विनोद दुआ के ख़िलाफ़ भारतीय जनता पार्टी के एक प्रवक्ता की ओर से दर्ज़ कराई गई प्राथमिकी की चर्चा है। आरोप है कि अपनी तल्ख़ और बेबाक टिप्पणियों से उन्होंने इस पार्टी के नियंताओं को जानबूझ कर परेशान किया है।
कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई कैसे लड़ें, इस बारे में चीन से सीखना चाहिए। लेकिन भारत में तमाम लॉकडाउन के बाद भी संक्रमण बेतहाशा बढ़ा है और लाखों लोग बेरोजगार हो चुके हैं।
क्या भारत में ऐसा सम्भव है या कभी हो सकेगा कि राष्ट्रपति भवन या प्रधानमंत्री आवास के आसपास या कहीं दूर से भी गुजरने वाली सड़क को करोड़ों प्रवासी मज़दूरों के जीवन के नाम पर कर दिया जाए?
कोविड 19 की चपेट में आये देश के पहले पत्रकार आगरा के पंकज कुलश्रेष्ठ की मृत्यु का एक माह गुज़र जाने के बावजूद न तो राज्य सरकार और न केंद्र ने एक ढेले की सहायता राशि देने की कोई ज़रूरत समझी।
भारत में मजदूरों का माइग्रेशन (प्रवास) कोई नई प्रक्रिया नहीं है। लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार में प्रवासियों के वापस लौटने से नई समस्या पैदा होगी। सरकार के पास योजना है?
केरल में गर्भवती हथिनी की मौत को सांप्रदायिक बनाने की कोशिश की गई। ठीक उसी तरह जिस तरह कुछ लोगों ने तब्लीग़ी जमात को दोषी ठहराते हुए कोरोना महामारी को सांप्रदायिक रूप देने की कोशिश की थी।
पीएम केयर्स फंड पहले दिन से ही विवादों से घिरा हुआ है। दो-दो हाईकोर्ट में इससे संबंधित याचिकाएँ दायर हुई हैं और उम्मीद जगी है कि मोदी सरकार को रवैया बदलने के लिए बाध्य होना पड़ सकता है।
बीते कुछ दिनों से देश के कई हिस्सों में भूकंप आ रहे हैं। पृथ्वी को बनने-संवरने में करोड़ों वर्ष लगे लेकिन हमने इसे कुछ ही दशकों में बर्बाद कर दिया। हमारी ये कारगुजारी ही भूकंप आने का कारण है।
मैं ‘सम्पूर्ण क्रांति दिवस’ 5 जून 1974 के उस ऐतिहासिक दृश्य का स्मरण कर रहा हूँ जो पटना के प्रसिद्ध गाँधी मैदान में उपस्थित हुआ था और मैं जयप्रकाशजी के साथ मंच के निकट से ही उस क्रांति की शुरुआत देख रहा था।
‘संपूर्ण क्रांति : सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’ पाँच जून, 1974 को पटना के गाँधी मैदान में विशाल जन सैलाब के समक्ष जयप्रकाश नारायण ने जब यह नारा दिया।
कोरोना के कारण सबसे ज़्यादा मौतें अमेरिकी अस्पतालों में हुई हैं पर देश के एक शहर में पुलिस के हाथों हुई एक अश्वेत नागरिक की मौत ने सभी पश्चिमी राष्ट्रों की सत्ताओं के होश उड़ा रखे हैं।