loader
फ़ोटो साभार: ट्विटर/@RahulGandhi

जब 'तबला बजाने वाले' शिवकुमार ने संतूर को पहुँचा दिया शिखर पर!

जम्मू के पंडित उमादत्त शर्मा जी का बेटा शिव तबला बजाता था और शास्त्रीय संगीत गाता था। उमादत्त शर्मा ने कश्मीरी संतूर पर शोध किया और अपने बेटे से कहा कि कश्मीरी संतूर बजाना सीखे। धीरे-धीरे कश्मीरी संतूर पर शिव कुमार शर्मा का हाथ बैठने लगा, तो संतूर पर शास्त्रीय संगीत बजाना शुरू हुआ, लेकिन संतूर शास्त्रीय संगीत के हिसाब से नहीं बना था।

शिव कुमार शर्मा कहते थे कि जब उनके पिता ने कहा कि अब से तुम सिर्फ़ संतूर बजाओगे, तो वे कुछ समय के लिए सन्न रह गए, लेकिन गुरु की आज्ञा टाली नहीं जा सकती थी। शिव कुमार शर्मा ने संतूर पर काम करना शुरू किया। संतूर एकमात्र तार वाला वाद्य है, जो स्ट्राइकर से बजता है। बाक़ी के वाद्य या तो वायलिन या सारंगी की तरह गज से बजाए जाते हैं, या सितार की तरह मिजराब से।

ताज़ा ख़बरें

पंडित जी ने संतूर को शास्त्रीय संगीत के लायक बनाने पर काफ़ी काम किया। उस पर मीड़ बजाने में काफी मेहनत लगी। कई लोगों ने शुरू में आलोचना में कहा कि इस पर शास्त्रीय संगीत नहीं बज सकता। बाद में कहा कि संतूर बजाने में क्या है एक बार ट्यून हो जाए फिर जहाँ हाथ मारो सुरीला ही लगेगा, जबकि संतूर बजाने में जिस मुद्रा में बैठना पड़ता है, वह बेहद थकाने वाली है।

खैर, उमादत्त जी ने संतूर और बेटे दोनों में जो भी देखा, शिव कुमार शर्मा और संतूर दोनों एक दूसरे का साथ पाकर अमर हो गए। कभी भी संतूर सुनिए, लगेगा पानी की फुहार के बीच संगीत बह रहा है।

श्रद्धांजलि से और ख़बरें

शिव कुमार शर्मा ने हरि प्रसाद चौरसिया के साथ कई फिल्मों में संगीत दिया। सिलसिला, चाँदनी, डर और लम्हे जैसी फ़िल्मों का संगीत कालजयी की श्रेणी में रखा जा सकता है। हालाँकि, पंडित उमादत्त ने अपने बेटे को सिर्फ़ संतूर बजाने का आदेश दिया था, लेकिन शिव कुमार शर्मा ने गाइड फिल्म में मोह से छल किए जाए गीत के लिए तबला भी बजाया।

10 मई 2022 को पंडित जी का संतूर अमर हो गए। आने वाली नस्लों से लोग कहेंगे कि उन्होंने कश्मीर की वादियों से निकले संतूर को हिंदुस्तानी संगीत के शिखर पर पहुँचते देखा है।

(अनिमेष मुखर्जी की फ़ेसबुक वॉल से)

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
अनिमेष मुखर्जी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

श्रद्धांजलि से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें