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क्या मनीष के ख़िलाफ़ कार्रवाई करेगी कांग्रेस?  

कांग्रेस मनीष तिवारी के ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई करेगी, यह अभी साफ़ नहीं है, लेकिन वक्त का तकाज़ा यह है कि फिलहाल वो मुंबई हमले पर सरकार की भूमिका और फ़ैसलों के बारे में खुल कर सामने आए, वरना उसे राष्ट्रवाद के मंच पर बीजेपी के सामने नुकसान उठाना पड़ सकता है। 
विजय त्रिवेदी

किताबों को लेकर हंगामा होना यूं तो आम बात है। कई बार हंगामा या नाराजगी इस हद तक पहुंच जाती है कि किताब को बैन करने की मांग होने लगती है तो कभी किताबों को जलाने और उसके ख़िलाफ़ प्रदर्शन होने लगते हैं। 

फ़िल्मों को लेकर भी अक्सर ऐसा होता रहता है। कुछ लोग मानते हैं कि इसकी एक बड़ी वज़ह किताब या फ़िल्म को पब्लिसिटी दिलाने की कोशिश है, लेकिन यदि इस पब्लिसिटी स्टंट से कुछ ज़्यादा नुकसान हो जाए तो मुश्किल बढ़ने लगती है।

मुश्किल में कांग्रेस

कांग्रेस के नाराज़ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री मनीष तिवारी की नई किताब ने विवादों से ज़्यादा कांग्रेस पार्टी को मुश्किल में डाल दिया लगता है और अब पार्टी मनीष तिवारी के ख़िलाफ़ ही कार्रवाई करने पर विचार कर रही है। संकट इतना बड़ा कि चर्चा शुरु होते ही कांग्रेस की अनुशासन समिति के हाल ही में अध्यक्ष बनाए गए पूर्व मंत्री एके एंटनी सीधे कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास पहुंच गए। मसला भी गंभीर है। 

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लेखक मनीष तिवारी की नई किताब ‘10 फ्लैश पॉंइट, 20 साल-राष्ट्रीय सुरक्षा की स्थितियां जिसने भारत को प्रभावित किया’ में, उन्होंने अपनी ही पार्टी की पूर्ववर्ती सरकार पर हमला बोला है।

क्या है किताब में?

तिवारी ने अपनी इस चौथी किताब के आने का एलान मुंबई हमले की बरसी से तीन दिन पहले किया है। तिवारी ने किताब में यूपीए की मनमोहन सिंह को इस हमले को लेकर कटघरे में खड़ा कर दिया है। उनका कहना है कि मुंबई में 26 नवबंर 2008 को हुए हमले के बाद पाकिस्तान के ख़िलाफ़ किसी तरह की कार्रवाई ना करना या एक्शन नहीं लेना सरकार की कमज़ोरी है।

तिवारी ने किताब में लिखा है एक मुल्क पाकिस्तान निर्दोष लोगों का कत्लेआम करता है और उसे उसका पछतावा भी नहीं होता। इसके बाद भी हम जब संयम बरतने की बात करते हैं तो यह ताकत की नहीं बल्कि कमजोरी की निशानी है। 

ज़रूरी था एक्शन  

मुंबई में हुए इस हमले में 160 से ज़्यादा लोग मारे गए थे। जवाबी कार्रवाई में नौ आतंकवादियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया था और एकमात्र आतंकवादी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया, बाद में उसे फांसी की सज़ा सुनाई गई। तिवारी के मुताबिक इस हमले के बाद तब की मनमोहन सरकार को पाकिस्तान के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए थी। यह ऐसा वक्त था, जब एक्शन ज़रूरी था। उन्होंने इस हमले की तुलना अमेरिका में 11 सितम्बर को हुए हमले से की है। 

इससे पहले भारत के एयर चीफ मार्शल ने कहा था कि भारत की वायुसेना उस वक्त हमले की तैयारी में थी, लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार ने इस पर कोई निर्णय नहीं किया।

सलमान खुर्शीद की किताब

अभी कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस के ही एक और नाराज़ नेता और पूर्व मंत्री सलमान खुर्शीद की किताब भी आई है- हिंदुत्व पर – ‘सनराइज ओवर अयोध्या’। इस किताब में खुर्शीद ने हिंदुत्व की तुलना कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन आईएसआईएस और बोको हराम से की है। जाहिर है हंगामा होना ही था। कांग्रेस उस पर भी कोई सफाई नहीं दे पाई। 

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि अल्पसंख्यक तुष्टिकरण से नरम हिंदुत्व की तरफ जाती कांग्रेस पार्टी के लिए इस तरह के बयान ना केवल मुश्किल में डालने वाले होते हैं बल्कि राजनीतिक तौर पर खासा नुकसान पहुंचा सकते हैं, खासतौर से अगले तीन महीनों में होने वाले पांच राज्यों के चुनावों के मद्देनज़र, यह घाटे का सौदा हो सकता है। 

Controversy on Manish Tewari Book on 26/11 mumbai attack  - Satya Hindi

वैसे इस बात की जानकारी नहीं है कि मनीष तिवारी ने जिस बात पर किताब में आपत्ति जाहिर की है, क्या वह बात उन्होंने कभी पार्टी नेतृत्व से साझा की थी या सरकार में प्रधानमंत्री या किसी और दिग्गज मंत्री के सामने अपना ऐतराज जताया था। 

बीजेपी ने बोला हमला

अब इन दोनों किताबों पर बीजेपी को हमलावर होने का मौका मिल गया। वैसे भी बीजेपी हिंदुत्व और राष्ट्रवाद को अपना पेटेंट मानती है और उसे लग रहा है कि कांग्रेस लगातार उसके हिस्से में दखल देने या घुसने की कोशिश कर रही है। बीजेपी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने पूछा है कि क्या राहुल गांधी इस पर अपनी चुप्पी तोड़ेंगे।

कांग्रेस नेतृत्व से नाराज़गी

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सलमान खुर्शीद और मनीष तिवारी दोनों ही कांग्रेस के मौजूदा नेतृत्व से नाराज़ लोगों में से हैं। ये लगातार नेतृत्व पर हमला करते रहे हैं। ये बाग़ी या नाराज़ नेताओं के ग्रुप जी-23 का हिस्सा हैं। कांग्रेस अध्यक्ष को कई मसलों पर चिट्ठी लिख चुके हैं। 

Controversy on Manish Tewari Book on 26/11 mumbai attack  - Satya Hindi

अमरिंदर के क़रीबी हैं तिवारी 

तिवारी पंजाब की राजनीति में कांग्रेस का अहम चेहरा हो सकते हैं, लेकिन वो पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर के साथ हैं। कई बार मौजूदा अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू पर हमला बोल चुके हैं। 

हाल में सिद्धू के पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को बड़ा भाई कहने पर भी उन्होंने ऐतराज़ जताया था। वो कैप्टन अमरिंदर और बीजेपी के राष्ट्रवाद के रास्ते पर चलते दिखाई दे रहे हैं। कहा जाता है कि साल 2019 में उन्हें कैप्टन के कहने पर ही लोकसभा का टिकट मिला था और वे आनंदपुर साहिब से चुने गए थे। 

साल 2014 के चुनाव में उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था, उससे राहुल गांधी नाराज़ भी हो गए थे। इससे पहले 2009 में वो लुधियाना से सांसद चुन गए थे और मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री भी रहे। सूचना प्रसारण मंत्रालय भी उन्होंने देखा। सुप्रीम कोर्ट के वकील और तेजतर्रार नेता के तौर पर उऩकी छवि है।  

पंजाब की राजनीति को समझने वालों का कहना है कि मनीष तिवारी अब कांग्रेस के साथ ज़्यादा दिन के मेहमान नहीं हैं और वो कैप्टन के नेतृत्व में पंजाब विधानसभा का चुनाव भी लड़ सकते हैं।

कांग्रेस को देना होगा जवाब 

कांग्रेस उनके ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई करेगी, यह अभी साफ़ नहीं है, लेकिन वक्त का तकाज़ा यह है कि फिलहाल वो मुंबई हमले पर सरकार की भूमिका और फ़ैसलों के बारे में खुल कर सामने आए, वरना उसे राष्ट्रवाद के मंच पर बीजेपी के सामने नुकसान उठाना पड़ सकता है। 

विचार से और ख़बरें

कांग्रेस के एक और बड़बोले नेता मणिशंकर अय्यर ने भारत-रूस दोस्ती के कार्यक्रम में अमेरिका से जुड़ा बयान देकर बीजेपी को एक और बम सौंप दिया है। अय्यर साहब का तो बीजेपी वैसे ही शायद बड़ा अहसान मानती है कि उनके नरेन्द्र मोदी के ख़िलाफ़ चायवाला बयान ने क्या राजनीतिक गुल खिलाया था।

यूं तो राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले गोपनीयता की दरकार रखते हैं, लेकिन जब मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से ज़्यादा राष्ट्रीय राजनीति का हिस्सा बन जाए तो फिर जवाब देना भी ज़रूरी होता है। बीजेपी इसलिए भी ज़्यादा हमलावर है क्योंकि कांग्रेस ने सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर मोदी सरकार पर सवाल खड़े किए थे। जब हम्माम एक जैसा ही हो तो फिर या तो पर्दा लगा कर रखना पड़ता है या फिर सूरत साफ दिखानी होती है।

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