चीनी सैनिकों के साथ लड़ाई में घायल हुए जवान सुरेंद्र सिंह के परिवार ने कहा कि लद्दाख की गलवान घाटी में सैनिक निहत्थे गए थे। फिर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने क्या देश से झूठ बोला कि गलवान घाटी में शहीद हुए सैनिक हथियार लेकर गये थे?
सुरक्षा परिषद में भारत आठ साल बाद फिर आठवीं बार पहुँचा है। सुरक्षा परिषद का सदस्य चुने जाने के बाद 21वीं सदी की दुनिया को भारत चाहे तो नई दिशा दिखाने की कोशिश कर सकता है।
भारत एक बार फिर चीन के विस्तारवादी इरादों का सामना कर रहा है। दोनों देशों के बीच सीमा पर ज़बर्दस्त तनाव के हालात बने हुए हैं। 1962 के लिये नेहरू ज़िम्मेदार तो 20 सैनिकों की मौत की ज़िम्मेदारी क्या नरेंद्र मोदी की नहीं है?
चीन ने लद्दाख में गलवान घाटी पर अवैध क़ब्ज़ा कर लिया है और उसकी सेना ने भारतीय सेना के एक कर्नल और 20 जवानों को मार दिया है। क्या यह साम्राज्यवादी नीतियों के कारण नहीं है?
भारत और चीन के सैनिकों की बीच हुई मुठभेड़ और उसके कारण हताहतों की ख़बर ने देश के कान खड़े कर दिए। इस मुठभेड़ में 20 भारतीय फ़ौजी मारे गए और माना जा रहा है कि चीन के चार या पाँच फ़ौजी मारे गए।
सेक्युलर राजनीति ने दलित राजनीति करने वाले नेताओं का बुरा हाल कर दिया है। इस कदर कि उनकी पहचान ही ख़त्म होती जा रही है और दलित नेताओं को जनप्रतिनिधि के तौर पर उनके दलित समाज से ही मान्यता मिलती कम होती जा रही है।
प्रियंका गांधी वाड्रा की उत्तर प्रदेश में सक्रियता से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीजेपी दोनों ही उत्साहित हैं। लेकिन एसपी और बीएसपी इससे परेशान हैं।
उत्तर प्रदेश की खस्ताहाल क़ानून व्यवस्था चर्चा में है। प्रदेश के तमाम ज़िलों में हत्याएँ, बलात्कार, जातीय संघर्ष की ख़बरें आ रही हैं। हिंसा के शिकार ज़्यादातर दलित पिछड़े वर्ग के लोग बन रहे हैं।
पत्रकारिता आज़ादी के दौर में मिशन थी, बाद में प्रोफ़ेशन बन गयी और अब टीवी चैनलों के शोर के दौर में प्रहसन हो चुकी है। इस पत्रकारिता का सूत्र वाक्य है - सनसनी सत्यं, ख़बर मिथ्या।