भाषा के मामले में मंगलेशजी का जोड़ नहीं था। चूँकि वे मूल रूप से कवि थे इसलिए उनका गद्य इतना ललित और प्रवाहमान होता कि उसे समझने में कभी किसी को कोई दिक़्क़त नहीं होती।
मंगलेश डबराल के यहाँ स्मृति की केंद्रीय उपस्थिति है। उनका पहला काव्य संकलन ‘पहाड़ पर लालटेन’ भी उस कवि और व्यक्ति का अपनी स्मृति को बचाए और बनाए रखने की जद्दोजहद है जो पहाड़ से उतर कर मैदान में आया है।
साल 1948 में टिहरी के काफलपानी गांव में जन्मे मंगलेश जी की शिक्षा देहरादून में हुई। वै दैनिक जनसत्ता से लेकर भोपाल भारत भवन की पत्रिका पूर्वग्रह तक अनेक प्रतिष्ठित हिंदी प्रकाशनों से जुड़े रहे।
हिंदी के प्रख्यात कवि मंगलेश डबराल का बुधवार को निधन हो गया। वह 72 साल के थे। उन्होंने दिल्ली के एम्स में आख़िरी साँसें लीं। कुछ हफ़्ते पहले ही वह कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल का बुधवार तड़के निधन हो गया। कैसा था उनका व्यक्तित्व और स्वभाव, बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार यूसुफ़ अंसारी अपने व्यक्तिगत अनुभव।
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के क़रीबी रहे केशुभाई पटेल का निधन हो गया। वह 92 साल के थे। उनको दिल का दौरा पड़ा था। अहमदाबाद के अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन उन्हें नहीं बचाया जा सका।