ईराक़ के केंद्र में बसे अल जल्लाम नाम के गाँव के अल बदरी क़बीले में जन्मे इब्राहिम अवाद इब्राहिम अल-बदरी उर्फ़ अबू बकर अल-बग़दादी पाँच भाई और तमाम बहनों में से एक था। उसका परिवार भेड़ें पालता था। अल बदरी क़बीला अपने को क़ुरैश कबीले के अंश के रूप में जानता-मानता है। इसलाम के मानने वालों के लिये अल क़ुरैश क़बीले का बड़ा महत्व है क्योंकि पैग़म्बर मोहम्मद इसी कबीले के थे!
रुक्मणि कैलामाची ने बग़दादी के मारे जाने के बाद न्यूयार्क टाइम्स के लिये शानदार स्टोरी की है। वह बरसों से बग़दादी से जुड़ी स्टोरी पर काम करती रहीं हैं और अरब इलाक़ों के सामाजिक-सैन्य और आर्थिक ताने-बाने समेत आतंकवाद के मुद्दों पर उनका काम बहुत लोगों को शिक्षित करता है। कई ट्वीट्स में उन्होंने बग़दादी के मारे जाने के बाद अपनी जानकारियों को साझा किया है।
इदलिब में बग़दादी की लोकेशन अमेरिकी ख़ुफ़िया सूत्रों के पास जुलाई महीने से ही थी। दरअसल, गर्मियों में अमेरिकी सुरक्षा अधिकारियों (सीआईए से संबंधित) ने दो लोगों को पकड़ा था। इन लोगों के ज़रिये बग़दादी के कुरियर और उसकी एक पत्नी के बारे में पता चला था। और फिर इन्हीं लोगों से बग़दादी की लोकेशन के बारे में अंतिम डिटेल्स भी मिल गईं।
लेकिन इदलिब में सुरक्षा के बहुत कड़े इंतज़ाम थे और यह हिस्सा घनी आबादी के बीच था। यह ऐसा क्षेत्र था जिस पर सीरिया और रूसी फ़ौज के एयरोस्पेस का क़ब्ज़ा था। एक बार तो ऐसी ख़बर मिली कि बग़दादी यह क्षेत्र छोड़ने वाला है लेकिन बाद में वह किसी वजह से रुक गया। जब बग़दादी के वहाँ से निकलने की सूचना मिली थी तब उसके क़ाफ़िले को उड़ाने की तैयारी कर ली गई थी लेकिन उसने रुक जाने की वजह से ऐसा नहीं हो सका।
बग़दादी बेचैन तो था क्योंकि उसकी एक बीवी और उसका एक कुरियर एकाएक चुप हो गए थे, लेकिन वह मजबूर था। यह समझना मुश्किल है कि अमेरिका ने उसके ख़ात्मे का फ़ैसला अभी ही क्यों किया जबकि उनके पास कई महीनों से उसकी जानकारी थी। इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि अमेरिका के राष्ट्रपति के फ़ोन का तुर्की और कुर्दों के बीच चल रहे विवाद में असर नहीं हुआ है और ऐसे में अमेरिका के लिये इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति जताना ज़रूरी हो गया था!
बग़दादी के मारे जाने के बाद बहुत सारे लोग चौंक गये हैं कि उसने इदलिब में अपना ठिकाना कैसे बनाया। लेकिन अगर पिछली घटनाओं के संकेतों को ध्यान से पढ़ें तो पता लगता है कि वहाँ आईएस की लगातार तगड़ी मौजूदगी थी। मसलन, फ़रवरी में जब कुर्दिश सेना सीरिया में बघूज नाम के एक गाँव में स्थित आईएस के आख़िरी ठिकाने पर हमले कर रही थी और उसे आज़ाद करा रही थी, तब आपस में यह समझौता हुआ था कि आईएस लड़ाकों को चुपचाप वहाँ से निकल जाने दिया जाए और तब वे वहाँ से इदलिब ही जा रहे थे!
रुक्मणि कैलामाची बताती हैं कि उन्होंने 2015 से ही बग़दादी के बारे में छोटी-बड़ी जानकारियां और उसके अस्तित्व के बारे में छोटी-छोटी सूचनाएँ जुटाना शुरू कर दिया था। कैलामाची की बग़दादी से संबंधित क़रीब 17 लोगों से बातचीत हुई जिसमें उसके अध्यापक, उसके बचपन के दोस्त, उसके सहायक और तीन यजीदी लड़कियाँ शामिल थीं जिनका उसने बलात्कार किया था।
इस दौरान रुक्मिणी बग़दादी के जन्म स्थान अल जल्लाम और जहाँ वह पला-बढ़ा यानी समारा गईं। रुक्मिणी उस पहली मसजिद में जहाँ बग़दादी ने धार्मिक ककहरा पढ़ा और उसके हाईस्कूल में जहाँ बग़दादी ने चीजों को पढ़ा और समझा, वहाँ भी गईं।
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जिन रिपोर्टर्स के पास बग़दादी का यह अतीत नहीं है, वे समझते हैं कि वह बक्का नाम की अमेरिका द्वारा नियंत्रित क़ैद के दौरान धार्मिक कट्टर बना लेकिन नहीं, वह बचपन से ही बेहद धार्मिक था। बग़दादी क्रूर होना तब शुरू हुआ जब उसने बक्का की जेल में बंद शिया क़ैदियों पर हमला करने की कोशिश की।
बचपन में ही बग़दादी अपने उन दोस्तों से उलझ जाता था जिन्होंने टैटू बनवाये हुए थे क्योंकि उसके अनुसार यह ग़ैर-इसलामी काम था।
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बग़दादी के साथ क़ैद में रह चुके साथियों के मुताबिक़, वह कभी सेलफ़ोन का इस्तेमाल नहीं करता था, वह गंभीर था और उसकी बात में लीडरशिप वाली कमांड रहती थी। बक्का से छूटने के बाद ईराक़ी सरकार के रडार पर वह ज़रूर आया लेकिन वह उनसे तेज़ निकला और बच के निकल गया।
जो सावधानियाँ उसने शुरू से अख़्तियार की थीं, बाद में उसमें विस्तार ही किया। उससे मिल चुके लोगों के बयान से पता चलता है कि उसके मुलाक़ातियों की उससे कई किलोमीटर दूर संपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीनिंग की जाती थी और आँखों पर कई परत के काले कपड़े की पट्टी के अलावा मुलाक़ात के दौरान उनके हाथ पीछे बंधे रहते थे।
अपने घायल होने की ख़बरें बग़दादी ख़ुद प्रचारित किया करता था। हाँ, तनाव के कारण वह मधुमेह और उच्च रक्तचाप का शिकार ज़रूर हो गया था। आख़िरी वक्त में उसने ख़ुद को अपने परिजनों से घेर रखा था क्योंकि उसे हर दूसरे आदमी से ग़द्दारी का शक था।
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