मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से एक दिन पहले दिए गये बयान को भी इन सुर्खियों से जोड़ा जा रहा है जिसमें उन्होंने कहा था, 'जिन्हें विकास अच्छा नहीं लग रहा है, वह जातीय व सांप्रदायिक दंगा भड़काना चाहते हैं।'
भारत में ‘हिंदू राष्ट्रवाद’ लोकतंत्र की समतावादी माँगों के ख़िलाफ़ उच्च जातियों के विद्रोह के रूप में देखा जा सकता है। हिंदुत्व परियोजना उच्च जातियों के लिए एक जीवनदान है।
अपनी सरकार में अपराध होने पर सत्ताधारी दल चुप रहता है लेकिन यही दल विपक्ष में होने पर ऐसे मुद्दों पर हंगामा खड़ा कर देता है। राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी कब तय होगी?
हाथरस गैंगरेप में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने जो कुछ किया, उसके बाद यह सवाल हर कोई एक-दूसरे से पूछ रहा है कि आखिर योगी, उनकी सरकार या बीजेपी को इससे फायदा क्या हुआ?
हम डर रहे हैं यह स्वीकार करने से कि हमें गांधी की अब ज़रूरत नहीं बची है। ऐसा इसलिए नहीं कि गांधी अब प्रासंगिक नहीं रहे हैं, वे अप्रासंगिक कभी होंगे भी नहीं। हम गांधी की ज़रूरत को आज के संदर्भों में अपने साहस के साथ जोड़ नहीं पा रहे हैं।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो का आँकड़ा है कि 2012 से 2017 में बलात्कार के मामले 35 फ़ीसदी बढ़े। 2012 में निर्भया कांड के बाद कई क़ानून में बदलाव हुए, लेकिन दुष्कर्म नहीं कम हुए। क्या क़ानून-व्यवस्था की विफलता के कारण हाथरस गैंगरेप जैसे मामले बढ़ रहे हैं?
घटना के १६ दिन और पीड़िता के मरने के तीन दिन बाद आसानी से अधिकारी कह सकते हैं कि पोस्टमोर्टेम रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई। अब इसे झूठ कौन ठहराएगा? लाश तो जल चुकी है।
ऐसा लगता है कि अब देश को यह बताने की कोशिश की जा रही है कि बाबरी मसजिद कभी गिरी ही नहीं। एक झूठ जो 6 दिसंबर 1992 से बोला जा रहा था, उस पर अब अदालत की भी मुहर लग गयी।
बाबरी मसजिद विध्वंस में अदालत द्वारा साज़िश के आरोपों से बरी किए जाने के बाद लाल कृष्ण आडवाणी ख़ुश हैं कि वह दोषमुक्त हो गए हैं, लेकिन क्या वह ख़ुद को दोषमुक्त मानते होंगे? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार खुला ख़त लिखकर उठा रहे हैं सवाल।
हाथरस मामले से पहले से ही हाल के वर्षों में बलात्कार को लेकर नई धारणा बनकर उभरी है कि तमाम मामलों को जातीय व धार्मिक नज़रिए से देखा जाने लगा है। आख़िर क्यों?
चीन ने साठ साल पहले का दावा दुहरा कर भारत चीन के बीच चल रही मौजूदा सैन्य तनातनी को नया मोड़ दे दिया है। चीन द्वारा फिर से किये गए इस दावे को भारतीय विदेश मंत्रालय ने सिरे से खारिज कर दिया है।