भ्रष्टाचार मुक्त विकास और राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर चुनाव जीतने वाली बीजेपी सरकार से आज देश का बहुत बड़ा वर्ग नाराज है। मध्यवर्ग और सरकारी कर्मचारी डूबती अर्थव्यवस्था और बढ़ती महँगाई से परेशान हैं। बढ़ती बेरोज़गारी से नौजवान हताश हैं। फसल का सही दाम नहीं मिलने से किसान हलकान हैं। कृषि सुधारों के नाम पर किसानों को छला जा रहा है।
सड़क पर हैं किसान
‘आपदा में अवसर' तलाशने वाली मोदी सरकार कोरोना संकट के दरम्यान तीन काले कानून लागू करके कृषि उपज की खरीद प्रक्रिया को पूँजीपतियों के हवाले करने जा रही है। खेती-किसानों पर सरकारी कुठाराघात से किसान बेहद नाराज हैं। फिलहाल किसान सड़कों पर खुले आसमान के नीचे आंदोलन करने के लिए मजबूर हैं।
बीजेपी का सांप्रदायिक एजेंडा
चुनावी मशीन में तब्दील हो चुकी बीजेपी को ऐसे हालातों में एक ऐसे मुद्दे की तलाश में थी, जिससे आने वाले चुनावों में रोटी, रोज़गार और बढ़ती महँगाई से ध्यान हटाकर समाज में ध्रुवीकरण किया जा सके। बीजेपी के रणनीतिकार जानते हैं कि पार्टी सिर्फ सांप्रदायिक एजेंडे पर चुनाव जीत सकती है। लव जिहाद का मुद्दा इसी वजह से उछाला गया है।
ऐसा लगता है कि बीजेपी के पुराने मुद्दे चुक गए हैं। उसका सबसे बड़ा मुद्दा अब साकार रूप ले चुका है। राम मंदिर पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को खामोशी से सबने स्वीकार कर लिया है। मुसलमानों ने जो धैर्य दिखाया, उससे बीजेपी का एजेंडा समाप्त हो गया। मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ हो गया। इसके बाद मथुरा में कृष्ण जन्म भूमि का मुद्दा उछाला गया। कुछ साधु-संतों द्वारा कृष्ण जन्म भूमि को 'मुक्त' कराने की माँग की गई। मामले को कोर्ट में भी ले जाया गया। यह एक तरह का ट्रायल था। लेकिन हिन्दू जनमानस में कोई हलचल नहीं हुई।
गोवध का मुद्दा
इस बीच बीजेपी का एक और मुद्दा गायब हो गया। हिन्दुत्ववादियों के लिए गोवध बहुत पुराना राजनीतिक मुद्दा रहा है। ऊना में मरी गाय की खाल निकालने के 'जुर्म' में हिन्दुत्ववादियों ने सरेआम दलितों की बेरहमी से पिटाई की गई थी।
देश के कई हिस्सों में गोवध के शक में कई बेकसूर मुसलमानों को उन्मादी भीड़ द्वारा मार दिया गया। यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद गोरक्षा के नाम पर बेबस मुसलमानों को प्रताड़ित किया गया है।
सुबोध कुमार सिंह की हत्या
3 दिसंबर, 2018 को बुलंदशहर में गो हत्या के अफवाह में फैली हिंसा को नियंत्रित करने वाले सब इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की एक उग्र भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई। उनका 'कसूर' यह था कि उन्होंने उस भीड़ के 'आदेश' का पालन नहीं किया था और बेकसूर मुसलमानों का नरसंहार होने से रोक दिया था। जमानत पर छूटने के बाद सुबोध कुमार सिंह की हत्या के आरोपियों का बीजेपी समर्थकों ने स्वागत किया था।
2015 में नोएडा में गो माँस के शक में 55 साल के अखलाक को एक उकसाई गई उग्र भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था। जमानत पर बाहर आए अखलाक की हत्या के आरोपियों को योगी आदित्यनाथ की एक रैली में अग्रिम पंक्ति में बैठाकर उनका सम्मान किया गया!
किसानों से परेशान किसान
लेकिन गोरक्षा का मुद्दा अब योगी सरकार के गले की हड्डी बनता जा रहा है। पशुधन की बिक्री न होने से किसानों की आमदनी घट गई है। बढ़ते आवारा पशुओं के कारण किसानों की मुसीबत बढ़ गई है। खेतों में बाड़ लगाने से किसानों का अतिरिक्त खर्च बढ़ गया है। अब किसानों को रात में भी फसल की रखवाली करनी पड़ती है। इसलिए योगी सरकार से किसान बहुत नाराज हैं। सड़कों पर बढ़ती आवारा गायों से आम आदमी भी परेशान और दुखी है। इसलिए बीजेपी और संघ परिवार ने अब इस मुद्दे को नेपथ्य में पहुँचा दिया है।
लव जिहाद के नाम पर धर्म परिवर्तन कानून लागू करना और प्रशासनिक स्तर पर सक्रियता दिखाने से एक बात तो स्पष्ट हो गई है कि यह बीजेपी के चुनावी अभियान का सबसे बड़ा मुद्दा होगा। कानून लागू होते ही एम. पी. के भोपाल और शहडोल में दो मुसलमानों को आरोपी बना दिया गया है।
बरेली के दो मामले
गौरतलब है कि दोनों हिन्दू लड़कियों द्वारा गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा से शिकायत करने पर मामले दर्ज हुए हैं। इसी तरह यूपी में भी दो मामले दर्ज हो चुके हैं। बरेली की एक हिन्दू लड़की का आरोप है कि उसका पूर्व पति धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डाल रहा है। जबकि यह लड़की मुसलिम पति के साथ एक साल रहने के बाद वापस अपने घर लौट आई है और अपनी जाति में शादी भी कर चुकी है।
बरेली में ही इसी तरह का दूसरा मामला भी दर्ज हुआ है। हिन्दू लड़की का कहना है कि वह मंदिर में शादी करने बाद एक साल तक अपने पति के घर पर रह रही थी। अब उसे पता चला कि उसके ससुराल के लोग मुसलमान हैं। ठीक से समझने पर लगता है कि इन मामलों में किसी भी एंगल से कथित लव जिहाद नहीं हुआ है। बल्कि प्यार में पड़कर शादी करना और फिर आपसी तकरार के बाद अलग हो जाने का मामला लगता है। लेकिन प्रशासन ने इन मामलों में तत्काल प्रभाव से कार्यवाही की है।
रुकैया का मामला
जबकि इसके उलट रुकैया नाम की एक मुसलिम लड़की ने अपने हिन्दू प्रेमी से आर्य समाज मंदिर, लखनऊ में धर्म परिवर्तन करके शादी की। एक साल बाद उसके सास-ससुर ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज करके उसे घर से निकाल दिया है। रुकैया से मुसकान बनी यह लड़की आर्य समाज मंदिर द्वारा दिया गया शादी का प्रमाण पत्र लेकर पुलिस प्रशासन से गुहार लगा रही है कि वह उस पर लगे धोखाधड़ी के इल्जाम की जाँच करके न्यायालय में प्रस्तुत कर दे। वह अपने पति और सास-ससुर पर जबरन धर्म परिवर्तन या बरगलाकर शादी करने का कोई इल्जाम नहीं लगा रही है। बल्कि वह कह रही है कि उसने अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन किया और शादी की।
मुसकान केवल यह साबित करना चाहती है कि उसकी शादी वैध है और उस पर लगाया गया धोखाधड़ी का इल्जाम गलत है। उसका कहना है कि जबरन उसका ससुराल में रहने का कोई इरादा नहीं है। बहुत भाग-दौड़ करने के बावजूद, अभी भी पुलिस ने जाँच रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल नहीं की है।
लव जिहाद ग़ैर इसलामिक
आख़िर लव जिहाद की सच्चाई क्या है? यह कतई इसलामिक शब्द नहीं है, बल्कि योगी आदित्यनाथ की कट्टर हिंदुत्व की राजनीति की उपज है। वरिष्ठ पत्रकार कमाल खान कहते हैं कि यह इसलामी फिकरा नहीं है। लव जिहाद जैसी बात इसलाम में स्वीकार नहीं हो सकती। जिहाद एक धार्मिक अमल है। कुरान में जिहाद करने के दो अर्थ हैं। पहला अर्थ आंतरिक भाव से जुड़ा है और दूसरा बाहरी संसार से। जिहाद का पहला अर्थ है, अपनी भीतरी बुराइयों से संघर्ष करना और दूसरा है, इसलाम की रक्षा के लिए संघर्ष करना।
जिहाद के दो प्रकार हैं। पहला है, जिहाद-अल-अकबर। यह व्यक्ति के भीतरी सुधार से संबंधित है। जिहाद-अल-असगर इसका दूसरा प्रकार है। धर्म की हिफाजत करना इसका उद्देश्य है। दूसरे प्रकार में मजलूमों, औरतों और बच्चों की हिफाजत के लिए युद्ध करना भी शामिल है। इस प्रकार जिहाद एक पवित्र कर्तव्य है। लेकिन पश्चिमी मीडिया, भारत की गोदी मीडिया और हिंदुत्ववादी संगठनों ने जिहाद का मतलब केवल युद्ध करना सिद्ध किया है।
कहा जा रहा है कि इसलाम के प्रसार के लिए मुसलिम देश भारत जैसे दारुल हरब में फंडिंग कर रहे हैं। मौलाना मुसलिम नौजवानों को जन्नत की हूर मिलने के सपने दिखाते हैं। इस वजह से नौजवान आतंकवादी भी बनने के लिए तैयार रहते हैं।
लव जिहाद को लेकर बातें
लव जिहाद के बारे में कहा जा रहा है कि अरब आदि देशों से भेजे गए पैसे से भारत के मुसलिम लड़के हिंदू लड़कियों का 'शिकार' करने के लिए सज-संवर कर उनका पीछा करते हैं। हिंदू नाम से जान-पहचान बढ़ाते हैं। फिर प्यार का ढोंग रचते हैं। लड़की से शारीरिक संबंध बनाते हैं। फिर उस लड़की को धर्म बदलने और निकाह करने के लिए मजबूर करते हैं।
तर्क दिया जा रहा है कि हिंदू लड़कियां मुसलिम लड़कों के जाल में फंसकर धर्म बदलने और निकाह करने के लिए मजबूर हैं। लेकिन योगी सरकार द्वारा गठित एसआईटी को लव जिहाद का कोई मामला नहीं मिला। भारत सरकार के गृह मंत्रालय के पास भी लव जिहाद का कोई आंकड़ा नहीं है।
देखिए, लव जिहाद को लेकर चर्चा-
राजनीतिक मुद्दा है लव जिहाद
हिन्दुत्ववादियों का तर्क है कि अभी तक कोई कानून नहीं था, इसलिए कोई मामला दर्ज नहीं हुआ। लेकिन मजेदार बात यह है योगी सरकार द्वारा धर्म परिवर्तन पर लाए गए कानून में भी लव जिहाद शब्द का कोई उल्लेख नहीं है। वास्तव में, यह समस्या नहीं बल्कि विशुद्ध राजनीतिक मुद्दा है और मुसलमानों के खिलाफ एक दुष्प्रचार है।
अंतर-जातीय विवाह
दरअसल, हमारे समाज में अभी भी शादी एक सामाजिक और पारिवारिक उत्तरदायित्व है। यह समाज इतना पिछड़ा है कि शिक्षित नौजवान भी जाति और धर्म के संकुचित दायरे में सिमटे हुए हैं। 2011 की जनगणना के मुताबिक महज 5.8 फीसद भारतीयों ने अंतर-जातीय विवाह किया है। अंतर-धार्मिक शादियां तो और भी कम हैं।
इंस्टीट्यूट ऑफ़ पॉपुलेशन साइंसेज के सर्वे के अनुसार केवल 2.21 फीसद ही अंतर-धार्मिक जोड़े हैं। जाहिर है, ज्यादातर अंतर-धार्मिक शादियाँ दिल्ली और केरल जैसे सुशिक्षित और उत्तर-पूर्व जैसे खुले समाज में मिल सकती हैं। यह आंकड़े साबित करते हैं कि लव जिहाद सिर्फ एक प्रोपेगेंडा है। यह एक चुनावी एजेंडा है।
अब सवाल उठता है कि बीजेपी और संघ ने इस मुद्दे को क्यों चुना है। कानपुर और प्रयागराज में हुई बैठकों में लव जिहाज पर चर्चा और चिंता व्यक्त की गई है। इनमें संघ प्रमुख मोहन भागवत और योगी आदित्यनाथ शामिल थे।
उग्र हो रहे हिंदू
दरअसल, तमाम मुद्दों को परखने के बाद ही बीजेपी और संघ ने इसे चुना है। असल में, आज का भारत धार्मिक रूप से बहुत ध्रुवीकृत हो चुका है। बीजेपी की सांप्रदायिक राजनीति और संघ की शाखाओं की ट्रेनिंग ने हिंदू धर्म को एक आक्रामक संप्रदाय में बदल दिया है। आमतौर पर हिंदू धार्मिक रूप से सहिष्णु माने जाते हैं। लेकिन बीजेपी-संघ की राजनीति के कारण पिछले तीन दशकों में हिन्दुओं में बहुत संकीर्णता, उग्रता और कट्टरता दिखने लगी है।
नफरत बढ़ेगी
पितृसत्तात्मकता तो हमारे समाज में पहले से मौजूद है। पुरुष प्रधान समाज स्त्री को एक कमोडिटी के रूप में देखता है। इसलिए बहू-बेटी उसकी मान-मर्यादा का प्रतीक है। लव जिहाद के मार्फत यह भय पैदा किया जा रहा है कि हिंदू बहनों-बेटियों की इज्जत खतरे में है। इससे हिंदुओं में मुसलमानों के प्रति नफरत बढ़ेगी। दुराव होगा।
लव जिहाद के शोर से ग़रीबी, भुखमरी, महंगाई, बेरोज़गारी और खेती-किसानी के मुद्दों को गायब करने में मदद मिलेगी। लव जिहाद ध्रुवीकरण करने का सबसे कारगर हथियार है। इसलिए बीजेपी और संघ इसे अपना प्रमुख एजेंडा बनाने के लिए बेचैन दिख रहे हैं।
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