हाल के घटनाक्रम ने एक बार फिर दिखा दिया है कि कांग्रेस में आतंरिक लोकतंत्र नहीं है। यदि पार्टी को जीवित रहना है तो उसे आंतरिक लोकतंत्र को मजबूत करना ही होगा। बता रहें हैं पत्रकार अनिल जैन।
केंद्र सरकार ने पिछड़े वर्ग को विभिन्न उपजातियों में बाँटकर आरक्षण व्यवस्था करने पर विचार के लिए जस्टिस जी रोहिणी की अध्यक्षता में समिति का गठन किया है। इसे लेकर पिछड़ा वर्ग आयोग से भी राय माँगी गई।
संयुक्त राष्ट्र संघ में पाकिस्तान के दूत मुनीर अकरम ने दावा किया है कि उन्होंने सुरक्षा परिषद में भाषण देकर ‘भारतीय आतंकवाद’ की निंदा की है। अकरम से कोई पूछे कि सुरक्षा परिषद में आपको घुसने किसने दिया?
सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायाधीश कुछ भी कहते रहें, उससे प्रशांत भूषण की छवि या प्रतिष्ठा पर कोई आँच नहीं आती। अगर इस मामले में किसी की छवि दाँव पर थी तो वह ख़ुद सर्वोच्च न्यायालय था।
भारत में कोरोना संक्रमण के शुरुआती दौर में तब्लीग़ी जमात को लेकर ख़ूब शोर मचा था, उसे लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ ने कहा है कि तब्लीग़ी जमात में विदेश से आए लोगों को 'बलि का बकरा’ बनाया गया।
चीन को पूर्वी लद्दाख के सीमांत भारतीय इलाक़े से पीछे जाने के लिये मजबूर करने के इरादे से सैन्य विकल्प के इस्तेमाल की सम्भावनाओं को लेकर भारत के प्रधान सेनापति जनरल बिपिन रावत के बयान का सामरिक हलकों में गहन विश्लेषण शुरू हो गया है।
सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी या फिर प्रियंका गाँधी के अध्यक्ष होने में भी किसी दूसरे को क्या परेशानी हो सकती है। लेकिन कांग्रेस को क्या दिक्कत है कि वह इसके बाहर के नेता पर विचार नहीं कर रही है?
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने चीन पहुँच कर फिर कश्मीर की ढपली बजाई। समझ में नहीं आता कि पाकिस्तान अपने इसलामी मित्र-देशों से क्यों कटता जा रहा है?
यह अतिशयोक्ति नहीं होगी कि क़रीब 100 साल पहले 1922 में महात्मा गाँधी को लिखने के कारण जो आरोप और दोषारोपण झेलने पड़े, वो ही आरोप और दोषारोपण आज वकील प्रशांत भूषण को भी झेलने पड़ रहे हैं।
गुरुवार को दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के डब्ल्यूएमसीसी की चौथे दौर की बातचीत में चीन अपने सैनिकों को पाँच मई से पहले की यथास्थिति बहाल करने पर सहमति देगा, इसकी उम्मीद कम ही है।
फ़ेसबुक के अंदर मेरे एसएमएस के सारे संदेश थे। मेरी कॉल डिटेल थी। आख़िर फ़ेसबुक के पास इसका क्या काम लेकिन वो ऐसा करता है। सवाल यह उठता है कि भारत के लिए फ़ेसबुक कैसे सेफ़ है?