अगले महीने 23 जून को पुरी में होने वाली विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा के आयोजन पर छाये संशय के बादल अब कुछ छँटते नज़र आने लगे हैं। केंद्र सरकार द्वारा रथ निर्माण के लिये सशर्त हरी झंडी मिल गयी। शुक्रवार से रथ निर्माण के लिये लाये गये काठ का रीति-रिवाज़ के अनुसार पवित्रीकरण किये जाने के बाद आख़िरकार 12 दिनों की देरी से निर्माण कार्य शुरू हो गया है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंडर सेक्रेटरी आशीष कुमार सिंह ने 7 मई को राज्य के मुख्य शासन सचिव असित कुमार त्रिपाठी को पत्र लिखकर रथ निर्माण के लिए सशर्त मंजूरी दे दी। केंद्र सरकार ने अपने सशर्त अनुमति पत्र में कहा है कि रथ निर्माण स्थल पर किसी भी प्रकार के धार्मिक जमावड़े, कार्यकलाप की अनुमति नहीं होगी। निर्माण स्थल पर कोरोना महामारी से जुड़े सभी निर्देशों का अक्षरशः पालन करना अनिवार्य होगा।
रथ निर्माण की सशर्त अनुमति के साथ एक और बात साफ़ कर दी गई है कि 23 जून को रथयात्रा का आयोजन संभव होगा या नहीं यह निर्णय राज्य सरकार को उस समय की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर ख़ुद लेना होगा। राज्य के विधि मंत्री प्रताप जेना ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार 17 मई को लॉकडाउन का तीसरा चरण समाप्त होने के बाद स्थिति की समीक्षा कर रथयात्रा आयोजन के संबंध में निर्णय लेगी।
केंद्र सरकार से हरी झंडी मिलने के तुरंत बाद ही 7 मई को पुरी के ज़िलाधिकारी बलवंत सिंह व प्रबंधन समिति के दो सदस्यों ने नन्दीघोष रथ निर्माण के प्रमुख बिजय कुमार महापात्र, तालध्वज रथ के नरसिंह महाराणा एवं दर्पदमन रथ के कृष्ण महाराणा से रथ निर्माण के संबंध में बात की और शुक्रवार यानी 8 मई से रथ निर्माण कार्य आरंभ करने की घोषणा की। श्री जगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रशासक कृष्ण कुमार ने कहा कि रथ निर्माण का कार्य मन्दिर के बाहर 200 वर्गफुट में रथ शाला में किया जाएगा। यह पूरी तरह निषिद्ध क्षेत्र होगा।
इस निर्णय के बाद केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री व गृह मंत्री को ओडिशा वासियों की ओर से आभार व्यक्त किया। सूत्रों के अनुसार धर्मेंद्र प्रधान ने ही गृह मंत्री अमित शाह से इस भावनात्मक मुद्दे पर बात की थी और उन्हें विषय की गंभीरता से अवगत कराया था।
उल्लेखनीय है कि रथ निर्माण का काम अक्षय तृतीया (26 अप्रैल) के दिन शुरू होना था। पर कोरोना महामारी की वजह से सभी धार्मिक पर्व, उत्सव पर प्रतिबंध होने के कारण निर्माण कार्य शुरू नहीं किया जा सका। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति और पुरी के गजपति महाराज दिब्यसिंह देब के बीच 3 मई को हुई बैठक के बाद उन्होंने राज्य सरकार के क़ानून मंत्रालय को पत्र लिखकर तुरंत रथ निर्माण की अनुमति देने का अनुरोध किया था। लेकिन दो दिनों तक इस पर कोई प्रगति नहीं हो पाई। 6 मई को राज्य सरकार ने अपनी ज़िम्मेदारी को केंद्र के कंधे पर डाल उनसे निर्देश माँगा। अगले ही दिन केंद्र सरकार ने राज्य को पत्र लिखकर सशर्त अनुमति दे दी। पर 23 जून को रथयात्रा आयोजन का निर्णय पूरी तरह राज्य सरकार के ज़िम्मे छोड़ दिया है।
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