सीडीएस सैन्य मामलों के विभाग यानी डिपार्टमेंट ऑफ़ मिलिट्री अफ़ेयर्स की अगुवाई करेंगे। यह विभाग रक्षा मंत्रालय यानी रक्षा मंत्री के अधीन होगा और इस विभाग को तीनों सेना प्रमुख रिपोर्ट करेंगे। हालांकि तीनों सेना प्रमुखों की रैंक बराबर होगी यानी सभी फ़ोर स्टार जनरल ही माने जाएंगे। ऐसा करके सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि भारत का पहला प्रधान सेनापति यानी सीडीएस असीम अधिकारों वाला न बन जाए। सीडीएस के पद पर नियुक्ति को लेकर सरकारी हलकों में सबसे बड़ी शंका यह जताई जा रही थी कि वह सैन्य क्रांति यानी मिलिट्री क्रू के जरिये नागरिक सरकार से सत्ता हथिया सकता है।
सीडीएस तीनों सेना प्रमुखों की संयुक्त समिति के स्थायी चेयरमैन होंगे। मौजूदा समय में भी यह पद चल रहा है लेकिन इसके चेयरमैन बारी-बारी से तीनों सेना प्रमुखों में सबसे वरिष्ठ प्रमुख होते हैं। सीडीएस की भूमिका में नव नियुक्त फ़ोर स्टार जनरल को एकीकृत रक्षा स्टाफ़ यानी इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ़ का सहयोग मिलेगा। सरकार ने यह साफ नहीं किया है कि स्थायी चेयरमैन का दायित्व बारी-बारी से तीनों सेना प्रमुखों को दिया जाएगा या नहीं।
गौरतलब है कि सीडीएस का पद सृजित करने के सैद्धांतिक फ़ैसले का ऐलान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के दिन अपने भाषण में किया था। केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के फ़ैसले का एलान केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने मंगलवार को किया।
जावडेकर ने हालांकि भारत के पहले सीडीएस के नाम का एलान कैबिनेट की बैठक के तुरंत बाद नहीं किया लेकिन माना जा रहा है कि तीनों सेना प्रमुखों में सबसे वरिष्ठ सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत को ही इस पद के लिये चुना जा सकता है। रावत एक सप्ताह बाद ही रिटायर हो रहे हैं।
हालांकि सीडीएस को फ़ोर स्टार जनरल का ही दर्जा दिया गया है। सरकारी सूत्रों ने साफ़ किया है कि सीडीएस समान दर्जा वाले अन्य सेना प्रमुखों में पहले स्थान पर माने जाएंगे। वह सभी सैन्य मामलों में राजनीतिक नेतृत्व के प्रमुख सैन्य सलाहकार होंगे। सरकार ने यह साफ़ नहीं कहा है कि वह प्रधानमंत्री के मुख्य सैनिक सलाह देने वाले अधिकारी होंगे या नहीं। सीडीएस रक्षा मंत्री के प्रधान सैनिक सलाहकार की भूमिका निभाएंगे और वह तीनों सेनाओं के बारे में रक्षा मंत्री को सलाह देंगे। सीडीएस किसी सैन्य कमांड को नहीं देखेंगे लेकिन उनके अधीन तीनों सेनाओं की साझा एजेंसियां जैसे साइबर या स्पेस के विभाग रहेंगे।
सैन्य हलकों में माँग की जा रही थी कि सीडीएस फ़ाइव स्टार रैंक वाला होना चाहिये। ताकि वह तीनों सेना प्रमुखों के ऊपर माना जाए। लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं कर विभिन्न सेनाओं का मुखिया मौजूदा सेना प्रमुखों को ही माना है।
सीडीएस को केन्द्र सरकार के सचिव का ही दर्जा देकर और उनके वेतन भत्ते भी सचिव के बराबर घोषित कर यह संकेत दिया गया है कि अधिकारों और शक्ति के मामले में प्रधान सेनापति सेनाओं पर शासन करने की असीम ताक़त नहीं हासिल करेंगे।
प्रधान सेनापति की भूमिका सेनाओं की विभिन्न इकाइयों पर अपना हुकुम चलाने की नहीं होगी। वह राजनीतिक नेतृत्व के सिंगल प्वाइंट एडवाइजर की भूमिका निभाएंगे यानी अकेले ऐसे होंगे जिनसे संकट के वक्त प्रधानमंत्री सलाह ले सकते हैं।
सामरिक और सैन्य हलकों में कहा जा रहा है कि देश के लिये यह एक ऐतिहासिक क्षण है। सीडीएस का पद सृजित करने की सिफारिश सुरक्षा विशेषज्ञ के. सुब्रह्मण्यम की अध्यक्षता में करगिल युद्ध की समीक्षा के लिए गठित करगिल समीक्षा समिति, नरेश चंद्र की अध्यक्षता वाली टास्क फोर्स ऑन नैशनल सिक्योरिटी, जनरल शेकातकर समिति आदि ने की थी।
सेनाओं के बीच होगा बेहतर तालमेल
रक्षा अधिकारियों का कहना है कि सीडीएस के पद के जरिये तीनों सेनाओं में बेहतर तालमेल स्थापित किया जा सकेगा ताकि युद्ध या राष्ट्रीय संकट के वक्त तीनों सेनाएं समन्वित तरीके से कार्रवाई करें। सीडीएस के पद के जरिये तीनों सेनाओं को साझा फ़ैसले लेने में मदद मिलेगी। सीडीएस के पद के जरिये यह भी सुनिश्चित किया जा सकेगा कि वह तीनों सेनाओं की बजटीय प्राथमिकता तय करे और यह भी देखे कि तीनों सेनाओं की मांगों के अनुरुप कोई ख़ास शस्त्र प्रणाली किसे पहले मिले।
रक्षा अधिकारियों के मुताबिक़, सीडीएस का पद केवल नाम के लिये नहीं बनाया गया है बल्कि सही वक्त पर एक प्रक्रिया को पूरा करने की कवायद है। इसके जरिये सरकार ने सेनाओं के प्रबंधन में संस्थागत सुधार किये हैं ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंताओं पर समुचित कार्रवाई की जा सके। इस पद के जरिये तीनों सेनाओं को एक सूत्र में बांधा जा सकेगा। इसके जरिये सेनाओं की ट्रेनिंग, हथियारों की ख़रीद और सैन्य कार्रवाई का संचालन आदि पर तालमेल से फ़ैसला लिया जा सकेगा। सैन्य मामलों के विभाग इन मसलों के प्रबंधन के लिये समुचित विशेषज्ञता हासिल करेंगे।
हालांकि सीडीएस के पद का सृजन अमेरिका या अन्य बड़ी सैन्य ताक़तों की सेनाओं की परम्परा के अनुरुप किया गया है। लेकिन सैन्य हलकों में माना जा रहा है कि भारत के सीडीएस को वही अधिकार व शक्तियां नहीं दी गई हैं जो अमेरिकी या पश्चिमी देशों के प्रधान सेनापति को दी गई हैं।
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