प्रधानमंत्री मोदी के वक्तव्य के निहितार्थ को अगर समझें तो यह साफ़ होता है कि राम और राम का चरित्र उन देशों में भी संस्कृति का आधार हैं जिन देशों का धर्म या मज़हब अलग है। इसलाम को मानने वाले देशों में भी राम वहाँ की संस्कृति के आधार हैं।
श्रीलंका में हुए संसदीय चुनाव में वहाँ भाई-भाई राज कायम कर हो गया है। अब उस पर मोहर लगा दी है। बड़े भाई महिंदा राजपक्षे तो होंगे प्रधानमंत्री और छोटे भाई गोटाबया राजपक्षे होंगे राष्ट्रपति! इनकी पार्टी का नाम है- ‘श्रीलंका पोदुजन पेरामून’।
2019 में सर्वोच्च न्यायालय ने जब अयोध्या विवाद में फैसला दिया था तब भी आशंका थी कि मुसलिम समाज तीव्र प्रतिक्रिया देगा, पर नहीं, सब शांत रहे और ज़्यादातर ने फैसले को सार्वजानिक तौर पर स्वीकार किया।
राम जन्मभूमि मंदिर परिसर की ज़मीनों, इमारतों, चबूतरों, दुकानों और जायदादों का अधिग्रहण करके केंद्र सरकार ने अयोध्या विवाद को बरसों से चल रही मुक़दमेबाज़ी से मुक्त करके राष्ट्रीय समाधान का विषय बना दिया।
स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद ने अपनी मृत्यु से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्रों में उन्हें गंगा की अवहेलना करने, उसके हितों को हानि पहुंचाने और उसे धोखा देने के साथ ही अपनी संभावित मृत्यु का जिम्मेदार भी ठहराया था।
भारत सरकार नई शिक्षा नीति में जैसे प्रस्ताव है, हिंदुत्व की परिकल्पना पेश करने वाले पहले राष्ट्रवादी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने भी कुछ इसी तरह की शिक्षा का सपना देखा था।
सुशांत सिंह के पिता के मुताबिक़, जब प्रिया को महसूस होने लगा कि सुशांत अब उसके काम का नहीं रह गया है तो उसने सुशांत का नगदी, एटीएम–क्रेडिट कार्ड हथिया लिए और उसकी हत्या करवा दी।
बीजेपी नेता उमा भारती ने दो टूक कहा है कि ‘राम’ अयोध्या या भारतीय जनता पार्टी की बपौती नहीं हैं। वह राम मंदिर के भूमि पूजन आयोजन को लेकर खुले रूप से विरोध का स्वर क्यों दर्ज करा रही हैं।