चीन
चाइनीज़ पीपल्स पोलिटिकल कंसलटेटिव कॉन्फ्रेंस के सदस्य और रियल स्टेट टाइकून समझे जाने वाले रेन झिचियांग को जब भ्रष्टाचार के मामलों में 18 साल की सज़ा सुनाई गई तो लोग चौंके। अदालत ने उन पर 6 लाख डॉलर का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने फ़ैसले में कहा कि झिचियांग ने पद पर रहते हुए सरकारी कोष से 1.63 करोड़ डॉलर का घपला किया, उन्होंने सरकारी कोष को 1.72 करोड़ डॉलर का चूना भी लगाया।राष्ट्रपति की आलोचना
लेकिन झिचियांग ने एक ब्लॉग में कथित तौर पर चीनी राष्ट्रपति और कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव शी जिनपिंग की कोरोना से लड़ने के उनके उपायों की आलोचना कर दी। उन्होंने किसी का नाम लिए बग़ैर कहा,“
'मैंने एक सम्राट को अपने नए कपड़े लोगों को दिखाते हुए नहीं देखा, मैंने देखा कि एक जोकर अपने कपड़े उतार कर खड़ा है और फिर भी ख़ुद को सम्राट समझ रहा है।'
रेन झिचियांग, चीनी कम्युनिस्ट नेता
सच तो यह है कि रेन झिचियांग के बहाने चीनी व्यवस्था ने यह संकेत दे दिया है कि किसी तरह की आलोचना बर्दाश्त नहीं की जाएगी, राष्ट्रपति का मामूली विरोध भी नहीं सहा जाएगा, भले ही वह ताक़तवर और पार्टी का ही आदमी क्यों न हो।
रूस
सोवियत संघ के पतन के बाद रूस को अपने पाँव पर खड़ा करने वाले सबसे बड़े और सबसे लोकप्रिय नेता व्लादिमीर पुतिन को चुनौती देने वाले अलेक्सेई नैवलनी के साथ तो इससे भी बुरा व्यवहार हुआ। सर्बिया के एक घरेलू उड़ान में उनकी तबियत ऐसी खराब हुई कि उन्हें जर्मनी ले जाया गया। वहां वह 32 दिनों तक अस्पताल में रहने के बाद बीते दिनों बाहर आए हैं।पुतिन को दी थी चुनौती
सर्गेई नैवलनी ने जब पुतिन का विरोध किया और प्रदर्शन किया तो तो एक बार उन्हें 15 दिन जेल की सज़ा हुई, दूसरी बार भ्रष्टाचार के मामले में 5 साल की सज़ा सुनाई गई। रेन झिचियांग की तरह नैवलनी पर भी किरोव प्रांत के लेनिनस्की ज़िले में सरकारी पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया। बाद में वह जेल से छूटे और पुतिन के ख़िलाफ़ राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने की घोषणा की।नर्व एजेंट हमले के पीछे कौन?
इसके बाद उन पर कथित रूप से नर्व एजेंट से हमला हुआ। यह अहम है कि नर्व एजेंट सिर्फ रूसी सेना और सुरक्षा की एजंसियों के पास ही है, वह आम जनता तक नहीं पहुंच सकता।चीन और रूस, इन दोनों ही देशों में एक समानता यह है कि दोनों के राष्ट्रपति बेहद लोकप्रिय हैं, वे एक तरह से आइकॉन बन चुके हैं, कोई उनका विरोध नहीं करता, कोई उनके खिलाफ़ मुंह नहीं खोल सकता।
ताक़तवर नेता की तानाशाही!
पुतिन इतने मजबूत हैं कि 2000 से 2004 और 2004 से 2008, दो बार राष्ट्रपति रहने के बाद संविधान को चकमा देने के लिए वह प्रधामंत्री बन गए और अपने सहयोग दिमित्री मेदवेदेव को राष्ट्रपति बनवा दिया। प्रधानमंत्री रहने के दौरान उन्होंने संविधान संशोधन करवाया और फिर राष्ट्रपति बन गए।माओ त्सेतुंग के बाद जिनपिंग अकेले नेता हैं जो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव, चीन के राष्ट्रपति और चीन की केंद्रीय मिलिटरी कमीशन के प्रमुख, तीनों पद पर एक साथ बने हुए हैं। माओ के बाद अब तक के सबसे ताकतवर नेता देंग शियाओ पिंग पार्टी महासचिव और मिलिटरी कमीशन के प्रमुख थे, लेकिन वह राष्ट्रपति नहीं थे।
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