली पुलिस ने सफूरा के ख़िलाफ़ झूठे साक्ष्य बनाए और दिल्ली में दंगे भड़काने का आरोप लगाकर उसे हिरासत में ले लिया।
कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से जारी देशव्यापी लॉकडाउन के बीच गुरुवार को बुद्ध पूर्णिमा की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन सुन कर कई तरह के ख़याल आए।
केंद्र और राज्य सरकारें यह दावा कर रही हैं कि इन मज़दूरों को खाने के सामान उपलब्ध कराये जा रहे हैं पर तमाम राज्यों और शहरों से गाँवों की तरफ़ सड़कों पर उमड़ती भीड़ इन दावों की सच्चाई पर गंभीर सवाल खड़ा करती हैं।