अजय पंडिता को लंबे समय से धमकियाँ मिल रही थीं इसलिए उन्होंने सुरक्षा की माँग की थी। लेकिन उन्हें सुरक्षा मुहैया नहीं कराई गई, इसलिए उनकी हत्या के लिए सरकार भी ज़िम्मेदार है।
चंबल में डाकुओं की बंदूक़ें गरजती रही हैं। मिल्खा सिंह सौभाग्यशाली था जो पंजाब में पैदा हुआ, चंबल के बीहड़ों में जन्म लेता तो एनकाउंटर में मारा जाता। पानसिंह तोमर दुर्भाग्यशाली था जो चम्बल में पैदा हुआ!
राज नारायण बनाम इंदिरा गाँधी मामला हिन्दुस्तान का एक ऐसा मामला था जिसने देश की राजनीति को बदल कर रख दिया। इस मामले में फ़ैसला सुनाया था जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने।
कश्मीर के अनंतनाग ज़िले के एक गाँव में 40 साल के कश्मीरी पंडित सरपंच अजय पंडिता की आतंकवादियों द्वारा हत्या ने कश्मीरी पंडितों के पुराने घावों को कुरेदा है।
चंबल के बीहड़ में क्या फिर से डाकुओं की हलचल होगी? अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो इनमें से कइयों की तीसरी पीढ़ी के ‘चम्बल में कूदने' की संभावना हर समय बनी रहेगी।
डॉ. आंबेडकर दलितों को हिंदू धर्म की गुलामी पर आधारित वर्ण व्यवस्था से बाहर निकालना चाहते थे। बौद्ध धर्म में प्रगतिशील विचारों की मौजूदगी के कारण ही उन्होंने इसे अपनाया।
विश्वविद्यालय परिसरों में आंदोलनों से जुड़े रहे युवाओं पर कार्रवाई की जा रही है। हमें यह विश्वास करने के लिए कहा जा रहा है कि हमारे सबसे अच्छे युवा वास्तव में आतंकवादी हैं।
8 साल बाद फ़िल्म 'पानसिंह तोमर' एक बार फिर नए सिरे से ‘पुनर्जीवित’ होने वाली है। इस बार चर्चा के केंद्र में है पानसिंह का भतीजा। फ़िल्मकारों के ख़िलाफ़ सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने वाला है।